"पहेली 18 जुलाई 2016": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{| class="bharattable-green" width="100%" |- | right|100px <quiz display=simple> {"मेरी ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
-[[राजा राममोहन राय]]
-[[राजा राममोहन राय]]
-[[रामकृष्ण परमहंस]]
-[[रामकृष्ण परमहंस]]
||[[चित्र:Purushottam Das Tandon.jpg|right|100px|border|स्वामी दयानन्द]]'स्वामी दयानन्द' [[आर्य समाज]] के प्रवर्तक और प्रखर सुधारवादी संन्यासी थे। [[दयानंद सरस्वती|स्वामी दयानंद सरस्वती]] ने अपने विचारों के प्रचार के लिए [[हिन्दी|हिन्दी भाषा]] को अपनाया। उनकी सभी रचनाएं और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ '[[सत्यार्थ प्रकाश]]' मूल रूप में हिन्दी भाषा में लिखा गया। उनका कहना था - "मेरी आँख तो उस दिन को देखने के लिए तरस रही है। जब [[कश्मीर]] से [[कन्याकुमारी]] तक सब भारतीय एक [[भाषा]] बोलने और समझने लग जाएंगे।" स्वामी जी धार्मिक संकीर्णता और पाखंड के विरोधी थे। अत: कुछ लोग उनसे शत्रुता भी करने लगे थे। इन्हीं में से किसी ने [[1883]] ई. में [[दूध]] में कांच पीसकर पिला दिया जिससे आपका देहांत हो गया। आज भी उनके अनुयायी देश में शिक्षा आदि का महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।
||[[चित्र:Dayanand-Saraswati.jpg|right|100px|border|स्वामी दयानन्द]]'स्वामी दयानन्द' [[आर्य समाज]] के प्रवर्तक और प्रखर सुधारवादी संन्यासी थे। [[दयानंद सरस्वती|स्वामी दयानंद सरस्वती]] ने अपने विचारों के प्रचार के लिए [[हिन्दी|हिन्दी भाषा]] को अपनाया। उनकी सभी रचनाएं और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ '[[सत्यार्थ प्रकाश]]' मूल रूप में हिन्दी भाषा में लिखा गया। उनका कहना था - "मेरी आँख तो उस दिन को देखने के लिए तरस रही है। जब [[कश्मीर]] से [[कन्याकुमारी]] तक सब भारतीय एक [[भाषा]] बोलने और समझने लग जाएंगे।" स्वामी जी धार्मिक संकीर्णता और पाखंड के विरोधी थे। अत: कुछ लोग उनसे शत्रुता भी करने लगे थे। इन्हीं में से किसी ने [[1883]] ई. में [[दूध]] में कांच पीसकर पिला दिया जिससे आपका देहांत हो गया। आज भी उनके अनुयायी देश में शिक्षा आदि का महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्वामी दयानन्द]]
{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्वामी दयानन्द]]
</quiz>
</quiz>



13:28, 9 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

"मेरी आँख तो उस दिन को देखने के लिए तरस रही है, जब कश्मीर से कन्याकुमारी तक सब भारतीय एक भाषा बोलने और समझने लग जाएंगे।" यह कथन किस महापुरुष का है?

स्वामी विवेकानन्द
स्वामी दयानन्द
राजा राममोहन राय
रामकृष्ण परमहंस



पहेली 17 जुलाई 2016 पहेली 18 जुलाई 2016 पहेली 19 जुलाई 2016


सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान