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*इस पहाड़ी की गुफ़ाओं में अनेक भित्तिचित्र प्राप्त हुए हैं।
*इस पहाड़ी की गुफ़ाओं में अनेक भित्तिचित्र प्राप्त हुए हैं।
*एक गुफ़ा में [[ब्राह्मी लिपि|ब्राह्मी]] [[अभिलेख]] भी मिला है, जिससे इसका निर्माण काल डॉ. ब्लाख के मत से तीसरी शती ई. पू. जान पड़ता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=789|url=}}</ref>
*एक गुफ़ा में [[ब्राह्मी लिपि|ब्राह्मी]] [[अभिलेख]] भी मिला है, जिससे इसका निर्माण काल डॉ. ब्लाख के मत से तीसरी शती ई. पू. जान पड़ता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=788|url=}}</ref>
*कहा जाता है कि इसी स्थान पर 'उग्रादित्याचार्य' ने अपने वैद्यक ग्रंथ 'कल्याणकारक' की रचना की थी। इसमें शायद इन्हीं अलंकृत चैत्य गुहाओं का उल्लेख है।
*कहा जाता है कि इसी स्थान पर 'उग्रादित्याचार्य' ने अपने वैद्यक ग्रंथ 'कल्याणकारक' की रचना की थी। इसमें शायद इन्हीं अलंकृत चैत्य गुहाओं का उल्लेख है।
*कुछ लोगों के मत में [[कालीदास]] के '[[मेघदूत]]' की रामगिरि यही है।
*कुछ लोगों के मत में [[कालीदास]] के '[[मेघदूत]]' की रामगिरि यही है।

12:00, 14 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

रामगिरि एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- रामगिरि (बहुविकल्पी)

रामगिरि छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले[1] में लक्ष्मणपुर से 12 मील की दूरी पर स्थित एक पहाड़ी है, जिसे 'रामगढ़' कहा जाता है।

  • इस पहाड़ी की गुफ़ाओं में अनेक भित्तिचित्र प्राप्त हुए हैं।
  • एक गुफ़ा में ब्राह्मी अभिलेख भी मिला है, जिससे इसका निर्माण काल डॉ. ब्लाख के मत से तीसरी शती ई. पू. जान पड़ता है।[2]
  • कहा जाता है कि इसी स्थान पर 'उग्रादित्याचार्य' ने अपने वैद्यक ग्रंथ 'कल्याणकारक' की रचना की थी। इसमें शायद इन्हीं अलंकृत चैत्य गुहाओं का उल्लेख है।
  • कुछ लोगों के मत में कालीदास के 'मेघदूत' की रामगिरि यही है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भूतपूर्व सरगुजा रियासत, मध्य प्रदेश
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 788 |

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