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'''प''' [[देवनागरी लिपि]] का तेत्तीसवाँ [[अक्षर]] है। यह एक [[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]] है।
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;विशेष-
* व्यंजन-गुच्छ के रूप में 'प' जिन व्यंजनों से पहले आता है। उनमें वह प्राय: खड़ी रेखा छोड़कर मिलता है। जैसे- आप्त, प्लीहा परन्तु 'र' से पहले आने पर 'प्र' के रूप में लिखा जाता है। जैसे- प्रलय, प्राचार्य, प्रीति, प्रेम।
* व्यंजन-गुच्छों में, प से पहले आकर मिलने वाले व्यंजन प्राय: अपनी खड़ी रेखा को छोड़कर मिलते है‌ं और 'प' यथावत् रहता है। जैसे- उत्पन्न, सम्पत्ति परन्तु 'प' के पहले आने वाला 'र' मिलने पर संयुक्त रूप 'र्प' बनाता है। जैसे- समर्पण, सर्पिल, दर्पी।
* 'प' अल्पप्राण व्यंजन है अत: 'प' का द्वित्व हो सकता है। प्+प को 'प्प' के रूप में लिखा जाता है। जैसे- गप्पी, ठप्प।
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==प की बारहखड़ी==
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|-
| प
| पा
| पि
| पी
| पु
| पू
| पे
| पै
| पो
| पौ
| पं
| पः
|}
==प अक्षर वाले शब्द==
==प अक्षर वाले शब्द==
* [[पानी]]
* [[पानी]]

07:38, 8 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

विवरण देवनागरी वर्णमाला का पवर्ग का पहला व्यंजन है।
भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह द्वि-ओष्ठय (द्वयोष्ठ्य) स्पर्श, अघोष और अल्पप्राण है। इसका महाप्राण रूप 'फ' है।
व्याकरण [ संस्कृत (धातु) पत् + णिच / ड ] पुल्लिंग- वायु, पत्र, पत्ता, अंडा।
विशेष 'प' अल्पप्राण व्यंजन है अत: 'प' का द्वित्व हो सकता है। प्+प को 'प्प' के रूप में लिखा जाता है। जैसे- गप्पी, ठप्प।
संबंधित लेख , , ,
अन्य जानकारी व्यंजन-गुच्छ के रूप में 'प' जिन व्यंजनों से पहले आता है। उनमें वह प्राय: खड़ी रेखा छोड़कर मिलता है। जैसे- आप्त, प्लीहा परन्तु 'र' से पहले आने पर 'प्र' के रूप में लिखा जाता है। जैसे- प्रलय, प्राचार्य, प्रीति, प्रेम।

देवनागरी वर्णमाला का पवर्ग का पहला व्यंजन है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह द्वि-ओष्ठय (द्वयोष्ठ्य) स्पर्श, अघोष और अल्पप्राण है। इसका महाप्राण रूप 'फ' है।

विशेष-
  • व्यंजन-गुच्छ के रूप में 'प' जिन व्यंजनों से पहले आता है। उनमें वह प्राय: खड़ी रेखा छोड़कर मिलता है। जैसे- आप्त, प्लीहा परन्तु 'र' से पहले आने पर 'प्र' के रूप में लिखा जाता है। जैसे- प्रलय, प्राचार्य, प्रीति, प्रेम।
  • व्यंजन-गुच्छों में, प से पहले आकर मिलने वाले व्यंजन प्राय: अपनी खड़ी रेखा को छोड़कर मिलते है‌ं और 'प' यथावत् रहता है। जैसे- उत्पन्न, सम्पत्ति परन्तु 'प' के पहले आने वाला 'र' मिलने पर संयुक्त रूप 'र्प' बनाता है। जैसे- समर्पण, सर्पिल, दर्पी।
  • 'प' अल्पप्राण व्यंजन है अत: 'प' का द्वित्व हो सकता है। प्+प को 'प्प' के रूप में लिखा जाता है। जैसे- गप्पी, ठप्प।
  • [ संस्कृत (धातु) पत् + णिच / ड ] पुल्लिंग- वायु, पत्र, पत्ता, अंडा।
  • संगीत में 'प' पंचम स्वर के संक्षिप्त रूप में मान्य है।
  • [ संस्कृत (धातु) पा + क ] विशेषण- पीने वाला। जैसे- पादक (=पैरों से जल पीने वाला = वृक्ष); मद्यप, रक्षक, शासक या पालक। जैसे- गोप, नृप, क्षितिप।[1]

प की बारहखड़ी

पा पि पी पु पू पे पै पो पौ पं पः

प अक्षर वाले शब्द



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-2 | पृष्ठ संख्या- 1451

संबंधित लेख