"यूसुफ़ जुलेखा": अवतरणों में अंतर

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'''यूसुफ़ जुलेखा''' [[क़ुरान]] में दी गई एक [[प्रेमकथा|प्रेम कहानी]] है। इसे [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] द्वारा बोली जाने वाली कई [[भाषा|भाषाओं]], विशेष रूप से [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] और [[उर्दू]] में अनगिनत बार दोहराया जा चुका है। इसका सबसे प्रसिद्ध संस्करण फ़ारसी में जामी<ref>1414-1492</ref> की रचना 'हफ्त औरंग' (सात सिंहासन) में था।
#REDIRECT [[यूसुफ़ ज़ुलेखा]]
==अन्य संस्करण==
#यह कहानी तमाम कवियों की रचना का हिस्सा बनी है। संभवतः इसे सर्वप्रथम व्यवस्थित रूप में फ़ारसी कवि नूरुद्दीन अब्दुर्रहमान जामी (1414-1492 ई.) ने अपनी रचना 'हफ्त अवरंग' में रचा।
#महमूद गामी (1750-1855 ई.) ने [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]] में इस [[कथा]] को निबद्ध किया है।
#हाफिज बरखुरदार (1658–1707) ने [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]] में इनकी गाथा को निबद्ध किया है।
#शेख निसार ने [[अवधी भाषा|अवधी]] में इस पर काव्य रचा है, जिसमें माना जाता है कि उन्होंने 1790 ई. में 57 वर्ष की आयु में केवल सात दिनों में इसकी रचना की थी। इन्हीं की [[कहानी]] पर [[हिंदी]] में कवि नसीर ने [[1917]]-[[1918|18]] ई. में 'प्रेमदर्पण' की रचना की।
#शाह मुहम्मद सगीर ने चौदहवीं सदी में [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] में इस [[कथा]] को रचा।
#[[फ़िरदौसी]], [[अमीर ख़ुसरो]], फ़रीद से लेकर बुल्लेशाह तक ने अपनी कविताओं में इन्हें याद किया है।
 
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{प्रेमकथाएँ}}
[[Category:प्रेमकथाएँ]][[Category:कथा साहित्य]][[Category:कथा साहित्य कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
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