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==पौराणिक कथा== | ==पौराणिक कथा== | ||
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== विशेष तिथि == | == विशेष तिथि == |
14:06, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
संकटहरणी देवी मंदिर
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विवरण | इस मंदिर का उल्लेख मार्कण्डेय पुराण में मिलता है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | प्रतापगढ़ ज़िला |
अन्य जानकारी | हर सोमवार को मंदिर प्रांगण में मेला का आयोजन होता है। नवरात्र में माता रानी के दर्शन हेतु भक्तों का जन सैलाब उमड़ता है। |
संकटहरणी देवी मंदिर यह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद में पौराणिक सकरनी नदी के तट पर मोहनगंज के परभइतामऊ गांव स्थित है। मान्यताओं के अनुसार संकटहरणी माँ अपने भक्तों का संकट हरती हैं।
भौगोलिक स्थिति
प्रतापगढ़-रायबरेली मार्ग पर विक्रमपुर मोड़ से दक्षिणी दिशा में सकरनी नदी के तट पर माँ संकटहरणी का धाम है।
पौराणिक कथा
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार रानी मदालसा के चारों पुत्र वीरबाहु, सुबाहु, भद्रबाहु और अलर्कराज पांचों सिद्ध में रहते थे। रानी मदालसा पति राजा रितुराज के मरने की सूचना पर यहीं सती हो गईं। बाद में उसी स्थल पर नीम का पेड़ उगा। लोग पेड़ की पूजा-अर्चना करने लगे। धीरे-धीरे उस स्थल पर माँ का भव्य मंदिर बन गया है। मदालसा के बड़े लड़के वीरबाहु के नाम से विक्रमपुर गांव का नाम पड़ा। राजा रितुराज की शादी में मदद करने वाली कुन्डला के नाम से कुण्डवा गांव भी है।
विशेष तिथि
संकटहरणी धाम में हर सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। नवरात्र को लोग जलाभिषेक करने के साथ ही हलवा पूड़ी चढ़ाते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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