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'''गोल्दोनी कार्लो''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Goldoni Carlo'' ; जन्म- [[25 फ़रवरी]], 1707, वेनिस; मृत्यु- [[6 फ़रवरी]], 1793, पेरिस, [[फ़्राँस]]) प्रसिद्ध इतालवी नाटककार थे। आरंभ से ही गोल्दोनी की रुचि [[रंगमंच]] की ओर रही थी। ग्रीक, लैटिन, इतालवी तथा फ़्राँसीसी नाट्य साहित्यों तथा नाट्य शास्त्रों का इन्होंने विस्तृत अध्ययन किया था। उनकी प्रवृत्ति बहिर्मुखी थी। गोल्दोनी कार्लो ने शताधिक नाटक कृतियाँ लिखीं, जिनमें तत्कालीन समाज, विशेषकर वेनिस के जीवन के बड़े ही सटीक चित्र प्रस्तुत किए गए हैं। 18वीं शती के इतालवी साहित्यिक जगत् का बहुत ही रोचक चित्रण गोल्दोनी के संस्मरणों में मिलता है।<ref name="aa">{{cite web |url= http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A5%80_%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%8B|title= गोल्दोनी कार्लो|accessmonthday19 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref>
#REDIRECT [[कार्लो गोल्दोनी]]
==जन्म तथा शिक्षा==
गोल्दोनी कार्लो का जन्म 25 फ़रवरी, 1707 ई. में वेनिस में हुआ था। इन्होंने पेरुज्या, रमिनी में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की तथा पादोवा में क़ानून की उपाधि प्राप्त कर वेनिस में वकालत करना शुरु किया।
==लेखन कार्य==
आरंभ से ही गोल्दोनी कार्लो की रुचि [[रंगमंच]] की ओर थी। 13 [[वर्ष]] की अवस्था में इन्होंने 'सोरेल्लीना दी दोन पीलोने' (दोन पीलोने की बहन) नामक नाट्य कृति के अभिनय में भाग लिया। ग्रीक, लैटिन, इतालवी तथा फ़्राँसीसी नाट्य साहित्यों तथा नाट्य शास्त्रों का इन्होंने विस्तृत अध्ययन किया। सन 1732 में इन्होंने 'अमालासूंता', गतिनाट्य कृति लिखी और फिर मिलान, वेरोना और वेनिस के रंगमंचों पर अभिनीत किए जाने के लिये अनेक प्रहसन तथा [[नाटक]] लिखे।<ref name="aa"/>
====प्रसिद्धि====
गोल्दोनी कार्लो धीरे-धीरे दर्शकों की मनोवृत्ति को परिष्कृत करने का प्रयत्न भी कर रहे थे। 'मोमोला कोर्तेसान' (1738) तथा 'दोन्ना दी गारबोर्वो' (1743) नामक कृतियों ने इन्हें प्रसिद्ध कर दिया और 'जीरोसामो मेदेबाक' नामक नाटक मंडली ने नाट्य कृतियाँ लिखने के लिये इन्हें नौकर रख लिया। गोल्दोनी इस बीच काफ़ी प्रसिद्धि पा चुके थे, किंतु उनका विरोध करने वाले भी कम नहीं थे। उनसे तंग आकर 1762 ई. में ये पेरिस चले गए।
==संस्मरण लेखन==
पेरिस में इतालवी नाट्य कृतियों के अभिनय के लिये गोल्दोनी कार्लो को आमंत्रित किया गया था। अथक प्रयास के फलस्वरूप पेरिस के दर्शक भी गोल्दोनी के प्रशंसक बन गए। वहीं 1771 ई. में गोल्दोनी में फ़्राँसीसी भाषा में 'बूर्रू ब्यप्रे' [[नाटक]] लिखा और 76 वर्ष की अवस्था में फ्रेंच में ही अपने जीवन संस्मरण लिखे। 18वीं शती के इतालवी साहित्यिक जगत का बहुत ही रोचक चित्रण गोल्दोनी के संस्मरणों में मिलता है। अपने जीवन की घटनाओं का बड़े निरपेक्ष ढंग से इन्होंने वर्णन किया है।
====नाटक====
गोल्दोनी कार्लो की प्रवृत्ति बहिर्मुखी थी। उन्होंने शताधिक नाटक कृतियाँ लिखीं, जिनमें तत्कालीन समाज, विशेषकर वेनिस के जीवन के बड़े ही सटीक चित्र प्रस्तुत किए गए हैं। नाटकों में सुधार की दृष्टि से भी गोल्दोनी का स्थान महत्वपूर्ण है। नाटकों के कृत्रिम तथा कुरुचि पूर्ण रूप को उन्होंने सँवारा। इनकी प्रारंभिक कृतियाँ दु:ख-सुख-मिश्रित हैं- 'बेलिसारियो', 'रोसमुंद्रा', 'दोन ज्योवान्नी' नाटक, कुछ प्रहसन- 'वास्न', 'ओर्रोते', 'जेरमोंदो' आदि, कुछ 'इंतरमेज्जो'<ref>दो अंको के बीच में अभिनीत होने वाली संक्षिप्त नाटक कृति</ref> 'ला पेल्डारीना', 'ला पुपील्ला' आदि हैं।<ref name="aa"/>
==प्रमुख कृतियाँ==
इनकी महत्वपूर्ण [[नाटक]] कृतियों का काल सन 1748 ई. के बाद प्रारंभ होता है- 'ला वेदोवा स्कल्त्रा'<ref>चालाक विधवा</ref>, 'बोत्तेगा देल कफ्फे'<ref>कॉफी की दुकान</ref>, 'इल वूज्यार्दो'<ref>झूठा</ref>, रचनाओं में रूढ़िवादी कल्पित निष्प्राण पात्रों के स्थान पर वास्तविक जीवन को प्रस्तुत करने का प्रयत्न लक्षित होता है। 'बुऔना मोल्ये'<ref>अच्छी पत्नी</ref>, 'पेत्तेगोलेज्जी देल्ले दोन्ने'<ref>औरतों के झगड़े</ref> जैसी कृतियों में गोल्दोनी ने वास्तविक जीवन के दृश्य चित्रित किए हैं। उनकी सुंदरतम कृतियाँ हैं-
#'लोकांदिएरा'<ref>होटल वाली</ref>
#'इन्नमोरती'<ref>प्रेमी</ref>
#'ई रूस्तेगी'
#'कासा नोवा'<ref>नया घर</ref>
#'बारूफ्फे क्योज्जोत्ते'<ref>मछुओं के झगड़े</ref>
==पात्रों का मनोवैज्ञानिक चित्रण==
पात्रों का मनोवैज्ञानिक चित्रण तथा वातावरण गोल्दोनी कार्लो के सूक्ष्म जीवन अध्ययन का परिचायक है। इन्होंने यात्रा के अनुभवों को लेकर 'ले स्मानीए देल्ला वीसेज्जातूराद्' (प्रवास की चोटें) जैसी कृतियाँ भी लिखी हैं। अंत में दुखित होकर जब गोल्दोनी अपने जन्म स्थान वेनिस को छोड़कर पेरिस जा रहे थे तो मानो विदा लेने के लिये उन्होंने रूपक नाट्य 'ऊना देल्ले उल्तिमे सेरे देल कानेंवाले दि वेनेत्सिया'<ref>वेनिस के कानेंवाल की अंतिम संध्याओं में से एक</ref> लिखी। गोल्दोनी ने वेनिस की बोली को साहित्यिक रूप प्रदान किया। वेनिस की बोली का ही उन्होंने अपनी कृतियों में प्रयोग किया और इस प्रकार अलग साहित्यिक शैली का निर्माण किया। इतालीय नाटक की अनवरत स्थिति को सुधारने का श्रेय गोल्दोनी कार्लो को प्राप्त है।<ref name="aa"/>
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
 
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06:07, 20 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

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