"दाऊजी का हुरंगा": अवतरणों में अंतर
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'''दाऊजी का हुरंगा''' एक प्रसिद्ध उत्सव है, जो बल्देव, [[मथुरा]], [[उत्तर प्रदेश]] के प्रसिद्ध [[दाऊजी मंदिर मथुरा|दाऊजी मंदिर]] में आयोजित होता है। यह उत्सव [[होली]] के बाद मनाया जाता है। यहाँ होली खेलने वाले पुरुष हुरियारे तथा महिलाएँ हुरियारिन कहीं जाती हैं। | '''दाऊजी का हुरंगा''' एक प्रसिद्ध उत्सव है, जो बल्देव, [[मथुरा]], [[उत्तर प्रदेश]] के प्रसिद्ध [[दाऊजी मंदिर मथुरा|दाऊजी मंदिर]] में आयोजित होता है। यह उत्सव [[होली]] के बाद मनाया जाता है। यहाँ होली खेलने वाले पुरुष हुरियारे तथा महिलाएँ हुरियारिन कहीं जाती हैं। | ||
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दाऊजी का हुरंगा [[मथुरा]] के प्रसिद्ध [[ग्राम]] बल्देव में स्थित दाऊजी मंदिर में आयोजित होता है। इसमें देश के कोने-कोने से आये श्रद्धालु शामिल होते हैं। [[शेषनाग]] के अवतार कहे जाने वाले [[श्रीकृष्ण]] के बड़े भाई दाऊजी ([[बलराम]]) के | दाऊजी का हुरंगा [[मथुरा]] के प्रसिद्ध [[ग्राम]] बल्देव में स्थित दाऊजी मंदिर में आयोजित होता है। इसमें देश के कोने-कोने से आये श्रद्धालु शामिल होते हैं। [[शेषनाग]] के अवतार कहे जाने वाले [[श्रीकृष्ण]] के बड़े भाई दाऊजी ([[बलराम]]) के सान्निध्य में होने वाला हुरंगा यहां का अद्वितीय पर्व है। हुरंगा की शुरुआत दोपहर बारह बजे से होती है। | ||
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ग्वालों का समूह अपने नायक [[बलराम]] को हुरंगा खेलने का आमंत्रण देता है। इसके बाद मंदिर में हुरंगा अपने रूप को धारण करता है। गोपों का समूह हुरियारिनों पर [[रंग]] की बरसात करता है, जबकि हुरियारिन गोप समूह के वस्त्रों को फाड़कर कोड़े बनाती हैं और फिर कोड़ों की बरसात गोप समूह पर करती हैं। इस मौके पर हजारों श्रद्धालु आनंद की तरंग में मस्त होकर अबीर-[[गुलाल]] उड़ाते हैं । हुरंगा में कल्याण देव वंशज पंडा समाज ही शामिल होता है। पंडा समाज हुरंगा की महिमा का वर्णन करते हुए इस अवसर पर गायन करता है- | ग्वालों का समूह अपने नायक [[बलराम]] को हुरंगा खेलने का आमंत्रण देता है। इसके बाद मंदिर में हुरंगा अपने रूप को धारण करता है। गोपों का समूह हुरियारिनों पर [[रंग]] की बरसात करता है, जबकि हुरियारिन गोप समूह के वस्त्रों को फाड़कर कोड़े बनाती हैं और फिर कोड़ों की बरसात गोप समूह पर करती हैं। इस मौके पर हजारों श्रद्धालु आनंद की तरंग में मस्त होकर अबीर-[[गुलाल]] उड़ाते हैं । हुरंगा में कल्याण देव वंशज पंडा समाज ही शामिल होता है। पंडा समाज हुरंगा की महिमा का वर्णन करते हुए इस अवसर पर गायन करता है- | ||
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06:20, 22 मार्च 2016 के समय का अवतरण
दाऊजी का हुरंगा
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विवरण | 'दाऊजी का हुरंगा' एक धार्मिक उत्सव है, जो होली के बाद मथुरा के दाऊजी मंदिर में आयोजित किया जाता है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | मथुरा |
ग्राम | बल्देव |
मंदिर | दाऊजी मंदिर, बल्देव, मथुरा |
संबंधित लेख | होली, ब्रज में होली, होलिका दहन, होलिका, प्रह्लाद |
अन्य जानकारी | इस उत्सव में गोपों का समूह हुरियारिनों पर रंग की बरसात करता है, जबकि हुरियारिन गोप समूह के वस्त्रों को फाड़कर कोड़े बनाती हैं और फिर कोड़ों की बरसात गोप समूह पर करती हैं। |
दाऊजी का हुरंगा एक प्रसिद्ध उत्सव है, जो बल्देव, मथुरा, उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध दाऊजी मंदिर में आयोजित होता है। यह उत्सव होली के बाद मनाया जाता है। यहाँ होली खेलने वाले पुरुष हुरियारे तथा महिलाएँ हुरियारिन कहीं जाती हैं।
आयोजन स्थल
दाऊजी का हुरंगा मथुरा के प्रसिद्ध ग्राम बल्देव में स्थित दाऊजी मंदिर में आयोजित होता है। इसमें देश के कोने-कोने से आये श्रद्धालु शामिल होते हैं। शेषनाग के अवतार कहे जाने वाले श्रीकृष्ण के बड़े भाई दाऊजी (बलराम) के सान्निध्य में होने वाला हुरंगा यहां का अद्वितीय पर्व है। हुरंगा की शुरुआत दोपहर बारह बजे से होती है।
ग्वाले तथा हुरियारिनें
ग्वालों का समूह अपने नायक बलराम को हुरंगा खेलने का आमंत्रण देता है। इसके बाद मंदिर में हुरंगा अपने रूप को धारण करता है। गोपों का समूह हुरियारिनों पर रंग की बरसात करता है, जबकि हुरियारिन गोप समूह के वस्त्रों को फाड़कर कोड़े बनाती हैं और फिर कोड़ों की बरसात गोप समूह पर करती हैं। इस मौके पर हजारों श्रद्धालु आनंद की तरंग में मस्त होकर अबीर-गुलाल उड़ाते हैं । हुरंगा में कल्याण देव वंशज पंडा समाज ही शामिल होता है। पंडा समाज हुरंगा की महिमा का वर्णन करते हुए इस अवसर पर गायन करता है-
'नारायण यह नैन सुख मुख सौं कहयो न जाए ।'
हालांकि यहां मंदिर में वसंत पंचमी से ही धमार गायन के बीच अबीर-गुलाल खेलने की शुरुआत हो जाती है।[1]
रंगों का प्रयोग
दाऊजी की होरी (होली) जितनी प्रसिद्ध है, उससे कहीं ज्यादा प्रसिद्ध 'दाऊजी का हुरंगा' है, जो धुलेंडी के अगले दिन दाऊजी महाराज के मंदिर प्रांगण में खेला जाता है। इस हुरंगा की खास बात होती है, इसमें प्रयोग होने वाले रंग, जो टेसू के फूलों को पानी की होदों में भिगोकर तैयार किया जाता है। मंदिर की छत पर गुलाल से भरी बोरियाँ रखी होती हैं, जिनके उड़ाने से मंदिर प्रांगण और दाऊजी का बातावरण पूरा होरीमय हो जाता है।[2]
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चित्र वीथिका
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दाऊजी मन्दिर का हुरंगा, बलदेव
Huranga in Dauji Temple, Baldev -
दाऊजी मन्दिर का हुरंगा, बलदेव
Huranga in Dauji Temple, Baldev -
दाऊजी मन्दिर का हुरंगा, बलदेव
Huranga in Dauji Temple, Baldev -
दाऊजी मन्दिर का हुरंगा, बलदेव
Huranga in Dauji Temple, Baldev -
दाऊजी मन्दिर का हुरंगा, बलदेव
Huranga in Dauji Temple, Baldev -
दाऊजी मन्दिर का हुरंगा, बलदेव
Huranga in Dauji Temple, Baldev
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ होली- श्री दाऊजी महाराज का हुरंगा (हिन्दी) जागरण। अभिगमन तिथि: 03 मार्च, 2015।
- ↑ दाऊजी की होरी और हुरंगा (हिन्दी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 03 मार्च, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख