"महाभारत सामान्य ज्ञान 5": अवतरणों में अंतर
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{[[द्रोणाचार्य]] का वध [[महाभारत]] में युद्ध के कौन से दिन हुआ था? | {[[द्रोणाचार्य]] का वध [[महाभारत]] में युद्ध के कौन से दिन हुआ था? | ||
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||[[चित्र:Surya.jpg|सूर्य|100px|right]][[कश्यप|महर्षि कश्यप]] लोक पिता हैं। उनकी पत्नी देवमाता [[अदिति]] के गर्भ से भगवान विराट के नेत्रों से व्यक्त सूर्यदेव | ||[[चित्र:Surya.jpg|सूर्य|100px|right]][[कश्यप|महर्षि कश्यप]] लोक पिता हैं। उनकी पत्नी देवमाता [[अदिति]] के गर्भ से भगवान विराट के नेत्रों से व्यक्त सूर्यदेव जगत् में प्रकट हुए। सूर्य मण्डल का दृश्य रूप भौतिक जगत् में उनकी देह है। [[विश्वकर्मा]] की पुत्री [[संज्ञा]] से उनका परिणय हुआ। संज्ञा के दो पुत्र और एक कन्या हुई- श्राद्धदेव वैवस्वतमनु और [[यमराज]] तथा [[यमुना]] जी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूर्य]] | ||
{[[अर्जुन]] ने अपने पिता [[इन्द्र]] से किस वन को जलाने के लिए युद्ध किया था? | {[[अर्जुन]] ने अपने पिता [[इन्द्र]] से किस वन को जलाने के लिए युद्ध किया था? | ||
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-[[वृन्दावन]] | -[[वृन्दावन]] | ||
||श्वैतकि के यज्ञ में निरंतर बारह वर्षों तक घृतपान करने के उप्ररांत [[अग्नि देवता]] को तृप्ति के साथ-साथ अपच हो गया। उन्हें किसी का हविष्य ग्रहण करने की इच्छा नहीं रही। स्वास्थ्य की कामना से [[अग्निदेव]] [[ब्रह्मा]] के पास गये। ब्रह्मा ने कहा की यदि वे खांडव वन को जला देंगे तो वहाँ रहने वाले विभिन्न जंतुओं से तृप्त होने पर उनकी अरुचि भी समाप्त हो जायेगी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[खाण्डव वन]] | ||श्वैतकि के यज्ञ में निरंतर बारह वर्षों तक घृतपान करने के उप्ररांत [[अग्नि देवता]] को तृप्ति के साथ-साथ अपच हो गया। उन्हें किसी का हविष्य ग्रहण करने की इच्छा नहीं रही। स्वास्थ्य की कामना से [[अग्निदेव]] [[ब्रह्मा]] के पास गये। ब्रह्मा ने कहा की यदि वे खांडव वन को जला देंगे तो वहाँ रहने वाले विभिन्न जंतुओं से तृप्त होने पर उनकी अरुचि भी समाप्त हो जायेगी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[खाण्डव वन]] | ||
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14:01, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
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