"करुनामय मृदु राम सुभाऊ": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
कविता भाटिया (वार्ता | योगदान) ('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ") |
||
पंक्ति 33: | पंक्ति 33: | ||
<poem> | <poem> | ||
;चौपाई | ;चौपाई | ||
मोहि कहु मातु तात | मोहि कहु मातु तात दु:ख कारन। करिअ जतन जेहिं होइ निवारन॥ | ||
सुनहु राम सबु कारनु एहू। राजहि तुम्ह पर बहुत सनेहू॥3॥</poem> | सुनहु राम सबु कारनु एहू। राजहि तुम्ह पर बहुत सनेहू॥3॥</poem> | ||
{{poemclose}} | {{poemclose}} |
14:02, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
करुनामय मृदु राम सुभाऊ
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | अयोध्या काण्ड |
- श्री राम-कैकेयी संवाद
मोहि कहु मातु तात दु:ख कारन। करिअ जतन जेहिं होइ निवारन॥ |
- भावार्थ
हे माता! मुझे पिताजी के दुःख का कारण कहो, ताकि उसका निवारण हो (दुःख दूर हो) वह यत्न किया जाए। (कैकेयी ने कहा-) हे राम! सुनो, सारा कारण यही है कि राजा का तुम पर बहुत स्नेह है॥3॥
करुनामय मृदु राम सुभाऊ |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख