"गयउ मोर संदेह सुनेउँ": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 43: | पंक्ति 43: | ||
{{लेख क्रम4| पिछला=कथा समस्त भुसुंड बखानी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=मोहि भयउ अति मोह प्रभु}} | {{लेख क्रम4| पिछला=कथा समस्त भुसुंड बखानी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=मोहि भयउ अति मोह प्रभु}} | ||
'''सोरठा'''-मात्रिक [[छंद]] है और यह '[[दोहा]]' का ठीक उल्टा होता है। इसके विषम चरणों (प्रथम और तृतीय) में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है। | '''सोरठा'''- मात्रिक [[छंद]] है और यह '[[दोहा]]' का ठीक उल्टा होता है। इसके विषम चरणों (प्रथम और तृतीय) में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
09:52, 29 जून 2016 के समय का अवतरण
गयउ मोर संदेह सुनेउँ
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | उत्तरकाण्ड |
सभी (7) काण्ड क्रमश: | बालकाण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड, उत्तरकाण्ड |
गयउ मोर संदेह सुनेउँ सकल रघुपति चरित। |
- भावार्थ
श्री रघुनाथजी के सब चरित्र मैंने सुने, जिससे मेरा संदेह जाता रहा। हे काकशिरोमणि! आपके अनुग्रह से श्री रामजी के चरणों में मेरा प्रेम हो गया॥68 (क)॥
गयउ मोर संदेह सुनेउँ |
सोरठा- मात्रिक छंद है और यह 'दोहा' का ठीक उल्टा होता है। इसके विषम चरणों (प्रथम और तृतीय) में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (उत्तरकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-506
संबंधित लेख