"राघवयादवीयम्": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) (''''‘राघवयादवीयम्’''' कांचीपुरम के 17वीं शती के कवि '''व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " मां " to " माँ ") |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
'''यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥1॥''' | '''यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥1॥''' | ||
'''अर्थातः''' मैं [[रुक्मिणी]] तथा [[गोपी|गोपियों]] के पूज्य भगवान [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] के चरणों में प्रणाम करता हूं जो सदा ही | '''अर्थातः''' मैं [[रुक्मिणी]] तथा [[गोपी|गोपियों]] के पूज्य भगवान [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] के चरणों में प्रणाम करता हूं जो सदा ही माँ [[लक्ष्मी]] के साथ विराजमान है तथा जिनकी शोभा समस्त जवाहरातों की शोभा हर लेती है। | ||
राघवयादवीयम के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं। | राघवयादवीयम के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं। | ||
{| class="bharattable-pink" | {| class="bharattable-pink" | ||
|+ राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि | |+ राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि<ref>{{cite web |url=http://www.patrika.com/news/religion-and-spirituality/raghava-yadaviyam-straight-read-is-rama-story-and-in-reverse-is-krishna-story-1103587/ |title= राघवयादवीयम्ः सीधा पढ़ें तो राम कथा, उल्टा पढ़े कृष्ण की गाथा|accessmonthday=12 दिसम्बर|accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= html|publisher=पत्रिका डॉट कॉम |language=हिन्दी }}</ref> | ||
|- | |- | ||
! अनुलोम : रामकथा | ! अनुलोम : रामकथा | ||
पंक्ति 350: | पंक्ति 350: | ||
</poem> | </poem> | ||
|} | |} | ||
==टीका-टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{संस्कृत साहित्य2}} | |||
[[Category:प्राचीन महाकाव्य]] | |||
[[Category:महाकाव्य]] | |||
[[Category:संस्कृत साहित्य]] | |||
[[Category:साहित्य कोश]] | |||
__INDEX__ |
14:09, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
‘राघवयादवीयम्’ कांचीपुरम के 17वीं शती के कवि वेंकटाध्वरि द्वारा रचित एक अद्भुत ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। इसमें केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और विपरीत क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा बन जाती है। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक। पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है राघवयादवीयम।
- उदाहरण
- अनुलोम
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः। रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥1॥
अर्थातः मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूं जो जिनके हृदय में सीताजी रहती हैं तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्री की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस लौटे।
- विलोम
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः। यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥1॥
अर्थातः मैं रुक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रणाम करता हूं जो सदा ही माँ लक्ष्मी के साथ विराजमान है तथा जिनकी शोभा समस्त जवाहरातों की शोभा हर लेती है। राघवयादवीयम के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं।
अनुलोम : रामकथा | विलोम : कृष्णकथा |
---|---|
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः । |
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः । |
साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा । |
वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः । |
कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका । |
भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा । |
रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् । |
यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः । |
यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ । |
तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं । |
मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं । |
तेन रातमवामास गोपालादमराविका । |
रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते । |
मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका । |
सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया । |
हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा । |
सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया । |
सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा । |
तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा । |
हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया । |
वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो । |
सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः । |
यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे । |
भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा । |
रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह । |
नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया । |
यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् । |
यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः । |
दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा । |
नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः । |
सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् । |
हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् । |
सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः । |
तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन । |
तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत । |
केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः । |
गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया । |
हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस । |
हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः । |
घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः । |
ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः । |
विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा । |
भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा । |
ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा । |
हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः । |
योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् । |
भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं । |
विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं । |
हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि । |
यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा । |
सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः । |
जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं । |
वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः । |
नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः । |
हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः । |
हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा । |
नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका । |
नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा । |
साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः ॥ |
भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि । |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ राघवयादवीयम्ः सीधा पढ़ें तो राम कथा, उल्टा पढ़े कृष्ण की गाथा (हिन्दी) (html) पत्रिका डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 12 दिसम्बर, 2015।