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| '''शम्भुजी''', [[शिवाजी]] प्रथम का ज्येष्ठ पुत्र और उत्तराधिकारी था, जिसने 1680 से 1689 ई. तक राज्य किया। शम्भुजी आरम्भ से ही अभिमानी, क्रोधी एवं भोग विलासी हो गया था। अपनी मृत्यु के अवसर पर शिवाजी ने उसे [[पन्हाला]] के क़िले में क़ैद कर रखा था।
| | #REDIRECT [[शम्भाजी]] |
| ====विलास-प्रेमी एवं शौर्यवान====
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| शम्भुजी में अपने पिता की कर्मठता और दृढ़ संकल्प का अभाव था। वह विलास-प्रेमी था, किन्तु उसमें शौर्य की कमी न थी। 4 अप्रैल, 1680 ई. को शिवाजी की मृत्योपरान्त उनकी पत्नि [[सूर्याबाई]] ने अपने दस वर्षीय पुत्र [[राजाराम]] का अप्रैल, 1680 ई. में [[रायगढ़ महाराष्ट्र]] में राज्याभिषेक कर दिया, किन्तु शम्भुजी ने [[मराठा]] सेनापति [[हमीरराव मोहिते]] को अपने पक्ष में करके आक्रमण कर दिया। उसने सूर्याबाई एवं राजाराम को क़ैद कर लिया और रायगढ़ पर अधिकार करके 30 जुलाई, 1680 ई. को अपना राज्याभिषेक करवाया।
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| ====शम्भुजी की नीति====
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| शम्भुजी ने [[नीलोपन्त]] को अपना पेशवा बनाया। उसने 1689 ई. तक शासन किया। कालान्तर में शम्भुजी के विरुद्ध राजाराम, सूर्याबाई और [[अन्नाजी दत्तो]] ने एक संगठन बना लिया, परन्तु शम्भुजी ने इस संघ को बर्बरतापूर्वक कुचलते हुए सौतेली माँ सूर्याबाई और कुछ अन्य महत्वपूर्ण मराठा सरदारों की हत्या करवा दी। शम्भुजी ने [[उज्जैन]] के [[हिन्दी]] एवं [[संस्कृत]] के प्रकाण्ड विद्वान [[कविकलश]] को अपना सलाहकार नियुक्त किया।
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| ====मुग़लों से सामना====
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| [[औरंगज़ेब]] के विद्रोही पुत्र अकबर को शरण देने के कारण शम्भुजी को [[मुग़ल]] सेनाओं के आक्रमण का सामना करना पड़ा। लगभग 9 वर्षों तक वह निरन्तर औरंगज़ेब की विशाल सेनाओं का सफलतापूर्वक सामना करता रहा।
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| ====हत्या====
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| यह संघर्ष फ़रवरी, 1689 ई. में तब समाप्त हुआ, जब मुग़ल सेनापति [[मुकर्रब ख़ाँ]] ने संगमेश्वर में छिपे हुए शम्भुजी एवं कविकलश को गिरफ़्तार कर लिया। '''21 मार्च, 1689 ई. को शम्भुजी की हत्या कर उसकी खाल में भूसा भरवा दिया गया। इसे इतिहास का एक बर्बर हत्याकाण्ड माना जाता है।'''
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| *(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-443
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| *(पुस्तक 'यूनीक सामान्य अध्ययन') भाग-1, पृष्ठ संख्या-207
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| <references/>
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| __INDEX__
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| __NOTOC__
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| [[Category:शिवाजी]]
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| [[Category:मराठा साम्राज्य]]
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