"चन्दायन": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('<!-- सबसे पहले इस पन्ने को संजोएँ (सेव करें) जिससे आपको य...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<!-- सबसे पहले इस पन्ने को संजोएँ (सेव करें) जिससे आपको यह दिखेगा कि लेख बनकर कैसा लगेगा -->
'''चन्दायन''' एक साहित्यिक रचना है जिससे [[हिन्दी]] में सूफ़ी काव्य/प्रेमाख्यान काव्य परम्परा का सूत्रपात होता है। इसकी रचना मुल्ला दाऊद ने 1379 ई. में की थी। माताप्रसाद गुप्त इसका मूलनाम 'लोर कहा' या ' लोर कथा' मानते हैं। परंतु अब चन्दायन (माताप्रसाद) या चन्दायन (परमेश्वरीलाल गुप्त) नाम ही प्रसिद्ध है। नायक (लोरिक) तथा नायिका (चन्दा) का प्रणय वर्णन इसका कथ्य है।
[[चित्र:{{PAGENAME}}|thumb|{{PAGENAME}} लिंक पर क्लिक करके चित्र अपलोड करें]]
{{पुनरीक्षण}}<!-- कृपया इस साँचे को हटाएँ नहीं (डिलीट न करें)। इसके नीचे से ही सम्पादन कार्य करें। -->
'''आपको नया पन्ना बनाने के लिए यह आधार दिया गया है'''


==शीर्षक उदाहरण 1==
'चन्दायन' आलोच्यकाल के अंतर्गत नहीं आता तथापि उसका परिचय प्रस्तुत अध्याय में इसलिए किया गया है क्योंकि वह हिन्दी के प्राप्त सूफ़ी प्रेमाख्यानों में पहला समझा जाता है और आलोच्यकाल से केवल 20 वर्ष पूर्व का है। दक्खिनी के प्रेमाख्यानों में जहां 'कुतुबमुश्तरी', 'सबरस', 'सैफुलमुलूक व वदीउलजमाल' तथा 'चंदरबदन-माहियार' के कथानक विस्तार से दिये गये हैं, वहीं 'गुलशने इश्क़', फूलबदन', आदि का रचनाकाल तथा उनके रचियताओं का उल्लेख कर उनके कथानकों को अति संक्षेप में दिया गया है।
==रचनाकाल एवं रचनाकार==
सूफ़ी प्रेमाख्यानों की परम्परा हिन्दी में मुल्ला दाउद से प्रारम्भ होती है। उनका 'चन्दायन' सन् 1379 में लिखा गया। वह डलमऊ के रहने वाले थे और अपने यहाँ की लोक-प्रचलित गाथा चनैनी के आधार पर उन्होंने "चन्दायन" की रचना की।


===शीर्षक उदाहरण 2===


====शीर्षक उदाहरण 3====
=====शीर्षक उदाहरण 4=====
<!-- कृपया इस संदेश से ऊपर की ओर ही सम्पादन कार्य करें। ऊपर आप अपनी इच्छानुसार शीर्षक और सामग्री डाल सकते हैं -->
<!-- यदि आप सम्पादन में नये हैं तो कृपया इस संदेश से नीचे सम्पादन कार्य न करें -->
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
[[Category:सूफ़ी साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:नया पन्ना फ़रवरी-2013]]
[[Category:सूफ़ी कोश]][[Category:धर्म कोश]]
 
__INDEX__
__INDEX__

13:49, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

चन्दायन एक साहित्यिक रचना है जिससे हिन्दी में सूफ़ी काव्य/प्रेमाख्यान काव्य परम्परा का सूत्रपात होता है। इसकी रचना मुल्ला दाऊद ने 1379 ई. में की थी। माताप्रसाद गुप्त इसका मूलनाम 'लोर कहा' या ' लोर कथा' मानते हैं। परंतु अब चन्दायन (माताप्रसाद) या चन्दायन (परमेश्वरीलाल गुप्त) नाम ही प्रसिद्ध है। नायक (लोरिक) तथा नायिका (चन्दा) का प्रणय वर्णन इसका कथ्य है।

'चन्दायन' आलोच्यकाल के अंतर्गत नहीं आता तथापि उसका परिचय प्रस्तुत अध्याय में इसलिए किया गया है क्योंकि वह हिन्दी के प्राप्त सूफ़ी प्रेमाख्यानों में पहला समझा जाता है और आलोच्यकाल से केवल 20 वर्ष पूर्व का है। दक्खिनी के प्रेमाख्यानों में जहां 'कुतुबमुश्तरी', 'सबरस', 'सैफुलमुलूक व वदीउलजमाल' तथा 'चंदरबदन-माहियार' के कथानक विस्तार से दिये गये हैं, वहीं 'गुलशने इश्क़', फूलबदन', आदि का रचनाकाल तथा उनके रचियताओं का उल्लेख कर उनके कथानकों को अति संक्षेप में दिया गया है।

रचनाकाल एवं रचनाकार

सूफ़ी प्रेमाख्यानों की परम्परा हिन्दी में मुल्ला दाउद से प्रारम्भ होती है। उनका 'चन्दायन' सन् 1379 में लिखा गया। वह डलमऊ के रहने वाले थे और अपने यहाँ की लोक-प्रचलित गाथा चनैनी के आधार पर उन्होंने "चन्दायन" की रचना की।


टीका टिप्पणी और संदर्भ


संबंधित लेख