"तै रहीम अब कौन है -रहीम": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('<div class="bgrahimdv"> तै ‘रहीम’ अब कौन है, एतो खैंचत बाय।<br /> जस का...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
[[काग़ज़]] के बने पुतले के जैसा यह शरीर है। नमी पाते ही यह गल-घुल जाता है। समझ में नहीं आता कि इसके अन्दर जो [[श्वसन|साँस]] ले रहा है, वह आखिर कौन है?
[[काग़ज़]] के बने पुतले के जैसा यह शरीर है। नमी पाते ही यह गल-घुल जाता है। समझ में नहीं आता कि इसके अन्दर जो [[श्वसन|साँस]] ले रहा है, वह आखिर कौन है?


{{लेख क्रम3| पिछला=कागज को सो पूतरा|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=रहिमन ठठरि धूरि की -रहीम}}
{{लेख क्रम3| पिछला=कागज को सो पूतरा -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=रहिमन ठठरि धूरि की -रहीम}}
</div>
</div>



12:32, 9 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

तै ‘रहीम’ अब कौन है, एतो खैंचत बाय।
जस कागद को पूतरा, नमी माहिं घुल जाय॥

अर्थ

काग़ज़ के बने पुतले के जैसा यह शरीर है। नमी पाते ही यह गल-घुल जाता है। समझ में नहीं आता कि इसके अन्दर जो साँस ले रहा है, वह आखिर कौन है?


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख