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{वह स्तूप स्थल कौन-सा है, जिसका सम्बंध [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] के जीवन की किसी घटना से नहीं रहा?  
{[[शेरशाह]] के शासन काल में बनी '[[ग्रैण्ड ट्रंक रोड]]' को किस नाम से जाना जाता है?
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-[[सारनाथ]]
+सड़क-ए-आज़म
+[[साँची]]
-सड़क-ए-बहिश्त
-[[बोधगया]]
-सड़क-ए-शेरशाह
-[[कुशीनारा]]
-सड़क-ए-सादात
||[[चित्र:Sanchi-Stupa.jpg|right|100px|border|साँची स्तूप]]'साँची' [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश|मध्य प्रदेश राज्य]] के [[रायसेन|रायसेन ज़िले]] में स्थित एक छोटा सा गांव है। यह [[भोपाल]] से 46 कि.मी. पूर्वोत्तर में तथा बेसनगर और [[विदिशा]] से 10 कि.मी. की दूरी पर मध्य प्रदेश के मध्य भाग में है। यहाँ बौद्ध स्मारक हैं, जो कि तीसरी शताब्दी ई.पू. से बारहवीं शताब्दी के बीच के हैं। यहाँ एक [[स्तूप]] स्थित है। इस स्तूप को घेरे हुए कई तोरण भी हैं। यह प्रेम, शांति, विश्वास और साहस का प्रतीक है। [[साँची]] का स्तूप, [[अशोक|सम्राट अशोक महान]] ने तीसरी शती, ई.पू. में बनवाया था। इसका केन्द्र, एक सामान्य अर्द्धगोलाकार, ईंट निर्मित ढांचा था, जो कि [[बुद्ध]] के कुछ अवशेषों पर बना था। इसके शिखर पर एक छत्र था, जो कि स्मारक को दिये गये सम्मान का प्रतीक था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[साँची]]
||[[चित्र:Grand-Trunk-Road.jpg|right|100px|border|ग्रैण्ड ट्रंक रोड]]'ग्रैण्ड ट्रंक रोड' का निर्माण [[शेरशाह सूरी]] ने करवाया था। शेरशाह ने [[बंगाल]] के सोनागाँव से [[सिंध प्रांत]] तक दो हज़ार मील लंबी पक्की सड़क बनवाई थी, ताकि यातायात की उत्तम व्यवस्था हो सके। साथ ही उसने यात्रियों एवं व्यापारियों की सुरक्षा का भी संतोषजनक प्रबंध किया। [[ग्रैण्ड ट्रंक रोड]] का निर्माण करवाना शेरशाह सूरी के विलक्षण सोच का प्रतीक है। यह सड़क सदियों से विकास में अहम भूमिका निभा रही है। इस सड़क को 'सड़क-ए-आज़म' या 'बादशाही सड़क' के नाम से भी जाना जाता है। दक्षिण एशिया की सबसे पुरानी और मुख्य सड़क है। यह कई सदियों से भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों को जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ग्रैण्ड ट्रंक रोड]], [[शेरशाह]]
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05:58, 20 अगस्त 2016 के समय का अवतरण

शेरशाह के शासन काल में बनी 'ग्रैण्ड ट्रंक रोड' को किस नाम से जाना जाता है?

सड़क-ए-आज़म
सड़क-ए-बहिश्त
सड़क-ए-शेरशाह
सड़क-ए-सादात



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