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'''अप्रॅल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''April'')  [[ग्रेगोरी कैलंडर]] के अनुसार [[वर्ष]] का तीसरा [[माह|महीना]] है। यह वर्ष के उन चार महीनों में से एक है जिनके [[दिन|दिनों]] की संख्या 30 होती है। ग्रेगोरी कैलंडर, दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक (कैलंडर) या तिथिपत्रक है। यह [[जूलियन कलॅण्डर|जूलियन कालदर्शक]] का रूपातंरण है। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई [[दिन]] होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित [[पंचांग]] हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों मे बाँटा गया है, और यह 20871 [[सप्ताह]] (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमें 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। इसे पोप ग्रेगोरी ने लागू किया था।  
'''अप्रॅल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''April'')  [[ग्रेगोरी कैलंडर]] के अनुसार [[वर्ष]] का तीसरा [[माह|महीना]] है। यह वर्ष के उन चार महीनों में से एक है जिनके [[दिन|दिनों]] की संख्या 30 होती है। ग्रेगोरी कैलंडर, दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक (कैलंडर) या तिथिपत्रक है। यह [[जूलियन कलॅण्डर|जूलियन कालदर्शक]] का रूपातंरण है। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई [[दिन]] होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित [[पंचांग]] हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों मे बाँटा गया है, और यह 20871 [[सप्ताह]] (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमें 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। इसे पोप ग्रेगोरी ने लागू किया था।  
==अप्रॅल माह के पर्व एवं त्योहार==
==अप्रॅल माह के पर्व एवं त्योहार==
निम्नलिखित पर्व एवं त्योहार ([[गणगौर]], [[बैसाखी]], [[नवरात्र]], [[रामनवमी]]) अधिकांशत अप्रॅल माह में पड़ते हैं। स्मरणीय तथ्य यह है कि [[हिन्दू|हिन्दुओं]] के पर्व एवं त्योहारों का संबंध [[ग्रेगोरी कैलंडर]] से न होकर [[विक्रम संवत]] से होता है।
====गणगौर====
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{{Main|गणगौर}}
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गणगौर अप्रैल में मनाया जाने वाला [[राजस्थान]] का सबसे लोकप्रिय पर्व है जो 18 दिनों तक चलता है। इन दिनों [[पार्वती]] के अवतार [[गौरी]] की आराधना की जाती है। इसे पूरे राजस्थान की महिलाएँ और लड़कियाँ अत्यंत श्रद्धापूर्वक मनाती हैं। गौरी की मूर्तियों को सजाया जाता है और प्रसाद अर्पित किया जाता है। इस अवसर पर [[विवाह]] के योग्य युवक - युवतियों के जीवनसाथी का चयन शुभ माना जाता है। पर्व के अंतिम दिन हर नगर में [[हाथी]] घोड़े नर्तक और बाजों गाजों से युक्त जलूस निकाले जाते हैं जो बड़े ही सुन्दर प्रतीत होते हैं।[[चित्र:Gangaur-Festival-Jodhpur-Rajasthan.jpg|thumb|left|[[गणगौर |गणगौर पूजन]], [[जोधपुर]]]]
गणगौर अप्रैल में मनाया जाने वाला [[राजस्थान]] का सबसे लोकप्रिय पर्व है जो 18 दिनों तक चलता है। इन दिनों [[पार्वती]] के अवतार [[गौरी]] की आराधना की जाती है। इसे पूरे राजस्थान की महिलाएँ और लड़कियाँ अत्यंत श्रद्धापूर्वक मनाती हैं। गौरी की मूर्तियों को सजाया जाता है और प्रसाद अर्पित किया जाता है। इस अवसर पर [[विवाह]] के योग्य युवक-युवतियों के जीवनसाथी का चयन शुभ माना जाता है। पर्व के अंतिम दिन हर नगर में [[हाथी]] घोड़े नर्तक और बाजों गाजों से युक्त जलूस निकाले जाते हैं जो बड़े ही सुन्दर प्रतीत होते हैं।[[चित्र:Gangaur-Festival-Jodhpur-Rajasthan.jpg|thumb|left|[[गणगौर |गणगौर पूजन]], [[जोधपुर]]]]
====मेवाड़ उत्सव====
====मेवाड़ उत्सव====
[[राजस्थान]] के [[उदयपुर]] में [[बसन्त ऋतु|बसन्त]] के आगमन की सूचना देने वाला यह पर्व राजस्थानी नृत्य, गीत, भक्ति संगीत, शोभा यात्राओं और आतिशबाजी के सौंदर्य से परिपूर्ण होता है। इसे गणगौर त्योहार के साथ ही उदयपुर के मनोरम वातावरण में मनाया जाता है। गणगौर की मूर्तियाँ हाथ में ले कर [[झील]] की ओर प्रस्थान करती रंगबिरंगे परिधान में सजी महिलाओं का सौदर्य देखते ही बनता है। [[पिछोला झील]] में नावों के अत्यंत अपूर्व प्रदर्शन से इस समारोह की अंत होता है।
[[राजस्थान]] के [[उदयपुर]] में [[बसन्त ऋतु|बसन्त]] के आगमन की सूचना देने वाला यह पर्व राजस्थानी नृत्य, गीत, भक्ति संगीत, शोभा यात्राओं और आतिशबाजी के सौंदर्य से परिपूर्ण होता है। इसे गणगौर त्योहार के साथ ही उदयपुर के मनोरम वातावरण में मनाया जाता है। गणगौर की मूर्तियाँ हाथ में ले कर [[झील]] की ओर प्रस्थान करती रंगबिरंगे परिधान में सजी महिलाओं का सौदर्य देखते ही बनता है। [[पिछोला झील]] में नावों के अत्यंत अपूर्व प्रदर्शन से इस समारोह की अंत होता है।
====बैसाखी====
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{{Main|बैसाखी}}
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भारतीय [[नववर्ष]] की सूचना देने वाले इस पर्व को लगभग पूरे [[भारत]] में मनाया जाता है। लेकिन बैसाखी नाम से [[पंजाब]] में मनाए जाने वाले इस त्योहार की बात ही कुछ और है। यह पर्व [[सिख|सिखों]] के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इसी दिन [[गुरु गोविंद सिंह]] ने [[खालसा]] की स्थापना की थी। सम्पूर्ण [[उत्तर भारत]] में किसान पूजा प्रार्थना तथा हर्षोल्लास के साथ इसे मनाते हैं। एक ओर प्राकृतिक सुषमा से परिपूर्ण खेत और दूसरी उत्सव और भोज के साथ-साथ [[भांगड़ा नृत्य|भांगड़ा]] की दमदार ताल का आनंद वातावरण में तैरने लगता है। मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं, पुराने बैर माफ कर दिए जाते हैं और हर तरफ हर व्यक्ति खुशी में डूबा दिखाई देता है।
भारतीय [[नववर्ष]] की सूचना देने वाले इस पर्व को लगभग पूरे [[भारत]] में मनाया जाता है। लेकिन बैसाखी नाम से [[पंजाब]] में मनाए जाने वाले इस त्योहार की बात ही कुछ और है। यह पर्व [[सिख|सिखों]] के लिए विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण होता है। इसी दिन [[गुरु गोविंद सिंह]] ने [[खालसा]] की स्थापना की थी। सम्पूर्ण [[उत्तर भारत]] में किसान पूजा प्रार्थना तथा हर्षोल्लास के साथ इसे मनाते हैं। एक ओर प्राकृतिक सुषमा से परिपूर्ण खेत और दूसरी उत्सव और भोज के साथ-साथ [[भांगड़ा नृत्य|भांगड़ा]] की दमदार ताल का आनंद वातावरण में तैरने लगता है। मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं, पुराने बैर माफ कर दिए जाते हैं और हर तरफ हर व्यक्ति खुशी में डूबा दिखाई देता है।
====विशु ====
====विशु ====
[[चित्र:Baisakhi-1.jpg|thumb|[[बैसाखी]]]]
[[चित्र:Baisakhi-1.jpg|thumb|[[बैसाखी]]]]
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[[केरल]] में इस दिन मनाए जाने वाले विशु उत्सव में आतिशबाज़ी नए कपड़ों और 'विशुकनी' की खरीदारी प्रमुख होती है। विशुकनी फूल, फल, अनाज, कपड़ा, [[सोना]] और [[रुपया|रुपयों]] से बनी एक सजावट होती है। मलयाली लोगों का विश्वास है कि सुबह [[आँख]] खुलते ही सबसे पहले इसे देखने से साल भर परिवार में संपन्नता बनी रहती है। दिया, [[नारियल]], सिक्के और पीले फूल भी शुभ वस्तुओं में गिने जाते हैं। कुछ लोग प्रात:काल ईश्वर के दर्शन करना पसन्द करते हैं और कुछ शीशे में अपना प्रतिबिंब देखना जो आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है। घर में काम करने वालों और बच्चों को नकद उपहार देने की परंपरा भी इस त्योहार में है।
[[केरल]] में इस दिन मनाए जाने वाले विशु उत्सव में आतिशबाज़ी नए कपड़ों और 'विशुकनी' की ख़रीदारी प्रमुख होती है। विशुकनी फूल, फल, अनाज, कपड़ा, [[सोना]] और [[रुपया|रुपयों]] से बनी एक सजावट होती है। मलयाली लोगों का विश्वास है कि सुबह [[आँख]] खुलते ही सबसे पहले इसे देखने से साल भर परिवार में संपन्नता बनी रहती है। दिया, [[नारियल]], सिक्के और पीले फूल भी शुभ वस्तुओं में गिने जाते हैं। कुछ लोग प्रात:काल ईश्वर के दर्शन करना पसन्द करते हैं और कुछ शीशे में अपना प्रतिबिंब देखना जो आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है। घर में काम करने वालों और बच्चों को नकद उपहार देने की परंपरा भी इस त्योहार में है।
====रंगाली बिहू====
====रंगाली बिहू====
रंगाली बिहू के नाम से [[आसाम]] में इसे सजीव नृत्य संगीत और भोज के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। आज के दिन अच्छी फसल और पशुधन की सम्पन्नता के लिए प्रार्थना की जाती है। सामुदायिक उत्सव भोज और नृत्य का आयोजन इस पर्व की विशेषताएं हैं। इस अवसर पर उनका पारंपरिक [[बिहू नृत्य]] मन मोह लेता है। [[ढोल]] की तेज ताल पर दिल की धड़कनों को बढ़ाने वाले प्रेमगीतों से ओतप्रोत इस मदमस्त [[नृत्य]] पर थिरकते युवक युवतियों के झुंड बरबस अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
रंगाली बिहू के नाम से [[आसाम]] में इसे सजीव नृत्य संगीत और भोज के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। आज के दिन अच्छी फसल और पशुधन की सम्पन्नता के लिए प्रार्थना की जाती है। सामुदायिक उत्सव भोज और नृत्य का आयोजन इस पर्व की विशेषताएं हैं। इस अवसर पर उनका पारंपरिक [[बिहू नृत्य]] मन मोह लेता है। [[ढोल]] की तेज ताल पर दिल की धड़कनों को बढ़ाने वाले प्रेमगीतों से ओतप्रोत इस मदमस्त [[नृत्य]] पर थिरकते युवक युवतियों के झुंड बरबस अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
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14:05, 21 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

अप्रॅल
अप्रॅल
अप्रॅल
विवरण ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का चौथा महीना है।
हिंदी माह चैत्र - वैशाख
हिजरी माह जमादी-उल-अव्वल - जमादी-उल-आख़िर
कुल दिन 30
व्रत एवं त्योहार गणगौर (चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया), बैसाखी (वैशाख माह की षष्ठी), विशु
जयंती एवं मेले महावीर जयन्ती, हनुमान जयन्ती, मेवाड़ उत्सव (राजस्थान में), रंगाली बिहू (असम में)
महत्त्वपूर्ण दिवस ओडिशा स्थापना दिवस (1), दांडी सत्याग्रह दिवस (6), विश्व स्वास्थ्य दिवस (7), पृथ्वी दिवस (22)
पिछला मार्च
अगला मई
अन्य जानकारी अप्रॅल वर्ष के उन चार महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 30 होती है।

अप्रॅल (अंग्रेज़ी: April) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का तीसरा महीना है। यह वर्ष के उन चार महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 30 होती है। ग्रेगोरी कैलंडर, दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक (कैलंडर) या तिथिपत्रक है। यह जूलियन कालदर्शक का रूपातंरण है। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई दिन होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित पंचांग हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों मे बाँटा गया है, और यह 20871 सप्ताह (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमें 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। इसे पोप ग्रेगोरी ने लागू किया था।

अप्रॅल माह के पर्व एवं त्योहार

निम्नलिखित पर्व एवं त्योहार (गणगौर, बैसाखी, नवरात्र, रामनवमी) अधिकांशत अप्रॅल माह में पड़ते हैं। स्मरणीय तथ्य यह है कि हिन्दुओं के पर्व एवं त्योहारों का संबंध ग्रेगोरी कैलंडर से न होकर विक्रम संवत से होता है।

गणगौर

गणगौर अप्रैल में मनाया जाने वाला राजस्थान का सबसे लोकप्रिय पर्व है जो 18 दिनों तक चलता है। इन दिनों पार्वती के अवतार गौरी की आराधना की जाती है। इसे पूरे राजस्थान की महिलाएँ और लड़कियाँ अत्यंत श्रद्धापूर्वक मनाती हैं। गौरी की मूर्तियों को सजाया जाता है और प्रसाद अर्पित किया जाता है। इस अवसर पर विवाह के योग्य युवक-युवतियों के जीवनसाथी का चयन शुभ माना जाता है। पर्व के अंतिम दिन हर नगर में हाथी घोड़े नर्तक और बाजों गाजों से युक्त जलूस निकाले जाते हैं जो बड़े ही सुन्दर प्रतीत होते हैं।

गणगौर पूजन, जोधपुर

मेवाड़ उत्सव

राजस्थान के उदयपुर में बसन्त के आगमन की सूचना देने वाला यह पर्व राजस्थानी नृत्य, गीत, भक्ति संगीत, शोभा यात्राओं और आतिशबाजी के सौंदर्य से परिपूर्ण होता है। इसे गणगौर त्योहार के साथ ही उदयपुर के मनोरम वातावरण में मनाया जाता है। गणगौर की मूर्तियाँ हाथ में ले कर झील की ओर प्रस्थान करती रंगबिरंगे परिधान में सजी महिलाओं का सौदर्य देखते ही बनता है। पिछोला झील में नावों के अत्यंत अपूर्व प्रदर्शन से इस समारोह की अंत होता है।

बैसाखी

भारतीय नववर्ष की सूचना देने वाले इस पर्व को लगभग पूरे भारत में मनाया जाता है। लेकिन बैसाखी नाम से पंजाब में मनाए जाने वाले इस त्योहार की बात ही कुछ और है। यह पर्व सिखों के लिए विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण होता है। इसी दिन गुरु गोविंद सिंह ने खालसा की स्थापना की थी। सम्पूर्ण उत्तर भारत में किसान पूजा प्रार्थना तथा हर्षोल्लास के साथ इसे मनाते हैं। एक ओर प्राकृतिक सुषमा से परिपूर्ण खेत और दूसरी उत्सव और भोज के साथ-साथ भांगड़ा की दमदार ताल का आनंद वातावरण में तैरने लगता है। मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं, पुराने बैर माफ कर दिए जाते हैं और हर तरफ हर व्यक्ति खुशी में डूबा दिखाई देता है।

विशु

बैसाखी

केरल में इस दिन मनाए जाने वाले विशु उत्सव में आतिशबाज़ी नए कपड़ों और 'विशुकनी' की ख़रीदारी प्रमुख होती है। विशुकनी फूल, फल, अनाज, कपड़ा, सोना और रुपयों से बनी एक सजावट होती है। मलयाली लोगों का विश्वास है कि सुबह आँख खुलते ही सबसे पहले इसे देखने से साल भर परिवार में संपन्नता बनी रहती है। दिया, नारियल, सिक्के और पीले फूल भी शुभ वस्तुओं में गिने जाते हैं। कुछ लोग प्रात:काल ईश्वर के दर्शन करना पसन्द करते हैं और कुछ शीशे में अपना प्रतिबिंब देखना जो आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है। घर में काम करने वालों और बच्चों को नकद उपहार देने की परंपरा भी इस त्योहार में है।

रंगाली बिहू

रंगाली बिहू के नाम से आसाम में इसे सजीव नृत्य संगीत और भोज के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। आज के दिन अच्छी फसल और पशुधन की सम्पन्नता के लिए प्रार्थना की जाती है। सामुदायिक उत्सव भोज और नृत्य का आयोजन इस पर्व की विशेषताएं हैं। इस अवसर पर उनका पारंपरिक बिहू नृत्य मन मोह लेता है। ढोल की तेज ताल पर दिल की धड़कनों को बढ़ाने वाले प्रेमगीतों से ओतप्रोत इस मदमस्त नृत्य पर थिरकते युवक युवतियों के झुंड बरबस अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

महावीर जयंती

जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर के जन्मदिन के अवसर को जैन संप्रदाय द्वारा पूरे भारत में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। जैन मंदिरों और तीर्थस्थानों में विशेष प्रार्थनाएँ अर्पित की जाती हैं।

रामनवमी

श्री राम का जन्मदिवस पूरे भारत में अत्यंत भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। रामायण का अखण्ड पाठ होता है। व्रत रखे जाते हैं। मन्दिरों में दर्शन किए जाते हैं और मध्याह्ण 12 बजे के बाद भोज का आयोजन होता है। फलाहार किया जाता है तथा गीत संगीत और भजन के कार्यक्रम भी होते हैं।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अप्रॅल माह के पर्व (हिंदी) अभिव्यक्ति। अभिगमन तिथि: 2 जून, 2013।

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