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#शहरी कुटीर उद्योग   
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==किंचित् नगरीय कुटीर उद्योग ==
==किंचित् नगरीय कुटीर उद्योग ==
किंचित् नगरीय कुटीर उद्योगों में परम्परागत कुशलता एवं कारीगरी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जैसे [[वाराणसी]] का [[ज़री]] उद्योग, [[लखनऊ]] का [[चिकन की कढ़ाई|चिकन]], [[जयपुर]] की रजाइयों का निर्माण आर्दि।
किंचित् नगरीय कुटीर उद्योगों में परम्परागत कुशलता एवं कारीगरी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है जैसे [[वाराणसी]] का [[ज़री]] उद्योग, [[लखनऊ]] का [[चिकन की कढ़ाई|चिकन]], [[जयपुर]] की रजाइयों का निर्माण आर्दि।
==शहरी कुटीर उद्योग==
==शहरी कुटीर उद्योग==
शहरी कुटीर उद्योग में आधुनिकता का समावेश रहता है तथा ये आधुनिक यान्त्रिक उद्योगों की समानता करते हैं, जैसे [[मदुरै]] का हथकरघा उद्योग।
शहरी कुटीर उद्योग में आधुनिकता का समावेश रहता है तथा ये आधुनिक यान्त्रिक उद्योगों की समानता करते हैं, जैसे [[मदुरै]] का हथकरघा उद्योग।

08:01, 1 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

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नगरीय कुटीर उद्योग कुटीर उद्योगों के दो प्रकारों में से एक प्रकार है। ग्रामीण उद्योगों की भांति नगरीय कुटीर उद्योगों के भी दो वर्ग हैं-

  1. किंचित् नगरीय कुटीर उद्योग
  2. शहरी कुटीर उद्योग

किंचित् नगरीय कुटीर उद्योग

किंचित् नगरीय कुटीर उद्योगों में परम्परागत कुशलता एवं कारीगरी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है जैसे वाराणसी का ज़री उद्योग, लखनऊ का चिकन, जयपुर की रजाइयों का निर्माण आर्दि।

शहरी कुटीर उद्योग

शहरी कुटीर उद्योग में आधुनिकता का समावेश रहता है तथा ये आधुनिक यान्त्रिक उद्योगों की समानता करते हैं, जैसे मदुरै का हथकरघा उद्योग।


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