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[[जाम्बवान|जाम्बवान्‌]] और नील आदि सबको [[राम|श्री रघुनाथजी]] ने स्वयं भूषण-वस्त्र पहनाए। वे सब अपने [[हृदय|हृदयों]] में [[राम|श्री रामचंद्रजी]] के रूप को धारण करके उनके चरणों में [[मस्तक]] नवाकर चले॥17 (क)॥  
[[जाम्बवान|जाम्बवान्‌]] और नील आदि सबको [[राम|श्री रघुनाथजी]] ने स्वयं भूषण-वस्त्र पहनाए। वे सब अपने [[हृदय|हृदयों]] में [[राम|श्री रामचंद्रजी]] के रूप को धारण करके उनके चरणों में मस्तक नवाकर चले॥17 (क)॥  


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04:38, 10 जून 2016 के समय का अवतरण

जामवंत नीलादि सब
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड उत्तरकाण्ड
दोहा

जामवंत नीलादि सब पहिराए रघुनाथ।
हियँ धरि राम रूप सब चले नाइ पद माथ॥17 क॥

भावार्थ

जाम्बवान्‌ और नील आदि सबको श्री रघुनाथजी ने स्वयं भूषण-वस्त्र पहनाए। वे सब अपने हृदयों में श्री रामचंद्रजी के रूप को धारण करके उनके चरणों में मस्तक नवाकर चले॥17 (क)॥


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जामवंत नीलादि सब
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दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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