"पहेली 29 जून 2016": अवतरणों में अंतर

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-[[लक्ष्मी नारायण मिश्र]]
-[[लक्ष्मी नारायण मिश्र]]
-[[गोविन्द चन्द्र पाण्डे]]
-[[गोविन्द चन्द्र पाण्डे]]
||[[चित्र:PanditShraddha.jpg|right|150px|पंडित श्रद्धाराम शर्मा]]'पंडित श्रद्धाराम शर्मा' एक प्रसिद्ध ज्योतिषी थे, किन्तु एक ज्योतिषी के रूप में उन्हें वह प्रसिद्धि नहीं मिली, जो इनके द्वारा लिखी गई अमर आरती "[[ओम जय जगदीश हरे]]" के कारण मिली। सम्पूर्ण [[भारत]] में [[पंडित श्रद्धाराम शर्मा]] द्वारा लिखित 'ओम जय जगदीश हरे' की आरती गाई जाती है। श्रद्धाराम शर्मा जी ने इस आरती की रचना 1870 ई. में की थी। पंडित जी सनातन धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और संगीतज्ञ होने के साथ-साथ [[हिन्दी]] और [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]] के प्रसिद्ध साहित्यकार भी थे। अपनी विलक्षण प्रतिभा और ओजस्वी वाक्पटुता के बल पर उन्होंने [[पंजाब]] में नवीन सामाजिक चेतना एवं धार्मिक उत्साह जगाया था, जिससे आगे चलकर [[आर्य समाज]] के लिये पहले से निर्मित एक उर्वर भूमि मिली।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पंडित श्रद्धाराम शर्मा]]
||[[चित्र:PanditShraddha.jpg|right|120px|पंडित श्रद्धाराम शर्मा]]'पंडित श्रद्धाराम शर्मा' एक प्रसिद्ध ज्योतिषी थे, किन्तु एक ज्योतिषी के रूप में उन्हें वह प्रसिद्धि नहीं मिली, जो इनके द्वारा लिखी गई अमर आरती "[[ओम जय जगदीश हरे]]" के कारण मिली। सम्पूर्ण [[भारत]] में [[पंडित श्रद्धाराम शर्मा]] द्वारा लिखित 'ओम जय जगदीश हरे' की आरती गाई जाती है। श्रद्धाराम शर्मा जी ने इस आरती की रचना 1870 ई. में की थी। पंडित जी सनातन धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और संगीतज्ञ होने के साथ-साथ [[हिन्दी]] और [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]] के प्रसिद्ध साहित्यकार भी थे। अपनी विलक्षण प्रतिभा और ओजस्वी वाक्पटुता के बल पर उन्होंने [[पंजाब]] में नवीन सामाजिक चेतना एवं धार्मिक उत्साह जगाया था, जिससे आगे चलकर [[आर्य समाज]] के लिये पहले से निर्मित एक उर्वर भूमि मिली।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पंडित श्रद्धाराम शर्मा]]
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