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||'अंगद' वानरों के बलशाली [[बालि|राजा बालि]] के पुत्र थे। बालि अपने पुत्र [[अंगद]] से सर्वाधिक प्रेम करता था। अंगद परम बुद्धिमान, अपने [[पिता]] के समान बलशाली तथा श्रीराम के परम [[भक्त]] थे। अपने छोटे भाई [[सुग्रीव]] की पत्नी और उसका सर्वस्व हरण करने के अपराध में श्रीराम के हाथों बालि की मृत्यु हुई। मरते समय बालि ने श्रीराम को ईश्वर के रूप में पहचाना और अपने पुत्र [[अंगद]] को उनके चरणों में सेवक के रूप में समर्पित कर दिया। भगवान श्रीराम को अंगद के शौर्य और बुद्धिमत्ता पर पूर्ण विश्वास था। इसीलिये उन्होंने [[रावण]] की सभा में युवराज अंगद को अपना दूत बनाकर भेजा और यह कहलवाया कि "यदि रावण [[सीता]] को सम्मान सहित वापस लौटा दे तो वह युद्ध नहीं करेंगे।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अंगद]] | ||[[चित्र:Sugriva-Angada.jpg|right|100px|border|सुग्रीव और अंगद]]'अंगद' वानरों के बलशाली [[बालि|राजा बालि]] के पुत्र थे। बालि अपने पुत्र [[अंगद]] से सर्वाधिक प्रेम करता था। अंगद परम बुद्धिमान, अपने [[पिता]] के समान बलशाली तथा [[राम|श्रीराम]] के परम [[भक्त]] थे। अपने छोटे भाई [[सुग्रीव]] की पत्नी और उसका सर्वस्व हरण करने के अपराध में श्रीराम के हाथों बालि की मृत्यु हुई। मरते समय बालि ने श्रीराम को ईश्वर के रूप में पहचाना और अपने पुत्र [[अंगद]] को उनके चरणों में सेवक के रूप में समर्पित कर दिया। भगवान श्रीराम को अंगद के शौर्य और बुद्धिमत्ता पर पूर्ण विश्वास था। इसीलिये उन्होंने [[रावण]] की सभा में युवराज अंगद को अपना दूत बनाकर भेजा और यह कहलवाया कि "यदि रावण [[सीता]] को सम्मान सहित वापस लौटा दे तो वह युद्ध नहीं करेंगे।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अंगद]] | ||
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