"जैन नामकरण संस्कार": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "{{जैन धर्म}}" to "{{जैन धर्म}} {{जैन धर्म2}}")
 
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
*धर्मपत्नी पति की दाहिनी ओर बैठे।  
*धर्मपत्नी पति की दाहिनी ओर बैठे।  
*मंगलकलश भी कुण्डों के पूर्व दिशा में दम्पती के सन्मुख रखे।
*मंगलकलश भी कुण्डों के पूर्व दिशा में दम्पती के सन्मुख रखे।
{{जैन धर्म}}
{{प्रचार}}
{{जैन धर्म2}}
{{लेख प्रगति
[[Category:जैन धर्म]]
|आधार=
[[Category:जैन धर्म कोश]]
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==संबंधित लेख==
{{संस्कार}}
 
[[Category:जैन धर्म]][[Category:जैन धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

13:41, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

  • यह संस्कार जैन धर्म के अंतर्गत आता है।
  • पुत्रोत्पत्ति के बारहवें, सोलहवें, बीसवें या बत्तीसवें दिन नामकरण करना चाहिए।
  • किसी कारण बत्तीसवें दिन तक भी नामकरण न हो सके तो जन्मदिन से वर्ष पर्यन्त इच्छानुकूल या राशि आदि के आधार पर शुभ नामकरण कर सकते हैं।
  • पूर्व के संस्कारों के समान मण्डप, वेदी, कुण्ड आदि सामग्री तैयार करना चाहिए।
  • पुत्र सहित दम्पती को वस्त्राभूषणों से सुसज्जित कर वेदी के सामने बैठाना चाहिए।
  • पुत्र माँ की गोद में रहे।
  • धर्मपत्नी पति की दाहिनी ओर बैठे।
  • मंगलकलश भी कुण्डों के पूर्व दिशा में दम्पती के सन्मुख रखे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख