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| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} |
| | {{हिन्दी सामान्य ज्ञान नोट}} |
| {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} | | {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} |
| {{सामान्य ज्ञान नोट}}
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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {[[हिन्दी]] के सर्वप्रथम प्रकाशित पत्र का नाम क्या है?
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| |type="()"}
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| -सम्मेलन पत्रिका
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| -सरस्वती
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| +उतण्ड मार्तण्ड
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| -नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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| {छायावाद के प्रवर्तक का नाम है-
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| |type="()"}
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| -[[सुमित्रानंदन पंत]]
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| +[[जयशंकर प्रसाद]]
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| -श्रीधर पाठक
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| -मुकुटधर पांडेय
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| || [[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|जयशंकर प्रसाद|100px|right]] महाकवि जयशंकर प्रसाद हिन्दी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयशंकर प्रसाद]]
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| {'प्रगतिवाद उपयोगितावाद का दूसरा नाम है।' यह कथन किसका है?
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| |type="()"}
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| -राम विलास शर्मा
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| -[[प्रेमचंद]]
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| +नन्द दुलारे बाजपेयी
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| -[[सुमित्रानंदन पंत]]
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| {[[प्रेमचन्द]] के अधूरे उपन्यास का नाम क्या है?
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| |type="()"}
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| -गबन
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| +मंगलसूत्र
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| -रंगभूमि
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| -सेवासदन
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| {[[रामधारी सिंह 'दिनकर']] को भारतीय [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] प्राप्त हुआ था-
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| |type="()"}
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| -'रश्मिरथी' पर
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| +'उर्वशी' पर
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| -कुरुक्षेत्र' पर
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| -'परशुराम की प्रतीक्षा' पर
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| {[[हिन्दी]] साहित्य के इतिहास के सर्वप्रथम लेखक का नाम क्या है?
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| |type="()"}
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| - जार्ज ग्रियर्सन
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| +गार्सा द तासी
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| -शिवसिंह सेंगर
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| -[[रामचन्द्र शुक्ल|आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]]
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| {'पद्मावत' किसकी रचना है?
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| |type="()"}
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| -नाभादास
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| -[[केशवदास]]
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| +[[मलिक मुहम्मद जायसी]]
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| -[[तुलसीदास]]
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| {'बैताल पच्चीसी' के रचनाकार हैं-
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| |type="()"}
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| -[[लल्लू लालजी]]
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| -[[सदल मिश्र]]
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| +सूरति मिश्र
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| -नाभादास
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| {'सुहाग के नूपुर' के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| -[[निराला सूर्यकान्त त्रिपाठी|निराला]]
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| +[[अमृतलाल नागर]]
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| -मोहन राकेश
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| -[[प्रेमचन्द]]
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| {'संस्कृति के चार अध्याय' किसकी रचना है? | | {'निराला के राम तुलसीदास के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।' यह कथन किस [[हिन्दी]] आलोचक का है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +[[रामधारी सिंह 'दिनकर']]
| | -डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी |
| -भगवती चरण वर्मा | | -डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित |
| -माखनलाल चतुर्वेदी
| | +[[रामविलास शर्मा|डॉ. रामविलास शर्मा]] |
| -सुभद्रा कुमारी चौहान | | -डॉ. गंगाप्रसाद पाण्डेय |
| ||[[चित्र:Ramdhari-Singh-Dinkar-2.jpg|रामधारी सिंह दिनकर|right|100px|]] हिन्दी के सुविख्यात कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म [[23 सितंबर]], [[1908]] ई. में सिमरिया, ज़िला मुंगेर ([[बिहार]]) में एक सामान्य किसान रवि सिंह तथा उनकी पत्नी मन रूप देवी के पुत्र के रूप में हुआ था। रामधारी सिंह दिनकर एक ओजस्वी राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कवि के रूप में जाने जाते थे। उनकी कविताओं में छायावादी युग का प्रभाव होने के कारण श्रृंगार के भी प्रमाण मिलते है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामधारी सिंह दिनकर]]
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| {'अशोक के फूल' (निबंध सग्रह) के रचनाकार हैं- | | {'राम की शक्तिपूजा' में [[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|निराला]] की इन दो कविताओं का सारतत्त्व समाहित है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -कुबेरनाथ राय | | -तुलसीदास और सरोजस्मृति |
| -गुलाब राय | | -तुलसीदास और बादल |
| +[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] | | -सरोजस्मृति और तोड़ती पत्थर |
| -[[रामचन्द्र शुक्ल]]
| | +जागो फिर एक बार और तुलसीदास |
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| {'झरना' (काव्य संग्रह) के रचयिता हैं- | | {'[[भारत भारती]]' (काव्य) के रचनाकार हैं- |
| |type="()"}
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| +[[जयशंकर प्रसाद]]
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| -सोहन लाल द्विवेदी
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| -[[महादेवी वर्मा]]
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| -सुभद्रा कुमारी चौहान
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| {'भारत भारती' (काव्य) के रचनाकार हैं-
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| |type="()"} | | |type="()"} |
| -गोपालशरण सिंह 'नेपाली' | | -गोपालशरण सिंह 'नेपाली' |
| +[[मैथिलीशरण गुप्त]] | | +[[मैथिलीशरण गुप्त]] |
| -नरेश मेहता | | -[[नरेश मेहता]] |
| -धर्मवीर भारती
| | -[[धर्मवीर भारती]] |
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| {'दोहाकोश' के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| -लुइपा
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| -जोइन्दु
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| +सरहपा
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| -कण्हपा
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| {'प्रेमसागर' के रचनाकार हैं-
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| |type="()"}
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| -[[सदल मिश्र]]
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| -उसमान | |
| +[[लल्लू लालजी]]
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| -सुन्दर दास
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| {'पंच परमेश्वर' के लेखक हैं-
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| |type="()"}
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| -[[रामधारी सिंह 'दिनकर']]
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| +[[प्रेमचन्द]]
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| -[[मैथिलीशरण गुप्त]]
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| -[[सुमित्रानंदन पंत]]
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| || [[चित्र:Premchand.jpg|right|80px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]]
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| {'तोड़ती पत्थर' (कविता) के कवि हैं-
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| |type="()"}
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| -सुभद्रा कुमारी चौहान
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| -[[महादेवी वर्मा]]
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| +[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']]
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| -माखन लाल चतुर्वेदी
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| || [[चित्र:Suryakant Tripathi Nirala.jpg|सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|100px|right]] [[हिन्दी]] के छायावादी कवियों में 'सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला' कई दृष्टियों से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। वे एक कवि, उपन्यासकार, निबन्धकार और कहानीकार थे। उन्होंने कई रेखाचित्र भी बनाये। उनका व्यक्तित्व अतिशय विद्रोही और क्रान्तिकारी तत्त्वों से निर्मित हुआ है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]]
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| {'हार की जीत' (कहानी) के कहानीकार हैं-
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| |type="()"}
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| +सुदर्शन
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| -यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'
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| -कमलेश्वर
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| -रांगेय राघव
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| {'रानी केतकी की कहानी' के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| -वृन्दावन लाल वर्मा
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| -किशोरी लाल गोस्वामी
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| +इंशा अल्ला ख़ाँ
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| -माधव राव सप्रे
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| {'शिव शंभु के चिट्ठे' से संबंधित रचनाकार हैं-
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| |type="()"}
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| -बाबू तोता राम
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| -केशव राम भट्ट
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| +बाल मुकुन्द गुप्त
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| -अम्बिका दत्त व्यास
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| {'रसिक प्रिया' के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| +[[केशवदास]]
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| -मलूक दास
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| -[[दादू दयाल]]
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| -[[बिहारी लाल]]
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| {'कुटज' के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| -शांति प्रिय द्विवेदी
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| +[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
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| -विद्या निवास मिश्र
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| -कुबेरनाथ राय
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| || [[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी|100px|right]] डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी [[हिन्दी]] के शीर्षस्थानीय साहित्यकारों में से हैं। वे उच्चकोटि के निबन्धकार, उपन्यास लेखक, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
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| {'आँसू' (काव्य) के रचयिता हैं- | | {'मनुष्य के आचरण के प्रवर्तक भाव या मनोविकार ही होते हैं, बुद्धि नहीं।' यह कथन है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[सुमित्रानंदन पंत]] | | -सरदार पूर्णसिंह |
| +[[जयशंकर प्रसाद]] | | +[[रामचन्द्र शुक्ल]] |
| -[[मैथिलीशरण गुप्त]] | | -[[महावीर प्रसाद द्विवेदी]] |
| -[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]
| | -[[बालकृष्ण भट्ट]] |
| || [[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|जयशंकर प्रसाद|100px|right]] महाकवि जयशंकर प्रसाद हिन्दी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयशंकर प्रसाद]]
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| {'चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग'। इस पंक्ति के रचयिता हैं- | | {'रस मीमांसा' रस-सिद्धांत से सम्बन्धित पुस्तक है, इस पुस्तक के लेखक हैं? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[सूरदास]] | | -[[डॉ. श्यामसुन्दर दास]] |
| -[[बिहारीलाल]] | | -[[गुलाब राय|डॉ. गुलाब राय]] |
| -[[कबीर]] | | -[[डॉ. नगेन्द्र]] |
| +[[रहीम]] | | +[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] |
| || [[चित्र:Abdul-Rahim.jpg|अब्दुर्रहीम खां|60px|right]] [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध कवि अब्दुर्रहीम ख़ां का जन्म [[17 दिसम्बर]], 1556 ई. में हुआ था। [[अकबर]] के दरबार में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान था। [[गुजरात]] के युद्ध में शौर्य प्रदर्शन के कारण अकबर ने इन्हें 'ख़ानखाना' की उपाधि दी थी। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रहीम]] | | ||[[चित्र:RamChandraShukla.jpg|150px|right|रामचन्द्र शुक्ल]] रामचन्द्र शुक्ल जी का जन्म [[बस्ती ज़िला|बस्ती ज़िले]] के अगोना नामक गाँव में सन् 1884 ई. में हुआ था। सन् 1888 ई. में वे अपने पिता के साथ राठ हमीरपुर गये तथा वहीं पर विद्याध्ययन प्रारम्भ किया। सन् 1892 ई. में उनके पिता की नियुक्ति मिर्ज़ापुर में सदर क़ानूनगो के रूप में हो गई और वे पिता के साथ [[मिर्ज़ापुर]] आ गये। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचन्द्र शुक्ल]] |
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| {'जब-जब होय धर्म की हानी, बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी'। इस पंक्ति के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| -[[रसखान]]
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| +[[तुलसीदास]]
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| -[[बिहारीलाल]]
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| -[[कबीर]]
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| || [[चित्र:Tulsidas.jpg|100px|गोस्वामी तुलसीदास|right]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही [[हिन्दी भाषा]] के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
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| </quiz> | | </quiz> |
पंक्ति 196: |
पंक्ति 51: |
| {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} | | {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} |
| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} |
| {{प्रचार}}
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| | [[Category:हिन्दी सामान्य ज्ञान]] |
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