"गोविन्ददास": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
 
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{incomplete}}
{{बहुविकल्पी शब्द}}
<br />
#[[गोविन्ददास कविराज]] - चिरंजीव सेन एवं सुनंदा के पुत्र।
#[[गोविन्ददास चक्रवर्ती]] - श्रीनिवास आचार्य के शिष्य।
#[[गोविन्ददास आचार्य]] - चैतन्य के शिष्य और उनके समसामयिक।


वल्ल्भ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों ([[अष्टछाप]] कवि) में एक । जिन्होंने भगवान श्री [[कृष्ण]] की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया। गोविंद दास जी का एक पद
<blockquote>श्री वल्लभ चरण लग्यो चित मेरो । इन बिन और कछु नहीं भावे, इन चरनन को चेरो ॥1॥ <br />
इन छोड और जो ध्यावे सो मूरख घनेरो । गोविन्द दास यह निश्चय करि सोहि ज्ञान भलेरो ॥2॥</blockquote>
[[Category:साहित्य कोश]]
==सम्बंधित लिंक==
{{भारत के कवि}}
[[Category:कवि]]
[[Category:जीवनी साहित्य]]
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

11:06, 28 मार्च 2014 के समय का अवतरण

"यह एक बहुविकल्पी शब्द का पृष्ठ है। अर्थात समान शीर्षक वाले लेखों की सूची। अगर आप यहाँ किसी भारतकोश की कड़ी के द्वारा भेजे गए है, तो कृपया उसे सुधार कर सीधे ही संबंधित लेख से जोड़ें, ताकि पाठक अगली बार सही पन्ने पर जा सकें।"


  1. गोविन्ददास कविराज - चिरंजीव सेन एवं सुनंदा के पुत्र।
  2. गोविन्ददास चक्रवर्ती - श्रीनिवास आचार्य के शिष्य।
  3. गोविन्ददास आचार्य - चैतन्य के शिष्य और उनके समसामयिक।