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'''रैवतोद्यान''' का उल्लेख [[विष्णुपुराण]] में हुआ है। यह [[प्राचीन भारत]] में [[रैवतक पर्वत]] के निकट एक उद्यान था, जो [[द्वारका]] के पास स्थित था-
'''रैवतोद्यान''' का उल्लेख [[विष्णुपुराण]] में हुआ है। यह [[प्राचीन भारत]] में [[रैवतक पर्वत]] के निकट एक उद्यान था, जो [[द्वारका]] के पास स्थित था<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=803|url=}}</ref>-


<blockquote>'एकदा रैवतोद्याने पपौ पानं हलायुधः।'<ref>[[विष्णुपुराण]] 5-36-11</ref></blockquote><ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=803|url=}}</ref>
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रैवतोद्यान का उल्लेख विष्णुपुराण में हुआ है। यह प्राचीन भारत में रैवतक पर्वत के निकट एक उद्यान था, जो द्वारका के पास स्थित था[1]-

'एकदा रैवतोद्याने पपौ पानं हलायुधः।'[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 803 |
  2. विष्णुपुराण 5-36-11

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