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;नॉर्डिक ([[अंग्रेज़ी]]: ''Nordic'') यह प्रजाति पहले [[पंजाब]] में आकर बसी और धीरे-धीरे [[भारत]] के अन्य भागों में भी फैल गई। इस समय इस प्रजाति के लोग [[सिन्धु नदी]] की ऊपरी घाटी, पंचकोट, कुनार, चितराल नदियों की घाटियों, [[हिन्दुकुश पर्वत]] के दक्षिण तथा [[कश्मीर]], पंजाब, [[राजस्थान]] आदि प्रदेशों में पाये जाते हैं। इसे [[आर्य]] - प्रजाति भी कहा जाता है। यह प्रजाति भारत में मध्य एशिया से लगभग 2000 ई.पू. में प्रविष्ट हुई। भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की जननी यही प्रजाति है। ये भारत के पश्चिमोत्तर भाग में प्रारम्भ में बसी।  
नॉर्डिक ([[अंग्रेज़ी]]: ''Nordic'') प्रजाति पहले [[पंजाब]] में आकर बसी और धीरे-धीरे [[भारत]] के अन्य भागों में भी फैल गई। इस समय इस प्रजाति के लोग [[सिन्धु नदी]] की ऊपरी घाटी, पंचकोट, कुनार, चितराल नदियों की घाटियों, [[हिन्दुकुश पर्वत]] के दक्षिण तथा [[कश्मीर]], पंजाब, [[राजस्थान]] आदि प्रदेशों में पाये जाते हैं। इसे [[आर्य]] - प्रजाति भी कहा जाता है। यह प्रजाति भारत में मध्य एशिया से लगभग 2000 ई.पू. में प्रविष्ट हुई। भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की जननी यही प्रजाति है। ये भारत के पश्चिमोत्तर भाग में प्रारम्भ में बसी।  
;विद्धानों के मत
;विद्धानों के मत
प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि द्रविड़ लोग मूलतः कहां के निवासी थे? इस सन्दर्भ में काफ़ी विवाद है फिर भी कुछ विद्धानों का मत इस प्रकार है -  
प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि द्रविड़ लोग मूलतः कहां के निवासी थे? इस सन्दर्भ में काफ़ी विवाद है फिर भी कुछ विद्धानों का मत इस प्रकार है -  
*रिजले और इनके समर्थक विद्वान - 'द्रविड़ [[बलूचिस्तान]] के ही निवासी रहे होगें।'  
*रिजले और इनके समर्थक विद्वान् - 'द्रविड़ [[बलूचिस्तान]] के ही निवासी रहे होगें।'  
*कर्नल डोल्डिच का मानना है कि 'बलूचिस्तान में रहने वाले ‘ब्राहुई‘ भाषा-भाषी लोग 'द्रविड़' जाति के नहीं बल्कि 'मंगोल' जाति के थे जिन्होंने द्रविड़ों को परास्त कर वहां से भगा दिया और साथ ही उनकी ‘ब्राहुई‘ भाषा को अपना लिया।' कुल मिलाकर इनके कथन का इशारा उसी ओर है कि द्रविड़ बलूचिस्तान के ही निवासी थे।  
*कर्नल डोल्डिच का मानना है कि 'बलूचिस्तान में रहने वाले ‘ब्राहुई‘ भाषा-भाषी लोग 'द्रविड़' जाति के नहीं बल्कि 'मंगोल' जाति के थे जिन्होंने द्रविड़ों को परास्त कर वहां से भगा दिया और साथ ही उनकी ‘ब्राहुई‘ भाषा को अपना लिया।' कुल मिलाकर इनके कथन का इशारा उसी ओर है कि द्रविड़ बलूचिस्तान के ही निवासी थे।  
*अधिकांश विद्धानों का यह मानना है कि द्रविड़ जाति के लोग 'भूमध्य सागरीय प्रदेश' के निवासी थे और सम्भवतः वे 'ईजियन सागर', 'एशिया माइनर' व 'फिलिस्तीन' से भारत आये थे। [[सिंधु घाटी सभ्यता|सिंधु सभ्यता]] के प्रणेता भी सम्भवतः द्रविड़ ही थे। भारत में द्रविड़ों के निवास स्थान [[पंजाब]], [[सिंधु]], [[मालवा]], [[महाराष्ट्र]], [[गंगा]] - [[यमुना]] का दोआब, [[बंगाल]] एवं दक्षिण भारत थे। [[ऋग्वेद]], जिसमें आर्यो के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है, में प्रयुक्त शब्द 'दस्यु' और 'दास्य' शब्द सम्भवतः द्रविड़ों के लिए ही प्रयोग किये गये हैं।
*अधिकांश विद्धानों का यह मानना है कि द्रविड़ जाति के लोग 'भूमध्य सागरीय प्रदेश' के निवासी थे और सम्भवतः वे 'ईजियन सागर', 'एशिया माइनर' व 'फिलिस्तीन' से भारत आये थे। [[सिंधु घाटी सभ्यता|सिंधु सभ्यता]] के प्रणेता भी सम्भवतः द्रविड़ ही थे। भारत में द्रविड़ों के निवास स्थान [[पंजाब]], [[सिंधु]], [[मालवा]], [[महाराष्ट्र]], [[गंगा]] - [[यमुना]] का दोआब, [[बंगाल]] एवं दक्षिण भारत थे। [[ऋग्वेद]], जिसमें आर्यो के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है, में प्रयुक्त शब्द 'दस्यु' और 'दास्य' शब्द सम्भवतः द्रविड़ों के लिए ही प्रयोग किये गये हैं।

14:40, 6 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

नॉर्डिक (अंग्रेज़ी: Nordic) प्रजाति पहले पंजाब में आकर बसी और धीरे-धीरे भारत के अन्य भागों में भी फैल गई। इस समय इस प्रजाति के लोग सिन्धु नदी की ऊपरी घाटी, पंचकोट, कुनार, चितराल नदियों की घाटियों, हिन्दुकुश पर्वत के दक्षिण तथा कश्मीर, पंजाब, राजस्थान आदि प्रदेशों में पाये जाते हैं। इसे आर्य - प्रजाति भी कहा जाता है। यह प्रजाति भारत में मध्य एशिया से लगभग 2000 ई.पू. में प्रविष्ट हुई। भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की जननी यही प्रजाति है। ये भारत के पश्चिमोत्तर भाग में प्रारम्भ में बसी।

विद्धानों के मत

प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि द्रविड़ लोग मूलतः कहां के निवासी थे? इस सन्दर्भ में काफ़ी विवाद है फिर भी कुछ विद्धानों का मत इस प्रकार है -

  • रिजले और इनके समर्थक विद्वान् - 'द्रविड़ बलूचिस्तान के ही निवासी रहे होगें।'
  • कर्नल डोल्डिच का मानना है कि 'बलूचिस्तान में रहने वाले ‘ब्राहुई‘ भाषा-भाषी लोग 'द्रविड़' जाति के नहीं बल्कि 'मंगोल' जाति के थे जिन्होंने द्रविड़ों को परास्त कर वहां से भगा दिया और साथ ही उनकी ‘ब्राहुई‘ भाषा को अपना लिया।' कुल मिलाकर इनके कथन का इशारा उसी ओर है कि द्रविड़ बलूचिस्तान के ही निवासी थे।
  • अधिकांश विद्धानों का यह मानना है कि द्रविड़ जाति के लोग 'भूमध्य सागरीय प्रदेश' के निवासी थे और सम्भवतः वे 'ईजियन सागर', 'एशिया माइनर' व 'फिलिस्तीन' से भारत आये थे। सिंधु सभ्यता के प्रणेता भी सम्भवतः द्रविड़ ही थे। भारत में द्रविड़ों के निवास स्थान पंजाब, सिंधु, मालवा, महाराष्ट्र, गंगा - यमुना का दोआब, बंगाल एवं दक्षिण भारत थे। ऋग्वेद, जिसमें आर्यो के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है, में प्रयुक्त शब्द 'दस्यु' और 'दास्य' शब्द सम्भवतः द्रविड़ों के लिए ही प्रयोग किये गये हैं।
शारीरिक लक्षण

इनके प्रमुख शारीरिक लक्षण हैं - लम्बा सिर, श्वेत व गुलाबी त्वचा, बाल सीधे व घंघराले, नीली आँखें तथा नीचे के दाँतों एवं ठुड्डी में दूरी अन्य प्रजातियें से अधिक है। ये लम्बे सिर, ऊंची पतली नाक, पतले होंठ, ऊंचे इकहरे शरीर, सुनहरे घुंघराले बाल, गौर वर्ण तथा नीली अथवा हल्की भूरी आंख वाले होते थे। किन्तु बाद में जलवायु परिवर्तन के कारण इनकी शारीरिक बनावट विशेषकर रंगों में परिवर्तन हो गया।

विशेषताएँ
  • अनेक विद्धानों का मानना है कि द्रविड़ सभ्यता नगरीय सभ्यता थी, इन लोगों ने ही सर्वप्रथम भारत में नगरों की नींव डाली। सम्भवतः इस जाति के लोगों ने ही सबसे पहले नदियों पर पुल एवं बांधों का निर्माण किया।
  • डॉ बार्नेट का माना है कि द्रविड़ समाज मातृ प्रधान था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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