|
|
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) |
पंक्ति 1: |
पंक्ति 1: |
| प्रसिद्ध साहित्यकार [[जयशंकर प्रसाद]] के नाटक चंद्रगुप्त के छठे दृश्य में यह [[वीर रस]] का प्रेरणादायक गीत है। जो [[भारत]] में बहुत प्रसिद्ध है यह अक्सर विद्यालयों में समूह गान के रूप में गाया जाता है।
| | #REDIRECT [[हिमाद्रि तुंग श्रृंग से -जयशंकर प्रसाद]] |
| | |
| <poem>हिमाद्री तुंग श्रृंग से,
| |
| प्रबुद्ध शुद्ध भारती।
| |
| स्वयं प्रभो समुज्ज्वला,
| |
| स्वतंत्रता पुकारती॥
| |
| अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ प्रतिज्ञा सोच लो।
| |
| प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो बढ़े चलो॥
| |
| असंख्य कीर्ति रश्मियाँ,
| |
| विकीर्ण दिव्य दाह-सी।
| |
| सपूत मातृभूमि के,
| |
| रुको न शूर साहसी॥
| |
| अराती सैन्य सिन्धु में, सुवाढ़ वाग्नी से जलो।
| |
| प्रवीर हो जयी बनो, बढ़े चलो बढ़े चलो॥<ref>{{cite book | last = प्रसाद | first = रत्नशंकर | title = प्रसाद ग्रंथावली | edition = 1985 | publisher = वर्द्धमान मुद्रणालय जवाहरनगर, वाराणसी | location = भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language = [[हिन्दी]] | pages = पृष्ठ सं 720 | chapter = खण्ड 2 }}</ref></poem>
| |
| | |
| | |
| {{प्रचार}}
| |
| {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
| |
| {{संदर्भ ग्रंथ}}
| |
| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
| |
| <references/>
| |
| ==बाहरी कड़ियाँ==
| |
| *[http://www.youtube.com/watch?v=eKljP13FZJY हिमाद्रि तुंग श्रृंग से]
| |
| __INDEX__
| |
| | |
| [[Category:कविता]]
| |