"कंडासामी कुप्पुसामी": अवतरणों में अंतर
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'''कंडासामी कुप्पुसामी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kandasamy Kuppusamy'') भारतीय मूल के [[तमिल भाषा|तमिल]] | {{सूचना बक्सा साहित्यकार | ||
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कंडासामी कुप्पुसामी
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पूरा नाम | कंडासामी कुप्पुसामी |
जन्म | ? |
मृत्यु | 14 मई, 2016 |
मृत्यु स्थान | जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ़्रीका |
कर्म भूमि | दक्षिण अफ़्रीका |
कर्म-क्षेत्र | लेखन |
मुख्य रचनाएँ | 'ए शार्ट हिस्टरी ऑफ़ इंडियन एजुकेशन', 'रिलिजन, कस्टम्स एंड प्रैक्टिसेस ऑफ़ साउथ अफ़्रीकन इंडियन्स' और 'दि थ्री पिलर्स ऑफ़ तमिल'। |
भाषा | तमिल |
प्रसिद्धि | तमिल विद्वान् एवं लेखक |
अन्य जानकारी | कंडासामी कुप्पुसामी दक्षिण अफ़्रीकी तमिल परिसंघ के संस्थापक सदस्य और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सदस्य थे। |
अद्यतन | 15:51, 29 अप्रॅल 2017 (IST)
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इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
कंडासामी कुप्पुसामी (अंग्रेज़ी: Kandasamy Kuppusamy, जन्म- ?, मृत्यु- 14 मई, 2016, जोहान्सबर्ग) भारतीय मूल के तमिल विद्वान् एवं लेखक थे। वह दक्षिण अफ़्रीका में भारतीयों के बीच भारतीय समुदाय व तमिल संस्कृति में शिक्षा पर एक सफल लेखक भी थे। दक्षिण अफ़्रीका के माध्यमिक विद्यालयों में तमिल भाषा पढ़ाए जाने के लिए देश की सरकार पर दबाव बनाने में कंडासामी कुप्पुसामी ने अहम भूमिका निभाई थी।
संक्षिप्त परिचय
कंडासामी कुप्पुसामी ने एक अध्यापक के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत की और उस काल में भारतीय शिक्षा विभाग में स्कूलों के प्रथम निरीक्षक बने, जब व्यवस्था में रंगभेद नीति मौजूद थी। कुप्पुसामी साउथ अफ्रीकन-तमिल फ़ेडरेशन के संस्थापक सदस्य थे और सबसे अधिक समय तक इसके सदस्य रहे।
पुस्तकें
- 'ए शार्ट हिस्टरी ऑफ़ इंडियन एजुकेशन'
- 'रिलिजन, कस्टम्स एंड प्रैक्टिसेस ऑफ़ साउथ अफ़्रीकन इंडियन्स'
- 'दि थ्री पिलर्स ऑफ़ तमिल'
निधन
दक्षिण अफ़्रीका की सरकार को माध्यमिक स्कूलों में भाषा के तौर पर तमिल पढ़ाने के लिए राजी करने में अहम भूमिका निभाने वाले कंडासामी कुप्पुसामी का 14 मई, 2016 शनिवार को 103 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया।
कंडासामी कुप्पुसामी के निधन के बाद दक्षिण अफ़्रीकी-भारतीय समुदाय शोक में डूब गया। वह दक्षिण अफ़्रीका में भारतीय समुदाय की शिक्षा एवं तमिल संस्कृति पर लेखन को लेकर भारतीयों के बीच बहुत लोकप्रिय थे। कंडासामी कुप्पुसामी दक्षिण अफ़्रीकी तमिल परिसंघ के संस्थापक सदस्य और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सदस्य थे। एसएटीएफ के प्रतिनिधि बॉबी पिल्लै ने उनके बारे में कहा था कि- "इस अगुआ और भाषा, संस्कृति एवं कला में उनके योगदान के बारे में कई संस्करण लिखे जा सकते हैं। वह हमारे बीच हुए सबसे महान् तमिल विद्वानों में से एक हैं।"[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय मूल के तमिल विद्वान् कुडासामी कुप्पुसामी का दक्षिण अफ्रीका में निधन (हिंदी) zeenews.india.com। अभिगमन तिथि: 29 अप्रॅल, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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