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{[[रामायण]] के अनुसार [[हनुमान]] कितनी बार [[लंका]] गये थे?
|type="()"}
-एक बार
-दो बार
+तीन बार
-चार बार
||[[चित्र:Ram-Hanuman.jpg|right|90px|श्रीराम-हनुमान मिलन]]'[[वाल्मीकि रामायण]]' के अनुसार [[हनुमान]] एक वानर वीर थे। भगवान [[राम]] को हनुमान [[ऋष्यमूक पर्वत]] के पास मिले थे। हनुमान जी राम के अनन्य मित्र, सहायक और परम [[भक्त]] सिद्ध हुए थे। [[सीता]] का अन्वेषण करने के लिए ये [[लंका]] गए। राम के दौत्य (अर्थात सन्देश देना या दूत का कार्य) आदि का दायित्व इन्होंने अद्भुत प्रकार से निर्वाह किया। [[राम]]-[[रावण]] युद्ध में भी इनका पराक्रम प्रसिद्ध है। रामावत वैष्णव धर्म के विकास के साथ हनुमान का भी दैवीकरण हुआ। वे राम के पार्षद और पुन: पूज्य देव रूप में मान्य हो गये। धीरे-धीरे हनुमंत अथवा मारूति पूजा का एक सम्प्रदाय ही बन गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[हनुमान]]
{[[श्रीराम]] ने [[लंका]] में अपना दूत किसे बनाकर भेजा था?
|type="()"}
-[[हनुमान]]
-[[सुग्रीव]]
+[[अंगद (बाली पुत्र)|अंगद]]
-[[विभीषण]]
||अंगद [[बालि]] के पुत्र थे। वानरराज [[बालि]] इनसे सर्वाधिक प्रेम करता था। [[अंगद (बाली पुत्र)|अंगद]] परम बुद्धिमान, अपने [[पिता]] के समान बलशाली तथा भगवान [[श्रीराम]] के परम [[भक्त]] थे। भगवान श्रीराम का अंगद के शौर्य और बुद्धिमत्ता पर पूर्ण विश्वास था, इसीलिये उन्होंने [[रावण]] की सभा में युवराज अंगद को अपना दूत बनाकर भेजा। रावण भी नीतिज्ञ था और उसने भेदनीति से काम लेते हुए अंगद से कहा- "बाली मेरा मित्र था। ये [[राम]]-[[लक्ष्मण]] बाली को मारने वाले हैं। यह बड़ी लज्जा की बात है कि तुम अपने पितृघातियों के लिये दूतकर्म कर रहे हो।" किंतु रावण की इन सब बातों से अंगद विचलित नहीं हुए और उसके बहकावे में नहीं आये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[अंगद (बाली पुत्र)|अंगद]]
{[[हनुमान]] किसके पेट के भीतर जाकर वापस आ गये थे?
|type="()"}
-[[ताड़का]]
+सुरसा
-[[पूतना]]
-[[शूर्पणखा]]
{[[बालि]] की पत्नी का नाम क्या था?
|type="()"}
+[[तारा (बालि की पत्नी)|तारा]]
-[[राधा]]
-[[मंदोदरी]]
-विपाशा
{सर्गों की गणना करने पर सम्पूर्ण [[रामायण]] में कितने सर्ग मिलते हैं?
|type="()"}
-621
-651
+645
-655
||[[चित्र:Ramayana.jpg|right|80px|राम, लक्ष्मण तथा सीता]][[रामायण]] [[कवि]] [[वाल्मीकि]] द्वारा लिखा गया [[संस्कृत]] का एक अनुपम [[महाकाव्य]] है। इसके 24,000 [[श्लोक]] [[हिन्दू]] स्मृति का वह अंग हैं, जिसके माध्यम से [[रघुवंश]] के राजा [[राम]] की गाथा कही गयी है। रामायण के कुल सात अध्याय हैं, इस प्रकार सात काण्डों में महर्षि वाल्मीकि ने रामायण को निबद्ध किया है। इन सात काण्डों में कथित सर्गों की गणना करने पर सम्पूर्ण रामायण में 645 सर्ग मिलते हैं। सर्गानुसार श्लोकों की संख्या 23,440 आती है, जो 24,000 से 560 [[श्लोक]] कम है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामायण]]
{[[राम]] और [[लक्ष्मण]] को आश्रमों की रक्षा करने के लिए वन में कौन-से ब्रह्मऋषि ले गये थे?
{[[राम]] और [[लक्ष्मण]] को आश्रमों की रक्षा करने के लिए वन में कौन-से ब्रह्मऋषि ले गये थे?
|type="()"}
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1 राम और लक्ष्मण को आश्रमों की रक्षा करने के लिए वन में कौन-से ब्रह्मऋषि ले गये थे?

दुर्वासा
विश्वामित्र
संदीपन
अंगिरस

2 राम को वनवास देने की प्रेरणा कैकेयी को किससे मिली थी?

मन्थरा
उर्मिला
कैकसी
मंदोदरी

3 मधुरापुरी नगरी की स्थापना किसने की थी?

राम
लक्ष्मण
भरत
शत्रुघ्न

4 हनुमान ने अशोक वाटिका में सीता को किस वृक्ष के नीचे बैठा देखा?

वट
शिंशपा
अशोक
पीपल

5 मेघनाद का दूसरा नाम क्या था?

कुम्भकर्ण
विचित्रवीर्य
इन्द्रजित
दशानन

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