"पारिजात प्रथम सर्ग": अवतरणों में अंतर
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भूले न लोक-हित मंत्र-मदांध हो के। | भूले न लोक-हित मंत्र-मदांध हो के। | ||
पी के प्रसाद-मदिरा न बने प्रमादी। | पी के प्रसाद-मदिरा न बने प्रमादी। | ||
पाके | पाके महान् पद मानवता न खोवे। | ||
होवे न मत्त बहु मान मिले मनस्वी॥16॥ | होवे न मत्त बहु मान मिले मनस्वी॥16॥ | ||
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मुग्धकरी कुसुमावलि-पूरित अलि-झंकार-सुझंकृत॥8॥ | मुग्धकरी कुसुमावलि-पूरित अलि-झंकार-सुझंकृत॥8॥ | ||
मनभावन | मनभावन महान् महिमामय पावन पद-परिचायक। | ||
सुरपुर-सम सम्पन्न दिव्य-तम सप्तपुरी-अधिनायक॥9॥ | सुरपुर-सम सम्पन्न दिव्य-तम सप्तपुरी-अधिनायक॥9॥ | ||
14:06, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
पारिजात | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- पारिजात (बहुविकल्पी) |
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शार्दूल-विक्रीडित |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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