"पहेली 31 मार्च 2016": अवतरणों में अंतर

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+[[गुरु गोबिन्द सिंह]]
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-[[गुरु तेग़ बहादुर]]
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||[[चित्र:Guru Gobind Singh.jpg|150px|right|गुरु गोबिन्द सिंह]]'जफ़रनामा' [[सिक्ख|सिक्खों]] के दसवें और अंतिम [[गुरु गोबिन्द सिंह]] द्वारा लिखा गया वह पत्र है, जो उन्होंने आनन्दपुर छोड़ने के बाद सन 1706 में [[मुग़ल]] [[औरंगज़ेब|बादशाह औरंगज़ेब]] को लिखा था। इस पत्र को पढ़कर औरंगज़ेब अत्यंत प्रभावित हुआ था। इस समय बादशाह औरंगज़ेब अपने जीवन के अंतिम दिन जी रहा था। यह पत्र मूल रूप से [[फ़ारसी भाषा]] में लिखा गया था। '[[ज़फ़रनामा]]' में गुरु गोबिन्द सिंह ने औरंगज़ेब के अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाई थी। इस पत्र को 'विजय पत्र' भी कहा जाता है। नि:संदेह गुरु गोविन्द सिंह का यह पत्र आध्यात्मिकता, कूटनीति तथा शौर्य की अद्भुत त्रिवेणी है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जफ़रनामा]]]
||[[चित्र:Guru Gobind Singh.jpg|120px|right|गुरु गोबिन्द सिंह]]'जफ़रनामा' [[सिक्ख|सिक्खों]] के दसवें और अंतिम [[गुरु गोबिन्द सिंह]] द्वारा लिखा गया वह पत्र है, जो उन्होंने आनन्दपुर छोड़ने के बाद सन 1706 में [[मुग़ल]] [[औरंगज़ेब|बादशाह औरंगज़ेब]] को लिखा था। इस पत्र को पढ़कर औरंगज़ेब अत्यंत प्रभावित हुआ था। इस समय बादशाह औरंगज़ेब अपने जीवन के अंतिम दिन जी रहा था। यह पत्र मूल रूप से [[फ़ारसी भाषा]] में लिखा गया था। '[[ज़फ़रनामा]]' में गुरु गोबिन्द सिंह ने औरंगज़ेब के अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाई थी। इस पत्र को 'विजय पत्र' भी कहा जाता है। नि:संदेह गुरु गोविन्द सिंह का यह पत्र आध्यात्मिकता, कूटनीति तथा शौर्य की अद्भुत त्रिवेणी है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जफ़रनामा]]
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12:00, 15 मार्च 2016 के समय का अवतरण