"भामती": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''भामती''' [[वाचस्पति मिश्र]] द्वारा रचित ग्रंथ है, जो [[आदि शंकराचार्य]] कृत '[[ब्रह्मसूत्र]]' के भाष्य की विख्यात [[टीका]] है। यह मूल के समान अपना गौरव रखती है। | |||
*इसके रचयिता दार्शनिकपंचानन वाचस्पति मिश्र (नवीं शताब्दी) थे। इनकी [[तत्त्वकौमुदी]] भी विख्यात टीका है। | *इसके रचयिता दार्शनिकपंचानन वाचस्पति मिश्र (नवीं शताब्दी) थे। इनकी [[तत्त्वकौमुदी]] भी विख्यात टीका है। | ||
*शांकर मत को समझने के लिए इसका अध्ययन अनिवार्य समझा जाता है। | *शांकर मत को समझने के लिए इसका अध्ययन अनिवार्य समझा जाता है। | ||
*अद्वैतवाद का यह प्रमाणिक ग्रन्थ है। | *भामती '[[अद्वैतवाद]]' का यह प्रमाणिक ग्रन्थ है। | ||
==कथा== | ==कथा== | ||
ग्रन्थ के नामकरण की एक कथा है। वाचस्पति मिश्र की पत्नी का नाम भामती था। ग्रन्थ प्रणयन के समय वह मिश्रजी की सेवा करती रहीं, परन्तु वे स्वयं ग्रन्थ की रचना में इतने तल्लीन रहते थे कि उनकों ही भूल गए। ग्रन्थ समाप्ति पर भामती ने व्यंग्य से इसकी शिक़ायत की। वाचस्पति ने उनको सन्तुष्ट करने के लिए ग्रन्थ का नाम 'भामती' रख दिया। | ग्रन्थ के नामकरण की एक [[कथा]] है। वाचस्पति मिश्र की पत्नी का नाम भामती था। ग्रन्थ प्रणयन के समय वह मिश्रजी की सेवा करती रहीं, परन्तु वे स्वयं ग्रन्थ की रचना में इतने तल्लीन रहते थे कि उनकों ही भूल गए। ग्रन्थ समाप्ति पर भामती ने व्यंग्य से इसकी शिक़ायत की। वाचस्पति ने उनको सन्तुष्ट करने के लिए ग्रन्थ का नाम 'भामती' रख दिया। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | |||
[[Category: | [[Category:दर्शन]][[Category:संस्कृति]][[Category:संस्कृति कोश]][[Category:भारतीय संस्कृति के प्रतीक]][[Category:दर्शन कोश]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
14:17, 13 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
भामती वाचस्पति मिश्र द्वारा रचित ग्रंथ है, जो आदि शंकराचार्य कृत 'ब्रह्मसूत्र' के भाष्य की विख्यात टीका है। यह मूल के समान अपना गौरव रखती है।
- इसके रचयिता दार्शनिकपंचानन वाचस्पति मिश्र (नवीं शताब्दी) थे। इनकी तत्त्वकौमुदी भी विख्यात टीका है।
- शांकर मत को समझने के लिए इसका अध्ययन अनिवार्य समझा जाता है।
- भामती 'अद्वैतवाद' का यह प्रमाणिक ग्रन्थ है।
कथा
ग्रन्थ के नामकरण की एक कथा है। वाचस्पति मिश्र की पत्नी का नाम भामती था। ग्रन्थ प्रणयन के समय वह मिश्रजी की सेवा करती रहीं, परन्तु वे स्वयं ग्रन्थ की रचना में इतने तल्लीन रहते थे कि उनकों ही भूल गए। ग्रन्थ समाप्ति पर भामती ने व्यंग्य से इसकी शिक़ायत की। वाचस्पति ने उनको सन्तुष्ट करने के लिए ग्रन्थ का नाम 'भामती' रख दिया।
|
|
|
|
|