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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {'सुहाग के नूपुर' के रचयिता हैं-
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| -[[सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'|निराला]]
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| +[[अमृतलाल नागर]]
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| -[[मोहन राकेश]]
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| -[[प्रेमचन्द]]
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| {'[[संस्कृति के चार अध्याय -रामधारी सिंह दिनकर|संस्कृति के चार अध्याय]]' किसकी रचना है?
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| |type="()"}
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| +[[रामधारी सिंह 'दिनकर']]
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| -[[भगवतीचरण वर्मा|भगवतीचरण वर्मा]]
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| -[[माखनलाल चतुर्वेदी]]
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| -[[सुभद्रा कुमारी चौहान]]
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| ||[[चित्र:Ramdhari-Singh-Dinkar-2.jpg|रामधारी सिंह दिनकर|right|100px|]] हिन्दी के सुविख्यात कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म [[23 सितंबर]], [[1908]] ई. में सिमरिया, ज़िला मुंगेर ([[बिहार]]) में एक सामान्य किसान रवि सिंह तथा उनकी पत्नी मन रूप देवी के पुत्र के रूप में हुआ था। रामधारी सिंह दिनकर एक ओजस्वी राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कवि के रूप में जाने जाते थे। उनकी कविताओं में [[छायावादी युग]] का प्रभाव होने के कारण शृंगार के भी प्रमाण मिलते हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामधारी सिंह दिनकर]]
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| {'अशोक के फूल' (निबंध संग्रह) के रचनाकार हैं-
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| |type="()"}
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| -कुबेरनाथ राय
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| -[[गुलाब राय]]
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| +[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]]
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| -[[रामचन्द्र शुक्ल]]
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| {'झरना' (काव्य संग्रह) के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| +[[जयशंकर प्रसाद]]
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| -सोहनलाल द्विवेदी
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| -[[महादेवी वर्मा]]
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| -[[सुभद्रा कुमारी चौहान]]
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| {'दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात, अपरिचित जरा-मरण-भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं?
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| -[[सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला']]
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| -[[जयशंकर प्रसाद]]
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| +[[सुमित्रानंदन पंत]]
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| -[[महादेवी वर्मा]]
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| ||[[चित्र:Sumitranandan.jpg|150px|सुमित्रानंदन पंत|right]] सुमित्रानंदन पंत [[हिन्दी साहित्य]] में [[छायावादी युग]] के चार स्तंभों में से एक हैं। सुमित्रानंदन पंत उस नये युग के प्रवर्तक के रूप में आधुनिक हिन्दी साहित्य में उदित हुए। सुमित्रानंदन पंत का जन्म [[20 मई]] [[1900]] में [[कौसानी]], [[उत्तराखण्ड]], [[भारत]] में हुआ था। जन्म के छह घंटे बाद ही माँ को क्रूर मृत्यु ने छीन लिया। शिशु को उसकी दादी ने पाला पोसा। शिशु का नाम रखा गया गुसाई दत्त।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सुमित्रानंदन पंत]]
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| {'निराला के राम तुलसीदास के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।' यह कथन किस [[हिन्दी]] आलोचक का है? | | {'निराला के राम तुलसीदास के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।' यह कथन किस [[हिन्दी]] आलोचक का है? |
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