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||[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जूना ख़ाँ, [[मुहम्मद बिन तुग़लक़]] (1325-1351 ई.) के नाम से [[दिल्ली]] की गद्दी पर बैठा। इसका मूल नाम 'उलूग ख़ाँ' था। राजमुंदरी के एक [[अभिलेख]] में मुहम्मद तुग़लक़ को 'दुनिया का ख़ान' कहा गया है। सम्भवतः मध्यकालीन सभी सुल्तानों में वह सर्वाधिक शिक्षित, विद्वान एवं योग्य व्यक्ति था। अपनी सनक भरी योजनाओं, क्रूर-कृत्यों एवं दूसरे के सुख-दु:ख के प्रति उपेक्षा का भाव रखने के कारण मुहम्मद तुग़लक़ को 'स्वप्नशील', 'पागल' एवं 'रक्तपिपासु' कहा गया है। [[जियाउद्दीन बरनी|बरनी]], सरहिन्दी , निज़ामुद्दीन, [[बदायूंनी]] एवं [[फ़रिश्ता]] जैसे इतिहासकारों ने उसको अधर्मी घोषित किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुहम्मद बिन तुग़लक़]]
||[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जूना ख़ाँ, [[मुहम्मद बिन तुग़लक़]] (1325-1351 ई.) के नाम से [[दिल्ली]] की गद्दी पर बैठा। इसका मूल नाम 'उलूग ख़ाँ' था। राजमुंदरी के एक [[अभिलेख]] में मुहम्मद तुग़लक़ को 'दुनिया का ख़ान' कहा गया है। सम्भवतः मध्यकालीन सभी सुल्तानों में वह सर्वाधिक शिक्षित, विद्वान् एवं योग्य व्यक्ति था। अपनी सनक भरी योजनाओं, क्रूर-कृत्यों एवं दूसरे के सुख-दु:ख के प्रति उपेक्षा का भाव रखने के कारण मुहम्मद तुग़लक़ को 'स्वप्नशील', 'पागल' एवं 'रक्तपिपासु' कहा गया है। [[जियाउद्दीन बरनी|बरनी]], सरहिन्दी , निज़ामुद्दीन, [[बदायूंनी]] एवं [[फ़रिश्ता]] जैसे इतिहासकारों ने उसको अधर्मी घोषित किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुहम्मद बिन तुग़लक़]]
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