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(''''गोकुल भाई भट्ट''' (अंग्रेज़ी: ''Gokulbhai Bhatt'' ; जन्म- [[19 फ़रवर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
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'''गोकुल भाई भट्ट'''  ([[अंग्रेज़ी]]: ''Gokulbhai Bhatt'' ; जन्म- [[19 फ़रवरी]], [[1898]], [[सिरोही]], [[राजस्थान]]; मृत्यु- [[6 अक्टूबर]], [[1986]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। इन्हें एक सच्चे समाज सेवक के रूप में भी जाना जाता था। इसके साथ ही वे एक कुशल वक्ता, [[कवि]], पत्रकार, बहुभाषाविद और लेखक भी थे। वर्ष [[1939 ]]में गोकुल भाई की प्रेरणा से ही लोग झण्डे वाली टोपियाँ पहनने लगे थे। गोकुल भाई भट्ट [[1948]] में जयपुर कांग्रेस की स्वागत समिति के अध्यक्ष रहे थे।
#REDIRECT [[गोकुलभाई भट्ट]]
==जन्म तथा शिक्षा==
[[राजस्थान]] की देशी रियासतों में राष्ट्रीय चेतना फैलाने वाले गोकुल भाई भट्ट  का जन्म 9 फ़रवरी, 1898 ई. में राजस्थान के सिरोही ज़िले में हुआ था। बाद के समय में उनका [[परिवार]] [[मुम्बई]] चला गया। गोकुल भाई भट्ट ने मुम्बई से ही अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करना प्रारम्भ किया।
====समाज सेवा====
गोकुल भाई भट्ट अभी शिक्षा प्राप्त कर ही रहे थे, तभी [[महात्मा गाँधी]] द्वारा '[[असहयोग आन्दोलन]]' आरंभ किया गया। ऐसे समय में गोकुल भाई भट्ट ने स्कूल छोड़ दिया और समाज सेवा के कार्य में जुट गये। उनका लगभग 50 [[वर्ष]] की सेवा का जीवन बहुत घटना पूर्ण रहा था। आरंभ में गोकुल भाई भट्ट [[मुम्बई]] में ही समाज सेवा का कार्य करते रहे। बाद में अपने मूल स्थान [[सिरोही]] आकर लोगों को देशी रियासत के अन्दर लोकतांत्रिक अधिकार दिलाने के संघर्ष में जुट गये।
=='सिरोही प्रज्ञा मण्डल' की स्थापना==
[[कांग्रेस]] ने अपने [[1938]] के 'हरिपुरा अधिवेशन' में देशी रियासतों के अन्दर के लोगों को संगठित करने का निश्चय किया था। इसके बाद ही गोकुल भाई ने अपनी अध्यक्षता में 'सिरोही प्रज्ञा मण्डल' की स्थापना की। उन्होंने लोगों को राजा द्वारा किए जा रहे शोषण के विरुद्ध संगठित किया। इस पर उन्हें [[1939]] में गिरफ़्तार भी कर लिया गया था। जब राजा ने झण्डे पर प्रतिबन्ध लगाया तो गोकुल भाई की प्रेरणा से लोग झण्डे वाली टोपियां पहनने लगे। अब उनका कार्य क्षेत्र पूरा [[राजस्थान]] बन गया था। वे 'राजस्थान लोक परिषद' के अध्यक्ष चुने गये थे।
====प्रधानमंत्री का पद====
[[1947]] में जब सिरोही रियासत की प्रथम लोकप्रिय सरकार बनी तो उसके [[प्रधानमंत्री]] गोकुल भाई भट्ट ही बने। 'राजस्थान प्रदेश कांग्रेस' का अध्यक्ष और 'कांग्रेस कार्य समिति' का सदस्य बनने का भी सम्मान उन्हें मिला। [[1948]] की [[जयपुर]] कांग्रेस की स्वागत समिति के अध्यक्ष भी वही थे। [[सरदार पटेल]] जिस समय राजस्थान की रियासतों के एकीकरण की वार्ता चला रहे थे, उसमें गोकुल भाई भट्ट जनता के प्रतिनिधि के रूप में बराबर भाग लेते रहे।
==अन्य विशेषतायें==
राजनैतिक कार्यकर्ता के अतिरिक्त गोकुल भाई भट्ट में और भी कई विशेषतायें थीं-
#वे कुशल वक्ता, [[कवि]], पत्रकार, बहुभाषाविद और लेखक थे।
#उन्हें मराठी, गुजराती, [[हिन्दी]], बंगाली, सिन्धी और अंग्रेज़ी भाषा का कुशल ज्ञान था।
#गोकुल भाई भट्ट ने गुजराती, मराठी में अन्य भाषाओं के ग्रंथों का अनुवाद भी किया था।
#वे सामाजिक दृष्टि से ऊंच-नीच में विश्वास नहीं करते थे। महिलाओं की समानता के पक्षधर थे।
===='पद्मभूषण' सम्मान====
गोकुल भाई भट्ट ने अपने विविध गुणों से सम्पूर्ण [[राजस्थान]] के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। वर्ष [[1971]] में उन्हें '[[पद्मभूषण]]' से सम्मानित किया गया था।
==निधन==
गोकुल भाई भट्ट का निधन [[6 अक्टूबर]], [[1986]] को हुआ। उन्हें 'राजस्थान का गाँधी' कहा जाता था। उन्होंने जल संरक्षण पर काफ़ी बल दिया और लोगों को इसके प्रति जागरुक भी किया।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
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12:09, 25 मई 2014 के समय का अवतरण

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