"प्रयोग:गोविन्द6": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 270 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
=भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971) =
{| class="bharattable-pink"
सन् [[1971]] का युद्ध [[भारत]] और [[पाकिस्तान]] के बीच एक सैन्य संघर्ष था। हथियारबंद लड़ाई के दो मोर्चों पर 14 दिनों के बाद, युद्ध पाकिस्तान सेना और पूर्वी पाकिस्तान के अलग होने की पूर्वी कमान के समर्पण के साथ खत्म हुआ, [[बांग्लादेश]] के स्वतंत्र राज्य पहचानने, 97,368 पश्चिम पाकिस्तानियों जो अपनी स्वतंत्रता के समय पूर्वी पाकिस्तान में थे, कुछ 79,700 पाकिस्तान सेना के सैनिकों और अर्द्धसैनिक बलों के कर्मियों और 12,500 नागरिकों, सहित लगभग भारत द्वारा युद्ध के कैदियों के रूप में ले जाया गया।
|-
==राजनीतिक हलचल==
!University !! Location !! Established
लड़ाई शुरू होने से दो महीने पहले [[अक्तूबर]] [[1971]] में [[नौसेना]] अध्यक्ष एडमिरल एसएम नंदा भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री [[इंदिरा गाँधी]] से मिलने गए। नौसेना की तैयारियों के बारे में बताने के बाद उन्होंने श्रीमती गांधी से पूछा अगर नौसेना [[कराची]] पर हमला करें, तो क्या इससे सरकार को राजनीतिक रूप से कोई आपत्ति हो सकती है। इंदिरा गांधी ने हाँ या न कहने के बजाए सवाल पूछा कि आप ऐसा पूछ क्यों रहे हैं। नंदा ने जवाब दिया कि [[1965]] में नौसेना से ख़ास तौर से कहा गया था कि वह भारतीय समुद्री सीमा से बाहर कोई कार्रवाई न करें, जिससे उसके सामने कई परेशानियाँ उठ खड़ी हुई थीं। इंदिरा गांधी ने कुछ देर सोचा और कहा, 'वेल एडमिरल, इफ़ देयर इज़ अ वार, देअर इज़ अ वार.' यानी अगर लड़ाई है तो लड़ाई है। एडमिरल नंदा ने उन्हें धन्यवाद दिया और कहा, ‘मैडम मुझे मेरा जवाब मिल गया।’<ref name="बी.बी.सी">{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2011/12/111216_karacjiattack_rf.shtml |title='इफ़ देअर इज़ अ वॉर, देअर इज़ अ वॉर' |accessmonthday=15 फ़रवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= बी.बी.सी. हिंदी|language=हिंदी }}</ref>
|-
==हमले की योजना==                                 
|[[Amity University]] || [[Noida]] || 2005
सील्ड लिफ़ाफ़े में हमले के आदेश [[कराची]] पर हमले की योजना बनाई गई और [[1 दिसंबर]] [[1971]] को सभी पोतों को कराची पर हमला करने के सील्ड लिफ़ाफे में आदेश दे दिए गए। पूरा वेस्टर्न फ़्लीट [[2 दिसंबर]] को [[मुंबई]] से कूच कर गया। उनसे कहा गया कि युद्ध शुरू होने के बाद ही वह उस सील्ड लिफ़ाफ़े को खोलें। योजना थी कि नौसैनिक बेड़ा दिन के दौरान कराची से 250 किलोमीटर के वृत्त पर रहेगा और शाम होते-होते उसके 150 किलोमीटर की दूरी पर पहुँच जाएगा। अंधेरे में हमला करने के बाद पौ फटने से पहले वह अपनी तीव्रतम रफ़्तार से चलते हुए कराची से 150 दूर आ जाएगा, ताकि वह पाकिस्तानी बमवर्षकों की पहुँच से बाहर आ जाए और हमला भी रूस की ओसा क्लास मिसाइल बोट से किया जाएगा। वह वहाँ खुद से चल कर नहीं जाएंगी, बल्कि उन्हें नाइलोन की रस्सियों से खींच कर ले जाया जाएगा। ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत पहला हमला निपट, निर्घट और वीर मिसाइल बोट्स ने किया। प्रत्येक मिसाइल बोट चार-चार मिसाइलों से लैस थीं। स्क्वार्डन कमांडर बबरू यादव निपट पर मौजूद थे। बाण की शक्ल बनाते हुए निपट सबसे आगे था उसके पीछे बाईं तरफ़ निर्घट था और दाहिना छोर वीर ने संभाला हुआ था। उसके ठीक पीछे आईएनएस किल्टन चल रहा था।<ref name="बी.बी.सी"/>
|-
==ख़ैबर डूबा==
|[[Babu Banarasi Das University]] || [[Lucknow]] || 2010
विजय जेरथ के नेतृत्व में कराची पर हमला हुआ था। कराची से 40 किलोमीटर दूर यादव ने अपने रडार पर हरकत महसूस की। उन्हें एक पाकिस्तानी युद्ध पोत अपनी तरफ़ आता दिखाई दिया। उस समय रात के 10 बज कर 40 मिनट हुए थे। यादव ने निर्घट को आदेश दिया कि वह अपना रास्ता बदले और पाकिस्तानी जहाज़ पर हमला करे। निर्घट ने 20 किलोमीटर की दूरी से पाकिस्तानी विध्वंसक पीएनएस ख़ैबर पर मिसाइल चलाई। ख़ैबर के नाविकों ने समझा कि उनकी तरफ़ आती हुई मिसाइल एक युद्धक विमान है। उन्होंने अपनी विमान भेदी तोपों से मिसाइल को निशाना बनाने की कोशिश की लेकिन वह अपने को मिसाइल का निशाना बनने से न रोक सके। तभी कमांडर यादव ने 17 किलोमीटर की दूरी से ख़ैबर पर एक और मिसाइल चलाने का आदेश दिया और किल्टन से भी कहा कि वह निर्घट के बग़ल में जाए। दूसरी मिसाइल लगते ही ख़ैबर की गति शून्य हो गई। पोत में आग लग गई और उससे गहरा धुँआ निकलने लगा. थोड़ी देर में ख़ैबर पानी में डूब गया. उस समय वह कराची से 35 नॉटिकल मील दूर था और समय था 11 बजकर 20 मिनट। उधर निपट ने पहले वीनस चैलेंजर पर एक मिसाइल दागी और फिर शाहजहाँ पर दूसरी मिसाइल चलाई। वीनस चैलेंजर तुरंत डूब गया जबकि शाहजहाँ को नुक़सान पहुँचा। तीसरी मिसाइल ने कीमारी के तेल टैंकर्स को निशाना बनाया जिससे दो टैंकरों में आग लग गई। इस बीच वीर ने पाकिस्तानी माइन स्वीपर पीएन एस मुहाफ़िज़ पर एक मिसाइल चलाई जिससे उसमें आग लग गई और वह बहुत तेज़ी से डूब गया। इस हमले के बाद से पाकिस्तानी नौसेना सतर्क हो गई और उसने दिन रात कराची के चारों तरफ़ छोटे विमानों से निगरानी रखनी शुरू कर दी। [[6 दिसंबर]] को नौसेना मुख्यालय ने पाकिस्तानी नौसेना का एक संदेश पकड़ा जिससे पता चला कि पाकिस्तानी वायुसेना ने एक अपने ही पोत पीएनएस ज़ुल्फ़िकार को भारतीय युद्धपोत समझते हुए उस पर ही बमबारी कर दी। पश्चिमी बेड़े के फ़्लैग ऑफ़िसर कमांडिंग एडमिरल कुरुविला ने कराची पर दूसरा मिसाइल बोट हमला करने की योजना बनाई और उसे ऑपरेशन पाइथन का नाम दिया गया।<ref name="बी.बी.सी"/>
|-
=='विनाश' का हमला==
|[[Galgotias University]] || [[Greater Noida]] || 2011
इस बार अकेली मिसाइल बोट विनाश, दो फ़्रिगेट्स त्रिशूल और तलवार के साथ गई। [[8 दिसंबर]] [[1971]] की रात 8 बजकर 45 मिनट का समय था। आईएनएस विनाश पर कमांडिंग ऑफ़िसर विजय जेरथ के नेतृत्व में 30 नौसैनिक कराची पर दूसरा हमला करने की तैयारी कर रहे थे। तभी बोट की बिजली फ़ेल हो गई और कंट्रोल ऑटोपाइलट पर चला गया। वह अभी भी बैटरी से मिसाइल चला सकते थे लेकिन वह अपने लक्ष्य को रडार से देख नहीं सकते थे। वह अपने आप को इस संभावना के लिए तैयार कर ही रहे थे कि क़रीब 11 बजे बोट की बिजली वापस आ गई। जेरथ ने रडार की तरफ़ देखा। एक पोत धीरे धीरे कराची बंदरगाह से निकल रहा था। जब वह पोत की पोज़ीशन देख ही रहे थे कि उनकी नज़र कीमारी तेल डिपो की तरफ़ गई। मिसाइल को जाँचने-परखने के बाद उन्होंने रेंज को मैनुअल और मैक्सिमम पर सेट किया और मिसाइल फ़ायर कर दी। जैसे ही मिसाइल ने तेल टैंकरों को हिट किया वहाँ जैसे प्रलय ही आ गई। जेरथ ने दूसरी मिसाइल से पोतों के एक समूह को निशाना बनाया। वहाँ खड़े एक ब्रिटिश जहाज़ हरमटौन में आग लग गई और पनामा का पोत गल्फ़ स्टार बरबाद होकर डूब गया। चौथी मिसाइल पीएनएस [[ढाका]] पर दागी गई लेकिन उसके कमांडर ने कौशल और बुद्धि का परिचय देते हुए अपने पोत को बचा लिया। लेकिन कीमारी तेल डिपो में लगी आग की लपटों को 60 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता था। ऑपरेशन ख़त्म होते ही जेरथ ने संदेश भेजा, 'फ़ोर पिजंस हैपी इन द नेस्ट. रिज्वाइनिंग.' उनको जवाब मिला, ’एफ़ 15 से विनाश के लिए: इससे अच्छी [[दिवाली]] हमने आज तक नहीं देखी.’ [[कराची]] के तेल डिपो में लगी [[आग]] को सात दिनों और सात रातों तक नहीं बुझाया जा सका। अगले दिन जब [[भारतीय वायु सेना]] के विमान चालक कराची पर बमबारी करने गए तो उन्होंने रिपोर्ट दी, ‘यह [[एशिया]] का सबसे बड़ा बोनफ़ायर था।’ कराची के ऊपर इतना धुआं था कि तीन दिनों तक वहाँ सूरज की रोशनी नहीं पहुँच सकी।<ref name="बी.बी.सी"/>
|-
==युद्ध परिणाम==
|[[GLA University]] || [[Mathura]] || 2010
[[3 दिसंबर]] [[1971]] को [[पाकिस्तान]] की ओर से भारतीय ठिकानों पर हमले के बाद भारतीय सैनिकों ने पूर्वी पाकिस्तान को मुक्त कराने का अभियान शुरू किया। [[भारतीय सेना]] के सामने [[ढाका]] को मुक्त कराने का लक्ष्य रखा ही नहीं गया। इसको लेकर भारतीय जनरलों में काफ़ी मतभेद भी थे पीछे जाती हुई पाकिस्तानी सेना ने पुलों के तोड़ कर भारतीय सेना की अभियान रोकने की कोशिश की लेकिन [[13 दिसंबर]] आते-आते भारतीय सैनिकों को ढाका की इमारतें नज़र आने लगी थीं। पाकिस्तान के पास ढाका की रक्षा के लिए अब भी 26400 सैनिक थे जबकि भारत के सिर्फ़ 3000 सैनिक ढाका की सीमा के बाहर थे, लेकिन पाकिस्तानियों का मनोबल गिरता चला जा रहा था। 1971 की लड़ाई में सीमा सुरक्षा बल और मुक्ति बाहिनी ने पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फिर भी यह एक तरफ़ा लडा़ई नहीं थी। हिली और जमालपुर सेक्टर में भारतीय सैनिकों को पाकिस्तान के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पडा। लड़ाई से पहले [[भारत]] के लिए पलायन करते पूर्वी पाकिस्तानी शरणार्थी, एक समय भारत में [[बांग्लादेश]] के क़रीब डेढ़ करोड़ शरणार्थी पहुँच गए थे। लाखों बंगालियों ने अपने घरों को छोड़ कर शरणार्थी के रूप में पड़ोसी भारत में शरण लेने का फ़ैसला किया। मुक्ति बाहिनी ने पाकिस्तानी सैनिकों पर कई जगह घात लगा कर हमला किया और पकड़ में आने पर उन्हें भारतीय सैनिकों के हवाले कर दिया। रज़ाकारों और पाकिस्तान समर्थित तत्वों को स्थानीय लोगों और मुक्ति बाहिनी का कोप भाजन बनना पड़ा।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/multimedia/2011/12/111215_1971war_gallery_pp.shtml |title=तेरह दिन का युद्ध और एक राष्ट्र का जन्म |accessmonthday=15 फ़रवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= बी.बी.सी. हिंदी|language=हिंदी }}</ref>
|-
 
|[[IFTM University]] || [[Moradabad]] || 2010
 
|-
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
|[[Integral University (Lucknow)|Integral University]] || [[Lucknow]] || 2004
<references/>
|-
==बाहरी कड़ियाँ==
|[[Invertis University]] || [[Bareilly]] || 2010
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2011/12/111214_1971_jacobiv_rf.shtml तीस मिनट में हथियार डालिए वर्ना....]
|-
==संबंधित लेख==
|[[Jagadguru Rambhadracharya Handicapped University]] || [[Chitrakoot district|Chitrakoot]] || 2001
 
|-
__INDEX__
|[[Mangalayatan University]] || [[Aligarh]] || 2006
__NOTOC__
|-
 
|[[Mohammad Ali Jauhar University]] || [[Rampur, Uttar Pradesh|Rampur]] || 2006
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
|-
 
|[[Monad University]] || [[Hapur]] || 2010
=भारत-पाकिस्तान युद्ध (1947) =
|-
[[14 अगस्त]] [[1947]] को लाखों लोगों के [[रक्त]] से [[पाकिस्तान]] ने अपने इतिहास का पहला पन्ना लिखा था। अभी वह रक्तिम स्याही सूखी भी नहीं थी कि दो महीने बाद ही [[22 अक्तूबर]], [[1947]] को पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया। आक्रमणकारी वर्दीधारी पाकिस्तानी सैनिक नहीं थे बल्कि कबाइली थे और कबाइलियों के साथ थे उन्हीं के वेश में पाकिस्तानी सेना के अधिकारी। उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांत से 5000 से अधिक कबाइली 22 अक्तूबर, 1947 को अचानक [[कश्मीर]] में घुस आए। उनके शरीर पर सेना की वर्दी भले ही नहीं थी, लेकिन हाथों में बंदूकें, मशीनगनें और मोर्टार थे। पहले हमला सीमांत स्थित नगरों दोमल और मुजफ्फराबाद पर हुआ। इसके बाद गिलगित, स्कार्दू, हाजीपीर दर्रा, पुंछ, राजौरी, झांगर, छम्ब और पीरपंजाल की पहाड़ियों पर कबाइली हमला हुआ। उनका इरादा इन रास्तों से होते हुए [[श्रीनगर]] पर कब्जा करने का था। इसी उद्देश्य से [[कश्मीर घाटी]], गुरेज सेक्टर और टिटवाल पर भी हमला किया। इस अभियान को "आपरेशन गुलमर्ग' नाम दिया गया। सबसे बड़ा हमला मुजफ्फराबाद की ओर से हुआ। एक तो यहां मौजूद राज्य पुलिस के जवान संख्या में कम थे और दूसरा पुंछ के लोग भी हमलावरों में शामिल हो गए। मुजफ्फराबाद पूरी तरह से बर्बाद हो गया। वहां के नागरिक मारे गए, महिलाओं से बलात्कार किया गया। मुजफ्फराबाद को तबाह करने के बाद कबाइलियों का अगला निशाना थे उड़ी और बारामूला। [[23 अक्तूबर]], 1947 को उड़ी में घमासान युद्ध हुआ। हमलावरों को रोकने के लिए ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में वहां मौजूद सेना उड़ी में वह पुल ध्वस्त करने में कामयाब हुई, जिससे हमलावरों को गुजरना था। एक पठान की गोली लगने से ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह वहीं शहीद हो गए। लेकिन हमलावर आगे नहीं बढ़ पाए। खीझ मिटाने के लिए उन्होंने उसी क्षेत्र में जमकर लूटपाट की, महिलाओं से बलात्कार किया।<ref name="पंचजन्य">{{cite web |url=http://panchjanya.com/arch/2001/8/19/File4.htm |title=54 साल, 4 युद्ध |accessmonthday=15 फ़रवरी |accessyear=2013 |last=गुप्ता  |first=विनीता |authorlink= |format= |publisher= पंचजन्य|language=हिंदी }}</ref>
|[[Noida International University]] || [[Greater Noida]] || 2010
==भारतीय सेना का जवाब==
|-
कश्मीर के महाराजा हरी सिंह इस अचानक हमले से स्तब्ध थे। अपने को अकेला पा रहे थे। [[24 अक्तूबर]] को उन्होंने [[भारत]] से सैनिक सहायता की अपील की। उस समय [[लार्ड माउंटबेटन]] के नेतृत्व में सुरक्षा समिति ने इस अपील पर विचार किया और कश्मीर में सेना भेजने को राजी हो गई लेकिन हमारे राजनेताओं ने कहा कि कश्मीर के भारत में आधिकारिक विलय के बिना वहां सेना नहीं भेजी जा सकती। महाराजा तक यह बात पहुंची तो उन्होंने 26 अक्तूबर को भारत में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। उसके तुरंत बाद भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर में कबाइलियों का सामना करने के लिए विमान और सड़क मार्ग से पहुंच गई। बारामूला में कर्नल रंजीत राय के नेतृत्व में सिख बटालियन काफी बहादुरी से लड़ी लेकिन [[बारामूला]] और पट्टन शहरों को नहीं बचा पाई। बारामूला में कर्नल राय शहीद हो गए बाद में उन्हें [[महावीर चक्र]] से अलंकृत किया गया। बारामूला में भारत के 109 जवान शहीद हुए और 369 घायल हुए। उधर श्रीनगर की [[वायुसेना]] पट्टी की ओर तेजी से बढ़ रहे हमलावरों को 4 कुमाऊं रेजीमेंट के मेजर सोमनाथ शर्मा के नेतृत्व में मात्र एक कम्पनी ने रोका। इसी कार्रवाई में मेजर शर्मा शहीद हुए और मरणोपरान्त उन्हें भारत का पहला [[परमवीर चक्र]] दिया गया।<ref name="पंचजन्य"/>
|[[Sharda University]] || [[Greater Noida]] || 2009
==युद्ध विराम की घोषणा==
|-
वर्ष 1947 में [[नवम्बर]] का महीना आते-आते [[भारतीय सेना]] ने कबाइलियों को घाटी से लगभग खदेड़ दिया। मीरपुर-कोटली और पुंछ तक ही वे सीमित रह गए। लेकिन इसी दौरान पाकिस्तानी सेना प्रत्यक्ष रूप से उड़ी, टिटवाल और कश्मीर के अन्य सेक्टरों में युद्ध के लिए पहुंच गई। [[कारगिल]] में भी पाकिस्तानी सेना ने धावा बोल दिया। इस ऊंचाई पर कारगिल और [[जोजिला दर्रा|जोजिला दर्रे]] पर हमारे सैनिकों और टैंकों ने कमाल दिखाया और दुश्मन भाग खड़ा हुआ। [[9 नवम्बर]] को 161 इंनफेंटरी ब्रिगेड ने बारामूला को आक्रमणकारियों से मुक्त कराया और चार दिन बाद उड़ी से हमलावरों को भागना पड़ा। इस प्रकार भारतीय सेना ने कश्मीर बचाने का अपना प्राथमिक लक्ष्य हासिल कर लिया। लेकिन पाकिस्तान ने [[जम्मू-कश्मीर]] के कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया। हमारी सेना ने [[14 सितम्बर]] [[1948]] को जोजिला की दुर्गम ऊंचाइयों पर विजय प्राप्त कर [[लेह]] को सुरक्षित बचा लिया। इधर हमारी सेनाएं दुश्मन से जूझ रही थीं उधर [[30 दिसम्बर]] 1947 को [[भारत के प्रधानमंत्री]] [[ जवाहरलाल नेहरू|पं. जवाहरलाल नेहरू]] संयुक्त राष्ट्र में इस मामले को ले गए। विचार-विमर्श शुरू हुआ इधर [[13 अगस्त]], [[1948]] को संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव पारित किया और [[1 जनवरी]] [[1949]] को युद्धविराम की घोषणा हो गई। जो सेनाएं जिस क्षेत्र में थीं, उसे युद्ध विराम रेखा मान लिया गया। तब तक हमारी सेनाओं ने पाकिस्तानी सेना और कबाइलियों द्वारा कब्जाए गए 842,583 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर दुबारा कब्जा कर लिया था। हमारी सेनाएं और आगे बढ़ रही थीं कि युद्ध विराम की घोषणा हो गई और जम्मू-कश्मीर का कुछ भाग पाकिस्तान के कब्जे में चला गया जिसे आज पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहा जाता है। गिलगित, मीरपुर, मुजफ्फराबाद, बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का कब्जा हो गया।<ref name="पंचजन्य"/>
|[[Shiv Nadar University]] || [[Greater Noida]] || 2011
==सैनिक शहीद==
|-
1947-48 में 14 महीने चले इस युद्ध में 1,500 सैनिक शहीद हुए, 3500 घायल हुए और 1000 लापता हुए। अधिकांश लापता युद्धबंदी के रूप में पाकिस्तान ले जाए गए। पाकिस्तान की ओर से अनुमानत: 20,000 लोग इससे प्रभावित हुए और 6000 मारे गए।<ref name="पंचजन्य"/>
|[[Shobhit University]] || [[Gangoh]] || 2012
 
|-
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
|[[Shri Venkateshwara University]] || [[Gajraula]] || 2010
<references/>
|-
==बाहरी कड़ियाँ==
|[[Swami Vivekanand Subharti University]] || [[Meerut]] || 2008
 
|-
==संबंधित लेख==
|[[Teerthanker Mahaveer University]] || [[Moradabad]] || 2008
 
|}
__INDEX__
== List of colleges affiliated to UPTU in Mathura ==
__NOTOC__
{| class="bharattable sortable"
 
! S.No !! Institute Code !! Name of the Institution !! Course – Wise Total Seats
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
|-
|| 1
|| 064
|| [[Hindustan College of Science and Technology]], Farah
|| B.Tech: 1290, MBA: 120
|-
|| 2
|| 065
|| [[B.S.A. College of Engineering & Technology]]
|| B.Tech: 600, MBA: 60, MCA: 60
|-
|| 3
|| 066
|| Rajeev Academy for Pharmacy
|| B.Pharma: 60
|-
|| 4
|| 067
|| Hindustan Institute of Management & Computer Studies
|| MBA: 120, MCA: 90
|-
|| 5
|| 126
|| Sachdeva Institute of Technology
|| B.Tech: 540+120(2nd shift), MBA: 120
|-
|| 6
|| 173
|| Rajeev Academy for Technology & Management
|| MBA: 180, MCA: 60
|-
|| 7
|| 239
|| Ishwarchand Vidyasagar Institute of Technology, Akbarpur
|| B.Tech: 420, MBA: 60
|-
|| 8
|| 252
|| Sanjay Institute of Engineering & Management
|| B.Tech: 420, MBA:60, MCA: 60
|-
|| 9
|| 267
|| Sanjay College of Pharmacy
|| B.Pharma: 60
|-
|| 10
|| 289
|| Institute of Engineering & Management
|| B.Tech: 300, MBA: 60
|-
|| 11
|| 308
|| Ishwarchand Vidyasagar Institute of Management, Akbarpur
|| MBA: 60
|-  
|| 12
|| 365
|| Ganeshi Lal Narayandas Agarwal Institute of Technology, 17&nbsp;km., Mathura-Delhi Highway
|| B.Tech: 300
|-
|| 13
|| 366
|| Nikhil Institute of Engineering & Management, Hatawali Road, Farah
|| B.Tech: 390, MBA: 120
|-
|| 14
|| 367
|| Bon Maharaj Engineering College, Brindawan
|| B.Tech: 420, MBA: 60
|-
|| 15
|| 368
|| Excel Institute of Management & Technology, Chhata
|| B.Tech: 420, MBA: 60
|-
|| 16
|| 443
|| Excel School of Business, Chhata
|| MBA: 180+60(2nd shift)
|-
|| 17
|| 471
|| Eshan College of Engineering, Agra-Mathura Highway
|| B.Tech: 420
|-
|| 18
|| 503
|| P.K. Institute of Technology & Management, Birhana
|| B.Tech: 420, MBA: 60
|-
|| 19
|| 509
|| Shri Girraj Maharaj College of Engineering & Management, Mudesi
|| B.Tech: 300
|-
|| 20
|| 511
|| G.L. Group of Institutions, Mathura Delhi Highway
|| B.Tech: 420, B.Arch: 80, MBA: 60
|-
|| 21
|| 532
|| Murli Manohar Agarwal Institute of Technology, Akbarpur
|| B.Tech: 240
|-
|| 22
|| 536
|| Shree Jee Baba Institute of Professional Studies, Semari Chata
|| MBA: 60
|-  
|| 23
|| 543
|| Baba Kadhera Singh College of Engineering & Technology, Sonkh – Goverdhan Road
|| B.Tech: 300
|-  
|| 24
|| 565
|| Shri Giriraj Maharaj College, Near Govardhan, Krishna Nagar
|| MBA: 60
|-
|| 25
|| 581
|| Shri Giriraj Maharaj Institute of Management, Mundesi Kosi Khurd
|| MBA: 120
|-  
|| 26
|| 602
|| Aashlar Business School, Mahuan, Near Toll Plaza
|| MBA: 180
|-  
|| 27
|| 605
|| Unnati Management College, Daulatpur, Farah
|| MBA: 180
|-
|| 28
|| 624
|| Al Haaj A R Sani Institute of Management and Technology
||
|-
|| 29
|| 655
|| Sanskriti Institute of Management & Technology
|| B.Tech: 480
|-
|| 30
|| 656
|| G L Bajaj Group of Institutions
|| B.Arch: 80, MBA: 60
|-
|| 31
|| 668
|| Edify Institute of Management & Technology
|| MBA: 120
|-
|| 32
|| 693
|| Sanskriti School of Business
|| MBA: 120
|-
|| 33
|| 694
|| Sanskriti Institute of Hotel Management
|| BHMCT: 120
|-
|| 34
|| 704
|| Shree jee Goverdhan Maharaj College of Professional Studies
|| MBA: 120
|-
|| 35
|| 781
|| Hardayal Technical Campus
|| B.Tech: 420, B.Arch: 180, MBA: 180
|-
|| 36
|| 809
|| P.K. Institute of Technology & Management
|| MBA: 60
|}

14:41, 22 मई 2016 के समय का अवतरण

University Location Established
Amity University Noida 2005
Babu Banarasi Das University Lucknow 2010
Galgotias University Greater Noida 2011
GLA University Mathura 2010
IFTM University Moradabad 2010
Integral University Lucknow 2004
Invertis University Bareilly 2010
Jagadguru Rambhadracharya Handicapped University Chitrakoot 2001
Mangalayatan University Aligarh 2006
Mohammad Ali Jauhar University Rampur 2006
Monad University Hapur 2010
Noida International University Greater Noida 2010
Sharda University Greater Noida 2009
Shiv Nadar University Greater Noida 2011
Shobhit University Gangoh 2012
Shri Venkateshwara University Gajraula 2010
Swami Vivekanand Subharti University Meerut 2008
Teerthanker Mahaveer University Moradabad 2008

List of colleges affiliated to UPTU in Mathura

S.No Institute Code Name of the Institution Course – Wise Total Seats
1 064 Hindustan College of Science and Technology, Farah B.Tech: 1290, MBA: 120
2 065 B.S.A. College of Engineering & Technology B.Tech: 600, MBA: 60, MCA: 60
3 066 Rajeev Academy for Pharmacy B.Pharma: 60
4 067 Hindustan Institute of Management & Computer Studies MBA: 120, MCA: 90
5 126 Sachdeva Institute of Technology B.Tech: 540+120(2nd shift), MBA: 120
6 173 Rajeev Academy for Technology & Management MBA: 180, MCA: 60
7 239 Ishwarchand Vidyasagar Institute of Technology, Akbarpur B.Tech: 420, MBA: 60
8 252 Sanjay Institute of Engineering & Management B.Tech: 420, MBA:60, MCA: 60
9 267 Sanjay College of Pharmacy B.Pharma: 60
10 289 Institute of Engineering & Management B.Tech: 300, MBA: 60
11 308 Ishwarchand Vidyasagar Institute of Management, Akbarpur MBA: 60
12 365 Ganeshi Lal Narayandas Agarwal Institute of Technology, 17 km., Mathura-Delhi Highway B.Tech: 300
13 366 Nikhil Institute of Engineering & Management, Hatawali Road, Farah B.Tech: 390, MBA: 120
14 367 Bon Maharaj Engineering College, Brindawan B.Tech: 420, MBA: 60
15 368 Excel Institute of Management & Technology, Chhata B.Tech: 420, MBA: 60
16 443 Excel School of Business, Chhata MBA: 180+60(2nd shift)
17 471 Eshan College of Engineering, Agra-Mathura Highway B.Tech: 420
18 503 P.K. Institute of Technology & Management, Birhana B.Tech: 420, MBA: 60
19 509 Shri Girraj Maharaj College of Engineering & Management, Mudesi B.Tech: 300
20 511 G.L. Group of Institutions, Mathura Delhi Highway B.Tech: 420, B.Arch: 80, MBA: 60
21 532 Murli Manohar Agarwal Institute of Technology, Akbarpur B.Tech: 240
22 536 Shree Jee Baba Institute of Professional Studies, Semari Chata MBA: 60
23 543 Baba Kadhera Singh College of Engineering & Technology, Sonkh – Goverdhan Road B.Tech: 300
24 565 Shri Giriraj Maharaj College, Near Govardhan, Krishna Nagar MBA: 60
25 581 Shri Giriraj Maharaj Institute of Management, Mundesi Kosi Khurd MBA: 120
26 602 Aashlar Business School, Mahuan, Near Toll Plaza MBA: 180
27 605 Unnati Management College, Daulatpur, Farah MBA: 180
28 624 Al Haaj A R Sani Institute of Management and Technology
29 655 Sanskriti Institute of Management & Technology B.Tech: 480
30 656 G L Bajaj Group of Institutions B.Arch: 80, MBA: 60
31 668 Edify Institute of Management & Technology MBA: 120
32 693 Sanskriti School of Business MBA: 120
33 694 Sanskriti Institute of Hotel Management BHMCT: 120
34 704 Shree jee Goverdhan Maharaj College of Professional Studies MBA: 120
35 781 Hardayal Technical Campus B.Tech: 420, B.Arch: 180, MBA: 180
36 809 P.K. Institute of Technology & Management MBA: 60