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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {[[महाभारत]] युद्ध के कौन-से दिन पितामह [[भीष्म]] शर-शैय्या को प्राप्त हुए?
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| -13वें दिन
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| -12वें दिन
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| -11वें दिन
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| +10वें दिन
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| ||[[भीष्म]] पितामह ने अपनी मृत्यु का रहस्य [[पाण्डव|पाण्डवों]] को बताते हुए कहा कि [[द्रुपद]] का बेटा [[शिखंडी]] पूर्वजन्म का स्त्री है। मेरे वध के लिए उसने [[शिव]] की तपस्या की थी। द्रुपद के घर वह कन्या के रूप में पैदा हुआ, लेकिन दानव के वर से फिर पुरुष बन गया। यदि उसे सामने करके [[अर्जुन]] मुझ पर तीर बरसाएगा, तो मैं [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र]] नहीं चलाऊँगा। दसवें दिन के युद्ध में शिखंडी पांडवों की ओर से भीष्म पितामह के सामने आकर डट गया, जिसे देखते ही भीष्म ने अस्त्र त्याग दिये। [[कृष्ण]] के कहने पर शिखंडी की आड़ लेकर अर्जुन ने अपने बाणों से भीष्म को जर्जर कर दिया। वे रथ से नीचे गिर पड़े। इस प्रकार वह तीरों की शैय्या पर ही पड़े रहे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीष्म पर्व महाभारत|भीष्म पर्व]]
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| {निम्न में से कौन [[अर्जुन]] के पुत्र [[इरावत]] की माता थीं?
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| +[[उलूपी]]
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| -[[सुभद्रा]]
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| -[[चित्रांगदा]]
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| -[[द्रौपदी]]
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| ||इन्द्रपुरी में [[अप्सरा]] [[उर्वशी]] [[अर्जुन]] पर मोहित हो गई, किन्तु उसकी इच्छा पूर्ति न करने के कारण उसने अर्जुन को एक वर्ष तक नपुंसक रहने का शाप दिया। इसी शाप के कारण अर्जुन को '[[बृहन्नला]]' के रूप में [[विराट]] की कन्या [[उत्तरा]] को [[नृत्य]] की शिक्षा देनी पड़ी थी। बाद के समय में नागकन्या [[उलूपी]] से अर्जुन को [[इरावत]] नामक पुत्र प्राप्त हुआ। [[मणिपुर]] के राजा की कन्या [[चित्रांगदा]] से भी अर्जुन ने [[विवाह]] किया, जिसने 'बभ्रु वाहन' को जन्म दिया। [[श्रीकृष्ण]] की बहन [[सुभद्रा]] भी अर्जुन की पत्नी थी, जिसके गर्भ से [[अभिमन्यु]] का जन्म हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अर्जुन]]
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| {[[कर्ण]] वध के पश्चात किसने [[दुर्योधन]] को [[पाण्डव|पाण्डवों]] से संधि का विचार दिया?
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| -[[शल्य]]
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| +[[कृपाचार्य]]
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| -[[अश्वत्थामा]]
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| -[[संजय]]
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| ||[[चित्र:Karn1.jpg|right|100px|अर्जुन द्वारा कर्ण का वध]]कर्ण के रथ का पहिया भूमि में धँस जाने पर, वह पहिये को निकालने के लिये रथ से नीचे उतरा। [[श्रीकृष्ण]] ने [[अर्जुन]] को समझाया और उससे कहा कि यही समय है, [[कर्ण]] पर [[बाण अस्त्र|बाण]] चलाओ, नहीं तो कर्ण का वध नहीं कर पाओगे। अर्जुन ने वैसा ही किया। कर्ण का सिर धड़ से अलग हो गया। कर्ण के मरते ही [[कौरव|कौरवों]] में हाहाकार मच गया। रात को [[दुर्योधन]] चिंताग्रस्त था। [[कृपाचार्य]] ने समझाया कि अब पांडवों से संधि कर ली जाए, किन्तु दुर्योधन अभी भी युद्ध के पक्ष में था। दुर्योधन ने कहा कि अभी आप हैं, [[अश्वत्थामा]] हैं और सेनापति [[शल्य]] भी हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृपाचार्य]]
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| {[[मगध]] नरेश [[जरासंध]] ने [[मथुरा]] पर कितनी बार चढ़ाई की थी?
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| -16
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| +18
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| ||[[चित्र:Jarasandh1.jpg|right|100px|भीम-जरासंध युद्ध]][[जरासंध]] अत्यन्त पराक्रमी एवं साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का शासक था। [[हरिवंश पुराण]] से ज्ञात होता है कि उसने [[काशी]], [[कोशल]], [[चेदि]], [[मालवा]], [[विदेह]], अंग, वंग, [[कलिंग]], [[पांड्य साम्राज्य|पांडय]], सौबिर, मद्र, [[काश्मीर]] और [[गांधार]] के राजाओं को परास्त किया था। इसी कारण [[पुराण|पुराणों]] में जरासंध को 'महाबाहु', 'महाबली' और 'देवेन्द्र' के समान तेज़ वाला कहा गया है। पुराणों के अनुसार जरासंध ने अठारह बार [[मथुरा]] पर चढ़ाई की। अपने इस अभियान में वह सत्रह बार असफल रहा था। अंतिम चढ़ाई में उसने एक विदेशी शक्तिशाली शासक [[कालयवन]] को भी मथुरा पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जरासंध]]
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| {[[दुशासन]] की छाती का [[रक्त]] पीने का प्रण किस [[पाण्डव]] ने किया था?
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| -[[अर्जुन]]
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| -[[सहदेव]]
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| +[[भीम]]
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| -[[युधिष्ठिर]]
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| ||[[चित्र:Bhim-Dushasan.jpg|right|100px|भीम द्वारा दुशासन का वध]][[दुर्योधन]] के कहने पर [[दुशासन]] [[द्रौपदी]] के [[वस्त्र]] उतारने लगा। द्रौपदी को इस संकट की घड़ी में [[श्रीकृष्ण]] की याद आई। उसने श्रीकृष्ण से अपनी लाज बचाने की प्रार्थना की और सभा में एक चमत्कार हुआ। दुशासन जैसे-जैसे द्रौपदी का वस्त्र खींचता जाता, वैसे-वैसे वस्त्र भी बढ़ता जाता। वस्त्र खींचते-खींचते दुशासन थककर बैठ गया। इसी समय [[भीम]] ने प्रतिज्ञा की कि जब तक दुशासन की छाती चीरकर उसके गरम ख़ून से अपनी प्यास नहीं बुझाऊँगा, तब तक इस संसार को छोड़कर पितृलोक को नहीं जाऊँगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दुशासन]]
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| {[[कर्ण]] के वध के उपरान्त किसके कहने पर [[दुर्योधन]] ने [[शल्य]] को सेनापति नियुक्त किया? | | {[[कर्ण]] के वध के उपरान्त किसके कहने पर [[दुर्योधन]] ने [[शल्य]] को सेनापति नियुक्त किया? |
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