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+[[बौद्ध धर्म|बौद्ध]]
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-[[हिन्दू धर्म|हिन्दू]]
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||[[चित्र:Sanchi-3.jpg|right|100px|border|साँची स्थित स्तम्भ]]'साँची' [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश|मध्य प्रदेश राज्य]] के [[रायसेन ज़िला|रायसेन ज़िले]] में स्थित एक छोटा सा [[गांव]] है। यह [[भोपाल]] से 46 कि.मी. पूर्वोत्तर में तथा बेसनगर और [[विदिशा]] से 10 कि.मी. की दूरी पर मध्य प्रदेश के मध्य भाग में है। यहाँ बौद्ध स्मारक हैं, जो कि तीसरी शताब्दी ई.पू. से बारहवीं शताब्दी के बीच के हैं। [[साँची]] के [[स्तूप|स्तूपों]] के समीप एक [[बौद्ध मठ]] के [[अवशेष]] हैं जहां बौद्ध भिक्षुओं के आवास थे। यही पर पत्थर का वह विशाल कटोरा है, जिससे भिक्षुओं में अन्न बांटा जाता था। यहां पर [[मौर्य वंश|मौर्य]], [[शुंग वंश|शुंग]], [[कुषाण वंश|कुषाण]], [[सातवाहन वंश|सातवाहन]] व गुप्तकालीन अवशेषों सहित छोटी-बडी कुल चार दर्जन संरचनाएं हैं। शुंग काल में साँची में [[अशोक]] द्वारा निर्मित स्तूप को विस्तार दिया गया, जिससे इसका व्यास 70 फीट से बढ़कर 120 फीट व ऊंचाई 54 फीट हो गई। इसके अलावा यहां पर अन्य स्तूपों का भी निर्माण हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[साँची]]
||[[चित्र:Sanchi-3.jpg|right|100px|border|साँची स्थित स्तम्भ]]'साँची' [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश|मध्य प्रदेश राज्य]] के [[रायसेन ज़िला|रायसेन ज़िले]] में स्थित एक छोटा सा [[गांव]] है। यह [[भोपाल]] से 46 कि.मी. पूर्वोत्तर में तथा [[बेसनगर]] और [[विदिशा]] से 10 कि.मी. की दूरी पर मध्य प्रदेश के मध्य भाग में है। यहाँ [[बौद्ध]] स्मारक हैं, जो कि तीसरी शताब्दी ई.पू. से बारहवीं शताब्दी के बीच की हैं। [[साँची]] के [[स्तूप|स्तूपों]] के समीप एक [[बौद्ध मठ]] के [[अवशेष]] हैं, जहां [[भिक्कु|बौद्ध भिक्षुओं]] के आवास थे। यही पर पत्थर का वह विशाल कटोरा है, जिससे भिक्षुओं में अन्न बांटा जाता था। यहां पर [[मौर्य वंश|मौर्य]], [[शुंग वंश|शुंग]], [[कुषाण वंश|कुषाण]], [[सातवाहन वंश|सातवाहन]] व गुप्तकालीन अवशेषों सहित छोटी-बडी कुल चार दर्जन संरचनाएं हैं। शुंग काल में साँची में [[अशोक]] द्वारा निर्मित स्तूप को विस्तार दिया गया, जिससे इसका व्यास 70 फीट से बढ़कर 120 फीट व ऊंचाई 54 फीट हो गई। इसके अलावा यहां पर अन्य स्तूपों का भी निर्माण हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[साँची]]
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