"यों रहीम सुख दुख सहत -रहीम": अवतरणों में अंतर

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यों ‘रहीम’ सुख दुख सहत, बड़े लोग सह सांति ।<br />
यों ‘रहीम’ सुख दु:ख सहत, बड़े लोग सह सांति ।<br />
उवत चंद जेहिं भाँति सों, अथवत ताही भाँति ॥
उवत चंद जेहिं भाँति सों, अथवत ताही भाँति ॥



14:03, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

यों ‘रहीम’ सुख दु:ख सहत, बड़े लोग सह सांति ।
उवत चंद जेहिं भाँति सों, अथवत ताही भाँति ॥

अर्थ

बड़े आदमी शान्तिपूर्वक सुख और दुःख को सह लेते हैं। वे न सुख पाकर फूल जाते हैं और न दुःख में घबराते हैं। चन्द्रमा जिस प्रकार उदित होता है, उसी प्रकार डूब भी जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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