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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
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| {निम्न में से किस [[अप्सरा]] ने [[अर्जुन]] को नपुंसक होने का शाप दिया?
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| |type="()"}
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| -[[रम्भा]]
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| +[[उर्वशी]]
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| -[[मेनका]]
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|100px|महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हुए]]'उर्वशी' सुरलोक की श्रेष्ठ नर्तकी थी। वह [[अर्जुन]] पर मोहित थी। अवसर पाकर [[उर्वशी]] ने अर्जुन से कहा, 'हे अर्जुन! आपको देखकर मेरी काम-वासना जागृत हो गई है, अतः आप कृपया करके मेरी काम-वासना को शांत करें।' उसके वचन सुनकर अर्जुन बोले, 'हे देवि! हमारे पूर्वज ने आपसे [[विवाह]] करके हमारे वंश का गौरव बढ़ाया था, अतः पुरु वंश की जननी होने के नाते आप हमारी [[माता]] समान हैं। देवि! मैं आपको प्रणाम करता हूँ।' अर्जुन की बातों को सुनकर उर्वशी ने कहा, 'तुमने नपुंसकों जैसे वचन कहे हैं, अतः मैं तुम्हें शाप देती हूँ कि तुम एक वर्ष तक पुंसत्वहीन रहोगे।'{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उर्वशी]]
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| {निम्न में से कौन राजा [[विराट]] की पत्नी थीं?
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| |type="()"}
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| +[[सुदेष्णा]]
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| -[[सैरन्ध्री]]
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| -[[रेणुका]]
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| -[[दमयंती]]
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| {सम्पूर्ण [[महाभारत]] में [[श्लोक|श्लोकों]] की संख्या कितनी है?
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| |type="()"}
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| +एक लाख
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| -91 हज़ार
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| -81 हज़ार
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| -51 हज़ार
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| ||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|90px|महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण और अर्जुन]]'महाभारत' [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो [[हिन्दू धर्म]] के उन धर्म-ग्रन्थों का समूह है, जिनकी मान्यता श्रुति से नीची श्रेणी की हैं और जो मानवों द्वारा उत्पन्न थे। यह कृति हिन्दुओं के इतिहास की एक गाथा है। पूरे [[महाभारत]] में एक लाख [[श्लोक]] हैं। विद्वानों में महाभारत काल को लेकर विभिन्न मत हैं, फिर भी अधिकतर विद्वान महाभारत काल को 'लौहयुग' से जोड़ते हैं। महाभारत में वर्णित 'कुरुवंश' 1200 से 800 ईसा पूर्व के दौरान शक्ति में रहा होगा। पौराणिक मान्यता को देखें तो पता लगता है कि [[अर्जुन]] के पोते [[परीक्षित]] और [[महापद्मनंद]] का काल 382 ईसा पूर्व ठहरता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]]
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| {[[युधिष्ठिर|धर्मराज युधिष्ठिर]] [[महाभारत]] युद्ध में कितनी [[अक्षौहिणी|अक्षौहिणी सेना]] के स्वामी थे?
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| |type="()"}
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| -दस अक्षौहिणी
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| -ग्यारह अक्षौहिणी
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| +सात अक्षौहिणी
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| -नौ अक्षौहिणी
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| ||[[चित्र:Yudhishthir-Birla-mandir.jpg|right|90px|युधिष्ठिर]]'युधिष्ठिर' [[पाण्डु]] के पुत्र और पाँच [[पाण्डव|पाण्डवों]] में से सबसे बड़े भाई थे। वे [[महाभारत]] के नायकों में समुज्ज्वल चरित्र वाले ज्येष्ठ पाण्डव थे। [[युधिष्ठिर]] [[धर्मराज]] के अंश पुत्र थे। वे सत्यवादिता एवं धार्मिक आचरण के लिए विख्यात हैं। [[शान्तिपर्व महाभारत|शान्तिपर्व]] में सम्पूर्ण समाजनीति, राजनीति तथा धर्मनीति युधिष्ठिर और [[भीष्म]] के संवाद के रूप में प्रस्तुत की गयी है। युधिष्ठिर भाला चलाने में निपुण थे। उनके [[पिता]] ने [[यक्ष]] बनकर सरोवर पर उनकी परीक्षा भी ली थी। महाभारत युद्ध में धर्मराज युधिष्ठिर सात [[अक्षौहिणी]] सेना के स्वामी होकर [[कौरव|कौरवों]] के साथ युद्ध करने को तैयार हुए थे, जबकि परम क्रोधी [[दुर्योधन]] ग्यारह अक्षौहिणी सेना का स्वामी बना था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[युधिष्ठिर]], [[महाभारत]], [[अक्षौहिणी]]
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| {[[भीष्म|पितामह भीष्म]] का वास्तविक नाम क्या था?
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| |type="()"}
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| -[[परीक्षित]]
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| -[[संकर्षण]]
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| -[[शांतनु]]
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| +[[देवव्रत]]
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| ||[[चित्र:Bhishma1.jpg|right|100px|भीष्म की प्रतिज्ञा तुड़वाते श्रीकृष्ण]]पितामह भीष्म [[महाभारत]] के प्रमुख पात्र हैं। ये महाराजा [[शांतनु]] के पुत्र थे और इनका वास्तविक नाम '[[देवव्रत]]' था। अपने [[पिता]] को दिये गये वचन के कारण [[भीष्म]] ने आजीवन [[ब्रह्मचर्य]] का व्रत लिया था। इन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। महाभारत के युद्ध में भीष्म को [[कौरव]] पक्ष के प्रथम सेनानायक होने का गौरव प्राप्त हुआ था। [[कुरुक्षेत्र]] का युद्ध आरम्भ होने पर प्रधान सेनापति की हैसियत से भीष्म ने दस दिन तक घोर युद्ध किया। इसमें उन्होंने [[पाण्डव|पाण्डवों]] के बहुतेरे सेनापतियों और सैनिकों को मार गिराया था। इतने पर भी [[दुर्योधन]] उनसे कहा करता था कि पाण्डवों के साथ पक्षपात करने के कारण आप जी खोलकर युद्ध नहीं करते।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीष्म]]
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| {[[महर्षि व्यास]] निम्न में से किसके पुत्र थे? | | {[[महर्षि व्यास]] निम्न में से किसके पुत्र थे? |
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