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'''नर्गिस''' [[हिन्दी सिनेमा]] की 50-60 के दशक की प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं। सिर्फ छह साल की उम्र से फ़िल्मी दुनिया में अपना कॅरियर शुरु कर उन्होंने बहुत सी हिट फ़िल्में कीं। [[महबूब ख़ान]] की फ़िल्म 'मदर इंडिया' में अपने अभिनय के लिए वह काफ़ी चर्चित रहीं। नर्गिस का [[विवाह]] [[सुनील दत्त]] के साथ हुआ था। विवाह से पहले उन दोनों के बीच प्रेम सम्बंध थे, जिसके चलते उन्होंने विवाह किया।
'''नर्गिस''' [[हिन्दी फ़िल्म|हिन्दी फ़िल्मों]] की सफल अभिनेत्रियों की श्रेणी में आती थी। उन्हें जद्दनबाई थीं, जोकि गायिका, अभिनेत्री थीं। फ़िल्मी दुनिया में बहुत से अभिनेता व अभिनेत्रियों की प्रेम कथाएँ सुनने को मिलती हैं। ऐसी ही एक कथा नर्गिस और राज कपूर के बारे में भी सुनी गयी थी।
==नर्गिस को भेष बदलकर छेड़ते थे सुनील दत्त==
== नर्गिस और राज कपूर की पहली मुलाक़ात ==
[[बॉलीवुड]] में अक्सर किसी ना किसी के प्यार की खबरें आती रहती हैं। ऐसी एक प्रेम कथा थी [[नर्गिस]] और [[सुनील दत्त]] की, जिनकी प्रेम कथा पर एक फ़िल्म भी बनाई जा सकती है। सुनील दत्त ने नर्गिस को पहली बार एक फ़िल्म के प्रीमियर पर देखा था। पहली नज़र में ही नर्गिस को देखकर उन्हें प्यार हो गया था। लेकिन वो उस समय अपने प्यार का इज़हार नहीं कर पाये थे। उन्होंने अपने प्यार का इज़हार इसलिए भी नहीं किया था क्योंकि उस समय नर्गिस एक प्रसिद्ध अदाकारा थीं। सुनील दत्त उस समय [[हिन्दी सिनेमा]] में अपना कॅरियर बनाने के लिए संर्घष कर रहे थे। दूसरी वजह ये भी थी कि उस समय नर्गिस और [[राजकपूर]] के रोमांस की खबरें चल रही थीं। नर्गिस और राजकपूर के रोमांस की खबरों ने कभी उनके प्यार को कम नहीं होने दिया। वो सही समय आने का इंतजार करते रहे।
[[राज कपूर]] की उम्र उस समय 22 साल थी और अभी तक उन्हें कोई फ़िल्म निर्देशित करने का मौका नहीं मिला था। उस मुलाक़ात की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। उनको अपनी पहली फ़िल्म के लिए एक स्टूडियो की तलाश थी। उन्हें पता लगा कि नर्गिस की माँ जद्दनबाई फ़ेमस स्टूडियो में 'रोमियो एंड जूलिएट' की शूटिंग कर रही हैं। वह जानना चाहते थे कि वहाँ किस तरह की सुविधाएं हैं? जब राज कपूर उनके घर पहुंचे तो नर्गिस ने खुद दरवाज़ा खोला। वह रसोई से दौड़ती हुई आईं थीं, जहाँ वो पकौड़े तल रही थीं।
बेख़्याली में उनका हाथ उनके बालों से लग गया और उसमें लगा बेसन उनके बालों में लग गया। नर्गिस की इस अदा पर राज कपूर उन पर मर मिटे। बाद में उन्होंने इस सीन को हूबहू 'बॉबी' फ़िल्म में [[ऋषि कपूर]] और डिंपल कपाड़िया पर फ़िल्माया। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि नर्गिस ने इस मुलाक़ात को किस तरह से लिया?


[[महबूब ख़ान]] की फ़िल्म '[[मदर इंडिया]]' में दोनों ने साथ काम किया। इस फ़िल्म की शूटिंग के दौरान दोनों के बीच के फासले थोड़े कम होने लगे। कुछ बात आगे भी बढ़ी। 'मदर इंडिया' की शूटिंग के दौरान जब सेट पर अचानक से आग लग गई तो उस आग में नर्गिस फंस गई थीं। तो अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए सुनील दत्त ने उन्हें बचाया था। नर्गिस को उनकी ये अदा पसंद आ गई थी। इस घटना के बाद से ही वह भी उन्हें पसंद करने लगी थीं। इसके बाद धीरे-धीरे इनके बीच प्यार हुआ और ये काफ़ी एक करीब आ गए। धीरे-धीरे इनका प्यार परवान चढ़ने लगा तो ये दोनों एक-दूसरे को खत लिखकर अपने प्यार का इज़हार करने लगे। नर्गिस जब सुनील से मिली थीं तो उस समय राजकपूर से उनका ब्रेकअप होने के कगार पर था। साथ ही उन्हें एक ऐसे इंसान की जरूरत थी, जो उन्हें संभाल सके और ये उन्हें सुनील में नज़र आया। उसके बाद उन्होंने शादी कर ली थी।
टी. जे. एस. जॉर्ज ने अपनी किताब 'द लाइफ़ एंड टाइम्स ऑफ़ नर्गिस' में लिखा है, 'अपनी सबसे करीबी दोस्त नीलम को वह घटना बताते हुए नर्गिस ने कहा कि एक मोटा, नीली आँखों वाला लड़का हमारे घर आया था। उन्होंने नीलम को ये भी बताया कि 'आग' की शूटिंग के दौरान उस लड़के ने मुझ पर लाइन मारनी शुरू कर दी'। जब नर्गिस राज कपूर की पहली फ़िल्म 'आग' में काम करने के लिए राज़ी हुई तो उनकी माँ ने ज़ोर दिया कि पोस्टर में उनका नाम कामिनी कौशल और निगार सुल्ताना से ऊपर रखा जाए। [[पृथ्वीराज कपूर]] के अनुरोध पर जद्दनबाई अपनी बेटी के लिए सिर्फ़ दस हज़ार रुपए की फ़ीस लेने पर राज़ी हो गईं। हालांकि बाद में नर्गिस के भाई अख़्तर हुसैन ने ज़ोर दिया कि उनकी बहन का मेहनताना बढ़ा कर चालीस हज़ार रुपये कर दिया जाए, जो कि किया गया।
[[चित्र:Nargis.jpg|नर्गिस और राज कपूर|thumb|250px|left]]
==राज कपूर और नर्गिस का प्रेम सम्बंध==
'आग' की शूटिंग खंडाला में हुई थी और नर्गिस की शक्की माँ जद्दनबाई भी उनके साथ वहाँ गई थीं। जब राज कपूर ने अपनी फ़िल्म 'बरसात' की शूटिंग [[कश्मीर]] में करनी चाही तो जद्दनबाई ने साफ़ इंकार कर दिया। बाद में [[महाबलेश्वर]] को ही कश्मीर बना कर फ़िल्म की शूटिंग हुई। उधर कपूर खानदान में भी इस रोमांस को ले कर काफ़ी तनाव था। पृथ्वीराज कपूर ने अपने बेटे को समझाने की कोशिश की, लेकिन राज कपूर का इस पर कोई असर नहीं हुआ। 'आवारा' के फ़्लोर पर जाते जाते नर्गिस की माँ का निधन हो गया। उसके बाद उन पर रोकटोक लगाने वाला कोई नहीं रहा। 'बरसात' फ़िल्म बनते बनते नर्गिस राज कपूर के लिए पूरी तरह से कमिट हो गईं थीं।


सुनील दत्त शुरू से ही मजाकिया किस्म के इंसान थे। जितना उन्हें गुस्सा आता था उतना ही वो मजाक करते थे। वो नर्गिस को बहुत चिढ़ाते थे। एक बार तो उन्होंने उन्हें पूरे दो घंटे तक इंतजार करवाया। हुआ ऐसा कि फ़िल्म 'हमराज़' की शूटिंग के लिए 110 साल के बूढ़े के किरदार के लिए मेकअप किया जा रहा था। तभी उनसे मिलने नर्गिस आ गईं। उन्होंने दत्त साहब से ही पूछ लिया कि बाबा दत्त साहब कहां हैं। ये सुनते ही दत्त साहब ने मेकअप आर्टिस्ट को कुछ ना बताने का इशारा किया। पूरे 2 घंटे के इंतज़ार के बाद जब [[नर्गिस]] चलने लगीं तो मेकअप आर्टिस्ट को बुरा लगा। उन्होंने नर्गिस को बता दिया कि दत्त साहब आपके बगल में ही हैं। यह सुनते ही नर्गिस हैरान हो गईं और दत्त साहब ज़ोर से हंस पड़े।<ref>{{cite web |url=http://aajtak.intoday.in/gallery/the-eternal-love-story-of-legendary-actors-sunil-dutt-and-nargis-1-12748.html |title= भेष बदलकर नरगिस को छेड़ते थे सुनील दत्त, ऐसी थी इनकी प्रेम कहानी |accessmonthday= 06 जुलाई |accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=aajtak.intoday.in|language=हिंदी }}</ref>
मधु जैन ने अपनी किताब, 'फ़र्स्ट फ़ैमिली ऑफ़ इंडियन सिनेमा- द कपूर्स' में लिखा, "नर्गिस ने अपना दिल, अपनी आत्मा और यहाँ तक कि अपना पैसा भी राज कपूर की फ़िल्मों में लगाना शुरू कर दिया। जब [[आर. के. स्टूडियो]] के पास पैसों की कमी हुई तो नर्गिस ने अपने सोने के कड़े तक बेच डाले। उन्होंने आर. के. फ़िल्म्स के कम होते ख़ज़ाने को भरने के लिए बाहरी प्रोड्यूसरों की फ़िल्मों जैसे 'अदालत', 'घर संसार' और 'लाजवंती' में काम किया। बाद में राज कपूर ने उनके बारे में एक मशहूर लेकिन संवेदनहीन वकतव्य दिया, 'मेरी बीबी मेरे बच्चों की माँ है, लेकिन मेरी फ़िल्मों का माँ तो नर्गिस ही हैं।"
 
[[राज कपूर]] के छोटे भाई [[शशि कपूर]] बताते हैं, 'नर्गिस आर. के. फ़िल्म्स की जान थीं। उनका कोई सीन न होने पर भी वह सेट्स पर मौजूद रहती थीं।' जब राज कपूर [[नासिक]] के पास एक झील पर 'आह' फ़िल्म की शूटिंग कर रहे थे तो उन्होंने अपने चचेरे भाई कर्नल राज खन्ना को शूटिंग देखने के लिए बुलाया।
 
राज कपूर की बेटी रितु नंदा ने अपनी किताब 'राज कपूर स्पीक्स' में लिखा है, 'कर्नल राज खन्ना ने मुझे बताया कि उन दिनों शूटिंग के बाद हम लोग रोज़ शिकार खेलने जाते थे। नर्गिस हमारे पीछे जीप में बैठी होती थीं और हम लोगों को सैंडविचेस और ड्रिंक्स पकड़ाती रहती थीं। हम लोग रात को तीन या चार बजे वापस लौटते थे। इसके बाद नर्गिस मैदान में लगे तंबुओं के चारों ओर घूमती थीं और उन में सो रहे लोगों को डांटती थीं कि अब तक जेनरेटर क्यों चल रहे हैं। नर्गिस किसी भी तरह की बरबादी के सख़्त ख़िलाफ़ थीं।'
 
राज कपूर के जीवन की ये विडंबना थी कि वो नर्गिस से उनकी पहली मुलाक़ात उनकी शादी होने के सिर्फ़ चार महीने बाद हुई। उनके धर्म भी अलग अलग थे। हालांकि नर्गिस के पिता डॉक्टर मोहन बाबू [[हिन्दू]] थे, लेकिन उनका पालन पोषण एक मुस्लिम की तरह हुआ था। नर्गिस राज कपूर से ज़्यादा पढ़ी लिखी थीं। उन्होंने क्वींस मेरी कॉन्वेंट से बी. ए. पास किया था। राज कपूर ने कभी स्कूल की अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की और हमेशा कॉमिक्स ही पढ़ते रहे। राज कपूर जिस भी फ़िल्म समारोह में जाते नर्गिस को अपने साथ ले जाते।
 
देवानंद ने अपनी आत्मकथा, 'रोमांसिंग विद लाइफ़' में लिखा है, 'मैंने राज कपूर को अच्छी तरह तब जाना जब हम [[रूस]] में छह हफ़्तों तक एक साथ रहे। हम लोग पार्टियों में साथ साथ जाते। नर्गिस और राज कपूर एक ही कमरे में रहते थे। जहाँ भी हम जाते रूसी प्यानो पर 'आवारा हूँ' की धुन बजाते। कभी कभी राज कपूर इतनी शराब पी लेते कि बिस्तर से उतरने का नाम ही नहीं लेते। हम लोग नीचे उनका इंतेज़ार कर रहे होते और तब नर्गिस उन्हें नीचे लाने की कोशिश करतीं।' लेकिन कुछ समय बाद जैसा कि स्वाभाविक था, नर्गिस पत्नी, माँ और श्रीमती राज कपूर बनने के ख़्वाब देखने लगीं।
 
मधु जैन ने लिखा है, 'नर्गिस की ये इच्छा इतनी बलवती हुई कि कि उन्होंने [[बंबई]] के तत्कालीन गृह मंत्री [[मोरारजी देसाई]] तक से इस बारे में सलाह ले डाली कि वो किस तरह क़ानूनी रूप से राज कपूर से शादी कर सकती हैं?' नर्गिस की दोस्त नीलम ने बताया कि राज कपूर नर्गिस से हमेशा कहा करते थे कि एक दिन वह उनसे [[विवाह]] ज़रूर करेंगे। लेकिन उनका धैर्य तब ज़वाब दे गया जब उन्हें महसूस हुआ कि राज कपूर अपनी पत्नी को कभी नहीं छोड़ेंगे। राज कपूर के जीवन से नर्गिस का प्रस्थान शाँतिपूर्ण और 'अंतिम' था। सामान्यत: नर्गिस आर. के. बैनर के बाहर की कोई फ़िल्म साइन करने से पहले राज कपूर से सलाह ज़रूर करती थीं। लेकिन जब उन्होंने 'मदर इंडिया' साइन की तो सब को अंदाज़ा हो गया कि दोनों की प्रेम कहानी अपने अंतिम चरण में है।
 
[[1986]] में राज कपूर ने एक इंटरव्यू में बताया था, 'नर्गिस ने मुझे एक बार फिर धोखा दिया जब उसने एक बूढ़ी औरत का रोल करने से इंकार कर दिया। वो स्क्रिप्ट मैंने राजिंदर सिंह बेदी से ख़रीदी थी। उसने कहा कि इससे उसकी इमेज ख़राब होगी। लेकिन अगले ही दिन उसने 'मदर इंडिया' साइन कर ली जिसमें उसका बूढ़ी औरत का रोल था।' [[1958]] में नर्गिस ने [[सुनील दत्त]] से विवाह कर लिया। ये विवाह तब तक गुप्त रखा गया जब तक 'मदर इंडिया' रिलीज़ नहीं हुई, क्योंकि इस फ़िल्म में सुनील दत्त नर्गिस के बेटे का रोल निभा रहे थे। अगर इस बात का लोगों को पता चल जाता तो शायद फ़िल्म उतनी नहीं चलती। राज कपूर को इस बात का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि नर्गिस उन्हें छोड़ने जा रही हैं।
 
मधु जैन ने लिखा है, 'जब उन्हें पता चला कि नर्गिस ने सुनील दत्त से शादी कर ली है तो राज कपूर अपने दोस्तों और साथियों के सामने फूट फूट कर रोए। कहा तो यहाँ तक जाता है कि राज कपूर अपनेआप को सिगरेट बटों से जलाते, ये देखने के लिए कि कहीं वो सपना तो नहीं देख रहे।' नर्गिस के जीवनीकार टी. जे. एस. जॉर्ज लिखा है, 'इसके बाद से ही राज कपूर ने बेइंतहा शराब पीनी शुरू कर दी। उन्हें जो भी कंधा मिलता, उस पर सिर रख कर वो बच्चों की तरह रोते।' स्टर्लिंग पब्लिशर्स के प्रमुख सुरेश कोहली जब एक बार उनका इंटरव्यू लेने गए तो उन्होंने बातों बातों में ज़िक्र कर दिया कि देवयानी चौबल उनकी जीवनी लिखना चाहती हैं। ये सुनना था कि राज कपूर के मन का ग़ुबार टूट गया। राज कपूर बोले, 'वो मेरे बारे में क्या जानती है?'
 
सुरेश कोहली ने बताया, "फिर उन्होंने अपनी ड्राअर से एक फ़्रेम किया हुआ पत्र निकाला। राज कपूर बोले, दुनिया कहती है कि मैंने नर्गिस का साथ नहीं दिया। असल में उसने मुझे धोखा दिया। एक बार हम दोनों एक पार्टी में जा रहे थे। उसके हाथ में एक काग़ज़ था। मैंने उससे पूछा, 'ये क्या है?' उसने ज़वाब दिया, 'कुछ नहीं, कुछ नहीं।' फिर उसने वो कागज़ फाड़ दिया। जब हम कार के पास पहुंचे तो मैंने कहा कि मैं अपना रुमाल भूल आया हूँ तब तक नौकरानी ने उन फटे हुए कागज़ों को झाड़ कर वेस्ट पेपर बास्केट में डाल दिया था। मैंने उसे अपनी अलमारी में रख दिया। अगले दिन मैंने उन फटे हुए कागज़ों को एक एक कर जोड़ा। तब मुझे पता चला कि उसमें एक प्रोड्यूसर ने नर्गिस को शादी का प्रस्ताव दिया था। उसने मुझे उसके बारे में कुछ भी नहीं बताया। मैंने इस पूरे पत्र को फ़्रेम करा कर अपने पास रख लिया। मैंने ये पूरी घटना 'संगम' फिल्म के एक सीन में फ़िल्माई।" सुरेश कोहली के अनुसार ये शादी का प्रस्ताव निर्माता-निर्देशक शाहिद लतीफ़ की तरफ़ से आया था, जो उस समय लेखिका इस्मत चुग़ताई के पति थे।
 
राज कपूर और नर्गिस की आख़िरी फ़िल्म 'जागते रहो' थी। पूरी ज़िंदगी उनकी लीड लेडी का रोल करने वाली नर्गिस इस फ़िल्म में जोगन का रोल कर रही थीं। फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर बुरी तरह से फ़्लाप हुई। लोगों ने राज कपूर और नर्गिस के बीच रहने वाली कैमिस्ट्री को उस फ़िल्म में बिल्कुल नहीं पाया। सालों बाद जब नर्गिस दत्त का अंतिम संस्कार हुआ तो राज कपूर उनके जनाज़े में आम लोगों के साथ सबसे पीछे चल रहे थे। हर कोई उन्हें आगे उनके पार्थिव शरीर के पास जाने के लिए कह रहा था। लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी। उनकी आँखों पर धूप का चश्मा लगा हुआ था। वो धीमे से बुदबुदाए थे, 'एक-एक करके मेरे सारे दोस्त मुझे छोड़ कर जा रहे हैं।'<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.com/hindi/entertainment-40119351 |title= नर्गिस के बालों में लगा बेसन देख, फ़िदा हो गए थे राज कपूर |accessmonthday= 06 जुलाई |accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.bbc.com|language=हिंदी}}</ref>





13:06, 6 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

नर्गिस से सम्बंधित संस्मरण-3
नर्गिस
नर्गिस
पूरा नाम फ़ातिमा रशीद
प्रसिद्ध नाम नर्गिस
जन्म 1 जून, 1929
जन्म भूमि कलकत्ता, पश्चिम बंगाल
मृत्यु 3 मई, 1981
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
अभिभावक उत्तमचन्द मोहनचन्द और जद्दनबाई
पति/पत्नी सुनील दत्त
संतान संजय दत्त, नम्रता दत्त, प्रिया दत्त
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र अभिनेत्री
मुख्य फ़िल्में मदर इंडिया, आवारा, श्री 420, बरसात, अंदाज, लाजवंती, जोगन परदेशी, रात और दिन
पुरस्कार-उपाधि पद्मश्री, राष्ट्रीय पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (रात और दिन)
प्रसिद्धि फ़िल्म 'मदर इंडिया' में राधा की भूमिका
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी अभिनय से अलग होने के बाद नर्गिस सामाजिक कार्यो में संलग्न रहीं और पति सुनील दत्त के साथ अजंता आर्ट्स कल्चरल ट्रूप की स्थापना की।

नर्गिस हिन्दी फ़िल्मों की सफल अभिनेत्रियों की श्रेणी में आती थी। उन्हें जद्दनबाई थीं, जोकि गायिका, अभिनेत्री थीं। फ़िल्मी दुनिया में बहुत से अभिनेता व अभिनेत्रियों की प्रेम कथाएँ सुनने को मिलती हैं। ऐसी ही एक कथा नर्गिस और राज कपूर के बारे में भी सुनी गयी थी।

नर्गिस और राज कपूर की पहली मुलाक़ात

राज कपूर की उम्र उस समय 22 साल थी और अभी तक उन्हें कोई फ़िल्म निर्देशित करने का मौका नहीं मिला था। उस मुलाक़ात की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। उनको अपनी पहली फ़िल्म के लिए एक स्टूडियो की तलाश थी। उन्हें पता लगा कि नर्गिस की माँ जद्दनबाई फ़ेमस स्टूडियो में 'रोमियो एंड जूलिएट' की शूटिंग कर रही हैं। वह जानना चाहते थे कि वहाँ किस तरह की सुविधाएं हैं? जब राज कपूर उनके घर पहुंचे तो नर्गिस ने खुद दरवाज़ा खोला। वह रसोई से दौड़ती हुई आईं थीं, जहाँ वो पकौड़े तल रही थीं। बेख़्याली में उनका हाथ उनके बालों से लग गया और उसमें लगा बेसन उनके बालों में लग गया। नर्गिस की इस अदा पर राज कपूर उन पर मर मिटे। बाद में उन्होंने इस सीन को हूबहू 'बॉबी' फ़िल्म में ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया पर फ़िल्माया। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि नर्गिस ने इस मुलाक़ात को किस तरह से लिया?

टी. जे. एस. जॉर्ज ने अपनी किताब 'द लाइफ़ एंड टाइम्स ऑफ़ नर्गिस' में लिखा है, 'अपनी सबसे करीबी दोस्त नीलम को वह घटना बताते हुए नर्गिस ने कहा कि एक मोटा, नीली आँखों वाला लड़का हमारे घर आया था। उन्होंने नीलम को ये भी बताया कि 'आग' की शूटिंग के दौरान उस लड़के ने मुझ पर लाइन मारनी शुरू कर दी'। जब नर्गिस राज कपूर की पहली फ़िल्म 'आग' में काम करने के लिए राज़ी हुई तो उनकी माँ ने ज़ोर दिया कि पोस्टर में उनका नाम कामिनी कौशल और निगार सुल्ताना से ऊपर रखा जाए। पृथ्वीराज कपूर के अनुरोध पर जद्दनबाई अपनी बेटी के लिए सिर्फ़ दस हज़ार रुपए की फ़ीस लेने पर राज़ी हो गईं। हालांकि बाद में नर्गिस के भाई अख़्तर हुसैन ने ज़ोर दिया कि उनकी बहन का मेहनताना बढ़ा कर चालीस हज़ार रुपये कर दिया जाए, जो कि किया गया।

नर्गिस और राज कपूर

राज कपूर और नर्गिस का प्रेम सम्बंध

'आग' की शूटिंग खंडाला में हुई थी और नर्गिस की शक्की माँ जद्दनबाई भी उनके साथ वहाँ गई थीं। जब राज कपूर ने अपनी फ़िल्म 'बरसात' की शूटिंग कश्मीर में करनी चाही तो जद्दनबाई ने साफ़ इंकार कर दिया। बाद में महाबलेश्वर को ही कश्मीर बना कर फ़िल्म की शूटिंग हुई। उधर कपूर खानदान में भी इस रोमांस को ले कर काफ़ी तनाव था। पृथ्वीराज कपूर ने अपने बेटे को समझाने की कोशिश की, लेकिन राज कपूर का इस पर कोई असर नहीं हुआ। 'आवारा' के फ़्लोर पर जाते जाते नर्गिस की माँ का निधन हो गया। उसके बाद उन पर रोकटोक लगाने वाला कोई नहीं रहा। 'बरसात' फ़िल्म बनते बनते नर्गिस राज कपूर के लिए पूरी तरह से कमिट हो गईं थीं।

मधु जैन ने अपनी किताब, 'फ़र्स्ट फ़ैमिली ऑफ़ इंडियन सिनेमा- द कपूर्स' में लिखा, "नर्गिस ने अपना दिल, अपनी आत्मा और यहाँ तक कि अपना पैसा भी राज कपूर की फ़िल्मों में लगाना शुरू कर दिया। जब आर. के. स्टूडियो के पास पैसों की कमी हुई तो नर्गिस ने अपने सोने के कड़े तक बेच डाले। उन्होंने आर. के. फ़िल्म्स के कम होते ख़ज़ाने को भरने के लिए बाहरी प्रोड्यूसरों की फ़िल्मों जैसे 'अदालत', 'घर संसार' और 'लाजवंती' में काम किया। बाद में राज कपूर ने उनके बारे में एक मशहूर लेकिन संवेदनहीन वकतव्य दिया, 'मेरी बीबी मेरे बच्चों की माँ है, लेकिन मेरी फ़िल्मों का माँ तो नर्गिस ही हैं।"

राज कपूर के छोटे भाई शशि कपूर बताते हैं, 'नर्गिस आर. के. फ़िल्म्स की जान थीं। उनका कोई सीन न होने पर भी वह सेट्स पर मौजूद रहती थीं।' जब राज कपूर नासिक के पास एक झील पर 'आह' फ़िल्म की शूटिंग कर रहे थे तो उन्होंने अपने चचेरे भाई कर्नल राज खन्ना को शूटिंग देखने के लिए बुलाया।

राज कपूर की बेटी रितु नंदा ने अपनी किताब 'राज कपूर स्पीक्स' में लिखा है, 'कर्नल राज खन्ना ने मुझे बताया कि उन दिनों शूटिंग के बाद हम लोग रोज़ शिकार खेलने जाते थे। नर्गिस हमारे पीछे जीप में बैठी होती थीं और हम लोगों को सैंडविचेस और ड्रिंक्स पकड़ाती रहती थीं। हम लोग रात को तीन या चार बजे वापस लौटते थे। इसके बाद नर्गिस मैदान में लगे तंबुओं के चारों ओर घूमती थीं और उन में सो रहे लोगों को डांटती थीं कि अब तक जेनरेटर क्यों चल रहे हैं। नर्गिस किसी भी तरह की बरबादी के सख़्त ख़िलाफ़ थीं।'

राज कपूर के जीवन की ये विडंबना थी कि वो नर्गिस से उनकी पहली मुलाक़ात उनकी शादी होने के सिर्फ़ चार महीने बाद हुई। उनके धर्म भी अलग अलग थे। हालांकि नर्गिस के पिता डॉक्टर मोहन बाबू हिन्दू थे, लेकिन उनका पालन पोषण एक मुस्लिम की तरह हुआ था। नर्गिस राज कपूर से ज़्यादा पढ़ी लिखी थीं। उन्होंने क्वींस मेरी कॉन्वेंट से बी. ए. पास किया था। राज कपूर ने कभी स्कूल की अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की और हमेशा कॉमिक्स ही पढ़ते रहे। राज कपूर जिस भी फ़िल्म समारोह में जाते नर्गिस को अपने साथ ले जाते।

देवानंद ने अपनी आत्मकथा, 'रोमांसिंग विद लाइफ़' में लिखा है, 'मैंने राज कपूर को अच्छी तरह तब जाना जब हम रूस में छह हफ़्तों तक एक साथ रहे। हम लोग पार्टियों में साथ साथ जाते। नर्गिस और राज कपूर एक ही कमरे में रहते थे। जहाँ भी हम जाते रूसी प्यानो पर 'आवारा हूँ' की धुन बजाते। कभी कभी राज कपूर इतनी शराब पी लेते कि बिस्तर से उतरने का नाम ही नहीं लेते। हम लोग नीचे उनका इंतेज़ार कर रहे होते और तब नर्गिस उन्हें नीचे लाने की कोशिश करतीं।' लेकिन कुछ समय बाद जैसा कि स्वाभाविक था, नर्गिस पत्नी, माँ और श्रीमती राज कपूर बनने के ख़्वाब देखने लगीं।

मधु जैन ने लिखा है, 'नर्गिस की ये इच्छा इतनी बलवती हुई कि कि उन्होंने बंबई के तत्कालीन गृह मंत्री मोरारजी देसाई तक से इस बारे में सलाह ले डाली कि वो किस तरह क़ानूनी रूप से राज कपूर से शादी कर सकती हैं?' नर्गिस की दोस्त नीलम ने बताया कि राज कपूर नर्गिस से हमेशा कहा करते थे कि एक दिन वह उनसे विवाह ज़रूर करेंगे। लेकिन उनका धैर्य तब ज़वाब दे गया जब उन्हें महसूस हुआ कि राज कपूर अपनी पत्नी को कभी नहीं छोड़ेंगे। राज कपूर के जीवन से नर्गिस का प्रस्थान शाँतिपूर्ण और 'अंतिम' था। सामान्यत: नर्गिस आर. के. बैनर के बाहर की कोई फ़िल्म साइन करने से पहले राज कपूर से सलाह ज़रूर करती थीं। लेकिन जब उन्होंने 'मदर इंडिया' साइन की तो सब को अंदाज़ा हो गया कि दोनों की प्रेम कहानी अपने अंतिम चरण में है।

1986 में राज कपूर ने एक इंटरव्यू में बताया था, 'नर्गिस ने मुझे एक बार फिर धोखा दिया जब उसने एक बूढ़ी औरत का रोल करने से इंकार कर दिया। वो स्क्रिप्ट मैंने राजिंदर सिंह बेदी से ख़रीदी थी। उसने कहा कि इससे उसकी इमेज ख़राब होगी। लेकिन अगले ही दिन उसने 'मदर इंडिया' साइन कर ली जिसमें उसका बूढ़ी औरत का रोल था।' 1958 में नर्गिस ने सुनील दत्त से विवाह कर लिया। ये विवाह तब तक गुप्त रखा गया जब तक 'मदर इंडिया' रिलीज़ नहीं हुई, क्योंकि इस फ़िल्म में सुनील दत्त नर्गिस के बेटे का रोल निभा रहे थे। अगर इस बात का लोगों को पता चल जाता तो शायद फ़िल्म उतनी नहीं चलती। राज कपूर को इस बात का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि नर्गिस उन्हें छोड़ने जा रही हैं।

मधु जैन ने लिखा है, 'जब उन्हें पता चला कि नर्गिस ने सुनील दत्त से शादी कर ली है तो राज कपूर अपने दोस्तों और साथियों के सामने फूट फूट कर रोए। कहा तो यहाँ तक जाता है कि राज कपूर अपनेआप को सिगरेट बटों से जलाते, ये देखने के लिए कि कहीं वो सपना तो नहीं देख रहे।' नर्गिस के जीवनीकार टी. जे. एस. जॉर्ज लिखा है, 'इसके बाद से ही राज कपूर ने बेइंतहा शराब पीनी शुरू कर दी। उन्हें जो भी कंधा मिलता, उस पर सिर रख कर वो बच्चों की तरह रोते।' स्टर्लिंग पब्लिशर्स के प्रमुख सुरेश कोहली जब एक बार उनका इंटरव्यू लेने गए तो उन्होंने बातों बातों में ज़िक्र कर दिया कि देवयानी चौबल उनकी जीवनी लिखना चाहती हैं। ये सुनना था कि राज कपूर के मन का ग़ुबार टूट गया। राज कपूर बोले, 'वो मेरे बारे में क्या जानती है?'

सुरेश कोहली ने बताया, "फिर उन्होंने अपनी ड्राअर से एक फ़्रेम किया हुआ पत्र निकाला। राज कपूर बोले, दुनिया कहती है कि मैंने नर्गिस का साथ नहीं दिया। असल में उसने मुझे धोखा दिया। एक बार हम दोनों एक पार्टी में जा रहे थे। उसके हाथ में एक काग़ज़ था। मैंने उससे पूछा, 'ये क्या है?' उसने ज़वाब दिया, 'कुछ नहीं, कुछ नहीं।' फिर उसने वो कागज़ फाड़ दिया। जब हम कार के पास पहुंचे तो मैंने कहा कि मैं अपना रुमाल भूल आया हूँ तब तक नौकरानी ने उन फटे हुए कागज़ों को झाड़ कर वेस्ट पेपर बास्केट में डाल दिया था। मैंने उसे अपनी अलमारी में रख दिया। अगले दिन मैंने उन फटे हुए कागज़ों को एक एक कर जोड़ा। तब मुझे पता चला कि उसमें एक प्रोड्यूसर ने नर्गिस को शादी का प्रस्ताव दिया था। उसने मुझे उसके बारे में कुछ भी नहीं बताया। मैंने इस पूरे पत्र को फ़्रेम करा कर अपने पास रख लिया। मैंने ये पूरी घटना 'संगम' फिल्म के एक सीन में फ़िल्माई।" सुरेश कोहली के अनुसार ये शादी का प्रस्ताव निर्माता-निर्देशक शाहिद लतीफ़ की तरफ़ से आया था, जो उस समय लेखिका इस्मत चुग़ताई के पति थे।

राज कपूर और नर्गिस की आख़िरी फ़िल्म 'जागते रहो' थी। पूरी ज़िंदगी उनकी लीड लेडी का रोल करने वाली नर्गिस इस फ़िल्म में जोगन का रोल कर रही थीं। फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर बुरी तरह से फ़्लाप हुई। लोगों ने राज कपूर और नर्गिस के बीच रहने वाली कैमिस्ट्री को उस फ़िल्म में बिल्कुल नहीं पाया। सालों बाद जब नर्गिस दत्त का अंतिम संस्कार हुआ तो राज कपूर उनके जनाज़े में आम लोगों के साथ सबसे पीछे चल रहे थे। हर कोई उन्हें आगे उनके पार्थिव शरीर के पास जाने के लिए कह रहा था। लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी। उनकी आँखों पर धूप का चश्मा लगा हुआ था। वो धीमे से बुदबुदाए थे, 'एक-एक करके मेरे सारे दोस्त मुझे छोड़ कर जा रहे हैं।'[1]



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