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*'नटराज' [[शिव]] के 'तांडव नृत्य' का प्रतीक है।  
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*चिदंबरम के गोपुर में तांडव के 108 रूप अंकित किए गये हैं। इस मूर्ति के एक एक अवयव, एक एक रेखा को वाचा प्राप्त है।  
*[[चिदंबरम]] के गोपुर में तांडव के 108 रूप अंकित किए गये हैं। इस मूर्ति के एक एक अवयव, एक एक रेखा को वाचा प्राप्त है।  
*डमरू से हमारी [[वर्णमाला (व्याकरण)|वर्णमाला]] प्रकट होती है।  
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*[[डमरू]] से हमारी [[वर्णमाला (व्याकरण)|वर्णमाला]] प्रकट होती है।  
*चारों वाणी (परा, पश्यंती, मध्यमा, वैखरी) तथा 84 लाख योनियों के सर्जक शिव हैं।  
*चारों वाणी (परा, पश्यंती, मध्यमा, वैखरी) तथा 84 लाख योनियों के सर्जक शिव हैं।  
*शिव के दूसरे हाथ में स्थित [[अग्नि]] मलिनता दूर करती है।  
*शिव के दूसरे हाथ में स्थित [[अग्नि]] मलिनता दूर करती है।  
*तीसरा हाथ 'अभय मुद्रा' दर्शाती है। ऊपर उठा हाथ कहता है - ' मुक्ति की कामना हो तो माया मोह से दूर होकर ऊंचा उठो।  
*तीसरा हाथ 'अभय मुद्रा' दर्शाती है। ऊपर उठा हाथ कहता है - ' मुक्ति की कामना हो तो माया मोह से दूर होकर ऊंचा उठो।  
*'प्रभामंडल' प्रकृति का प्रतीक है।  
*'प्रभामंडल' प्रकृति का प्रतीक है।  
*नटराज का यह नृत्य विश्व की पांच महान क्रियाओं का निर्देशक है - सृष्टि, स्थिति, प्रलय, तिरोभाव (अदृश्य, अंतर्हित) और अनुग्रह।  
*नटराज का यह नृत्य विश्व की पांच महान् क्रियाओं का निर्देशक है - सृष्टि, स्थिति, प्रलय, तिरोभाव (अदृश्य, अंतर्हित) और अनुग्रह।  
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14:18, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

नटराज
Natraj

'नटराज' शिव के 'तांडव नृत्य' का प्रतीक है।

  • चिदंबरम के गोपुर में तांडव के 108 रूप अंकित किए गये हैं। इस मूर्ति के एक एक अवयव, एक एक रेखा को वाचा प्राप्त है।
नटराज
  • डमरू से हमारी वर्णमाला प्रकट होती है।
  • चारों वाणी (परा, पश्यंती, मध्यमा, वैखरी) तथा 84 लाख योनियों के सर्जक शिव हैं।
  • शिव के दूसरे हाथ में स्थित अग्नि मलिनता दूर करती है।
  • तीसरा हाथ 'अभय मुद्रा' दर्शाती है। ऊपर उठा हाथ कहता है - ' मुक्ति की कामना हो तो माया मोह से दूर होकर ऊंचा उठो।
  • 'प्रभामंडल' प्रकृति का प्रतीक है।
  • नटराज का यह नृत्य विश्व की पांच महान् क्रियाओं का निर्देशक है - सृष्टि, स्थिति, प्रलय, तिरोभाव (अदृश्य, अंतर्हित) और अनुग्रह।
  • नटराज की मूर्ति में धर्म, शास्त्र और कला का अनूठा संगम है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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