"चने जोर गरम बाबू": अवतरणों में अंतर
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और कहें कबीर सुनो भई साधो सुनो गुरू की बानी ।। | और कहें कबीर सुनो भई साधो सुनो गुरू की बानी ।। | ||
पढ़ें मदरसे | पढ़ें मदरसे क़ाज़ी बन तो चंद दिनों का ठाट | ||
और पढ़ लिख कर सब चल दोगे तुम अपनी अपनी बाट | और पढ़ लिख कर सब चल दोगे तुम अपनी अपनी बाट | ||
फिर कोई तुममें अफसर होगा कोई गवरनर लाट | फिर कोई तुममें अफसर होगा कोई गवरनर लाट |
11:48, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
चने जोर गरम बाबू
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विवरण | चने जोर गरम बाबू एक प्रसिद्ध फ़िल्मी गीत है। |
रचनाकार | कवि प्रदीप |
फ़िल्म | बंधन (1940) |
संगीतकार | सरस्वती देवी |
गायक/गायिका | अरुण कुमार |
अन्य जानकारी | कवि प्रदीप का मूल नाम 'रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी' था। प्रदीप हिंदी साहित्य जगत् और हिंदी फ़िल्म जगत् के एक अति सुदृढ़ रचनाकार रहे। कवि प्रदीप 'ऐ मेरे वतन के लोगों' सरीखे देशभक्ति गीतों के लिए जाने जाते हैं। |
चने जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार चने जोर गरम |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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