"परिचय -रामधारी सिंह दिनकर": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "श्रृंगार" to "शृंगार") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " शृंगार " to " श्रृंगार ") |
||
पंक्ति 62: | पंक्ति 62: | ||
न देखे विश्व, पर मुझको घृणा से | न देखे विश्व, पर मुझको घृणा से | ||
मनुज हूँ, सृष्टि का | मनुज हूँ, सृष्टि का श्रृंगार हूँ मैं | ||
पुजारिन, धुलि से मुझको उठा ले | पुजारिन, धुलि से मुझको उठा ले | ||
तुम्हारे देवता का हार हूँ मैं | तुम्हारे देवता का हार हूँ मैं |
08:53, 17 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैं |
संबंधित लेख