"बिषय अलंपट सील गुनाकर": अवतरणों में अंतर
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बिषय अलंपट सील गुनाकर। पर | बिषय अलंपट सील गुनाकर। पर दु:ख दुख सुख सुख देखे पर॥ | ||
सम अभूतरिपु बिमद बिरागी। लोभामरष हरष भय त्यागी॥1॥ | सम अभूतरिपु बिमद बिरागी। लोभामरष हरष भय त्यागी॥1॥ | ||
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14:01, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
बिषय अलंपट सील गुनाकर
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | उत्तरकाण्ड |
बिषय अलंपट सील गुनाकर। पर दु:ख दुख सुख सुख देखे पर॥ |
- भावार्थ
संत विषयों में लंपट (लिप्त) नहीं होते, शील और सद्गुणों की खान होते हैं, उन्हें पराया दुःख देखकर दुःख और सुख देखकर सुख होता है। वे (सबमें, सर्वत्र, सब समय) समता रखते हैं, उनके मन कोई उनका शत्रु नहीं है। वे मद से रहित और वैराग्यवान होते हैं तथा लोभ, क्रोध, हर्ष और भय का त्याग किए हुए रहते हैं॥1॥
बिषय अलंपट सील गुनाकर |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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