"लक्ष्मी नारायण उपाध्याय": अवतरणों में अंतर

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'''डॉ. लक्ष्मी नारायण उपाध्याय''' का जन्म 1 सितम्बर 1901 को [[अलीगढ़]] के एक संपन्न परिवार में हुआ। इन्होंने अनेक विषयों में स्नातकोत्तर की उपाधियाँ प्राप्त की। [[भूगोल]] में किये गए शोध पर डाक्टरेट की उपाधी से विभूषित किये गए। अनेक वर्षों तक [[पंजाब]] एवं [[राजस्थान]] के महाविद्यालयों में भूगोल के विभागाध्यक्ष रहते हुए भूगोल में अनेक शोध-पत्रों का संपादन एवं मार्गदर्शन किया। पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरष्कार से सम्मानित किये गए। जीवन के आखरी पड़ाव पर आकार [[गीता]] पर आधारित सारगर्भित भाषा-काव्य एवं अनेक अन्य ग्रंथों का प्रणयन किया। लक्ष्मी नारायण उपाध्याय मिमिक्री के भी बहुत उच्च-कोटि के कलाकार थे। अपने जीवन काल में इन्होंने अनेक संस्थानों का पल्लवन किया।  
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*लक्ष्मी नारायण जी मिमिक्री के भी बहुत उच्च-कोटि के कलाकार थे। अपने जीवन काल में उन्होंने अनेक संस्थानों का पल्लवन किया।




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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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लक्ष्मी नारायण उपाध्याय
लक्ष्मी नारायण उपाध्याय
लक्ष्मी नारायण उपाध्याय
पूरा नाम लक्ष्मी नारायण उपाध्याय
जन्म 1 सितम्बर, 1901
जन्म भूमि अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
कर्म भूमि भारत
पुरस्कार-उपाधि 'इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार'
प्रसिद्धि भूगोलवेत्ता
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी जीवन के आखरी पड़ाव पर आकार लक्ष्मी नारायण उपाध्याय ने 'गीता' पर आधारित सारगर्भित भाषा-काव्य एवं अनेक अन्य ग्रंथों का प्रणयन किया।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

डॉ. लक्ष्मी नारायण उपाध्याय (जन्म- 1 सितम्बर, 1901, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश) एक जानेमाने भूगोलवेत्ता थे। पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए इन्हें 'इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।

  • लक्ष्मी नारायण उपाध्याय का जन्म अलीगढ़ के एक संपन्न परिवार में हुआ था।
  • इन्होंने अनेक विषयों में स्नातकोत्तर की उपाधियाँ प्राप्त की थीं। भूगोल में किये गए इनके शोध कार्य के लिए इन्हें 'डाक्टरेट' की उपाधि से विभूषित किया गया था।
  • अनेक वर्षों तक पंजाब एवं राजस्थान के महाविद्यालयों में भूगोल के विभागाध्यक्ष रहते हुए भूगोल में अनेक शोध-पत्रों का संपादन एवं मार्गदर्शन भी इन्होंने किया।
  • पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए 'इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार' से सम्मानित किये गए थे।
  • जीवन के आखरी पड़ाव पर आकार लक्ष्मी नारायण उपाध्याय ने 'गीता' पर आधारित सारगर्भित भाषा-काव्य एवं अनेक अन्य ग्रंथों का प्रणयन किया।
  • लक्ष्मी नारायण जी मिमिक्री के भी बहुत उच्च-कोटि के कलाकार थे। अपने जीवन काल में उन्होंने अनेक संस्थानों का पल्लवन किया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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