"पहेली 15 अगस्त 2017": अवतरणों में अंतर

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-[[परशुराम]]
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-[[जमदग्नि]]
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||[[चित्र:Vishvamitra-Muni.jpg|100px|right|border|विश्वामित्र]]'विश्वामित्र' [[गाधि]] के पुत्र थे। पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि उन्होंने कई वर्ष तक सफलतापूर्वक राज्य किया था। [[विश्वामित्र]] अपने समय के वीर और ख्यातिप्राप्त राजाओं में गिने जाते थे। लम्बे समय तक राज्य करने के बाद वे [[पृथ्वी]] की परिक्रमा के लिए निकले। पुरुषार्थ, सच्ची लगन, उद्यम और तप की गरिमा के रूप में महर्षि विश्वामित्र के समान शायद ही कोई हो। उन्होंने अपने पुरुषार्थ से, अपनी तपस्या के बल से क्षत्रियत्व से ब्रह्मत्व प्राप्त किया, राजर्षि से ब्रह्मर्षि बने, [[देवता|देवताओं]] और [[ऋषि|ऋषियों]] के लिये पूज्य बन गये। विश्वामित्र को सप्तर्षियों में अन्यतम स्थान प्राप्त हुआ था। अपनी तपस्या के बल और [[योग]] से वे सभी के लिए वन्दनीय भी बन गये थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विश्वामित्र]]
||[[चित्र:Vishvamitra-Muni.jpg|100px|right|border|विश्वामित्र]]'विश्वामित्र' [[गाधि]] के पुत्र थे। पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि उन्होंने कई वर्ष तक सफलतापूर्वक राज्य किया था। [[विश्वामित्र]] अपने समय के वीर और ख्यातिप्राप्त राजाओं में गिने जाते थे। लम्बे समय तक राज्य करने के बाद वे [[पृथ्वी]] की परिक्रमा के लिए निकले। पुरुषार्थ, सच्ची लगन, उद्यम और तप की गरिमा के रूप में महर्षि विश्वामित्र के समान शायद ही कोई हो। उन्होंने अपने पुरुषार्थ से, अपनी तपस्या के बल से क्षत्रियत्व से ब्रह्मत्व प्राप्त किया, राजर्षि से ब्रह्मर्षि बने, [[देवता|देवताओं]] और [[ऋषि|ऋषियों]] के लिये पूज्य बन गये। विश्वामित्र को सप्तर्षियों में अन्यतम स्थान प्राप्त हुआ था। अपनी तपस्या के बल और [[योग]] से वे सभी के लिए वन्दनीय भी बन गये थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विश्वामित्र]], [[मेनका]]
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13:31, 16 जुलाई 2017 के समय का अवतरण