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प्रथम बासु तमसा भयउ दूसर सुरसरि तीर।
प्रथम बासु तमसा भयउ दूसर सुरसरि तीर।
न्हाइ रहे जलपानु करि सिय समेत दोउ बीर॥150॥</poem>
न्हाइ रहे जलपानु करि सिय समेत दोउ बीर॥150॥</poem>
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श्री [[राम|रामजी]] का पहला निवास (मुकाम) तमसा के तट पर हुआ, दूसरा गंगातीर पर। [[सीता|सीताजी]] सहित दोनों भाई उस दिन स्नान करके जल पीकर ही रहे॥150॥
श्री [[राम|रामजी]] का पहला निवास (मुकाम) तमसा के तट पर हुआ, दूसरा गंगातीर पर। [[सीता|सीताजी]] सहित दोनों भाई उस दिन स्नान करके जल पीकर ही रहे॥150॥


{{लेख क्रम4| पिछला= सुख हरषहिं जड़ दुख बिलखाहीं |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=  केवट कीन्हि बहुत सेवकाई }}
{{लेख क्रम4| पिछला= सुख हरषहिं जड़ दु:ख बिलखाहीं |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=  केवट कीन्हि बहुत सेवकाई }}






'''चौपाई'''- मात्रिक सम [[छन्द]] का भेद है। [[प्राकृत]] तथा [[अपभ्रंश]] के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। [[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]] ने [[रामचरितमानस]] में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
 
'''दोहा''' - मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
 
 





14:04, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

प्रथम बासु तमसा
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अयोध्या काण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
दोहा

प्रथम बासु तमसा भयउ दूसर सुरसरि तीर।
न्हाइ रहे जलपानु करि सिय समेत दोउ बीर॥150॥

भावार्थ

श्री रामजी का पहला निवास (मुकाम) तमसा के तट पर हुआ, दूसरा गंगातीर पर। सीताजी सहित दोनों भाई उस दिन स्नान करके जल पीकर ही रहे॥150॥


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दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (अयोध्याकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-242

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