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         '''[[गया]]''' [[फल्गु नदी]] के तट पर बसा [[बिहार]] का एक प्रमुख नगर है। [[वाराणसी]] की तरह गया की प्रसिद्धि मुख्य रूप से एक धार्मिक नगरी के रूप में है। [[पितृ पक्ष|पितृपक्ष]] के अवसर पर यहाँ हज़ारों श्रद्धालु [[पिण्ड (श्राद्ध)|पिंडदान]] के लिये जुटते हैं। कहा जाता है कि यहाँ [[फल्गु नदी]] के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है। गया सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा पूरे [[भारत]] से अच्छी तरह जुड़ा है। गया से 17 किलोमीटर की दूरी पर [[बोधगया]] स्थित है जहाँ 'बोधिवृक्ष' के नीचे [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। [[गया|... और पढ़ें]]
         '''[[गया]]''' [[फल्गु नदी]] के तट पर बसा [[बिहार]] का एक प्रमुख नगर है। [[वाराणसी]] की तरह गया की प्रसिद्धि मुख्य रूप से एक धार्मिक नगरी के रूप में है। [[पितृ पक्ष|पितृपक्ष]] के अवसर पर यहाँ हज़ारों श्रद्धालु [[पिण्ड (श्राद्ध)|पिंडदान]] के लिये जुटते हैं। कहा जाता है कि यहाँ [[फल्गु नदी]] के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है। गया सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा पूरे [[भारत]] से अच्छी तरह जुड़ा है। गया से 17 किलोमीटर की दूरी पर [[बोधगया]] स्थित है जहाँ 'बोधिवृक्ष' के नीचे [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। [[गया|... और पढ़ें]]
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12:50, 27 सितम्बर 2015 के समय का अवतरण

महाबोधि मंदिर, बोधगया
महाबोधि मंदिर, बोधगया

        गया फल्गु नदी के तट पर बसा बिहार का एक प्रमुख नगर है। वाराणसी की तरह गया की प्रसिद्धि मुख्य रूप से एक धार्मिक नगरी के रूप में है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ हज़ारों श्रद्धालु पिंडदान के लिये जुटते हैं। कहा जाता है कि यहाँ फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है। गया सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा पूरे भारत से अच्छी तरह जुड़ा है। गया से 17 किलोमीटर की दूरी पर बोधगया स्थित है जहाँ 'बोधिवृक्ष' के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। ... और पढ़ें