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*[[तैल चालुक्य|तैलप]] की मृत्यु के बाद सत्याश्रय [[चालुक्य साम्राज्य|चालुक्य राज्य]] का स्वामी बना।
'''सत्याश्रय''' (977 से 1008 ई.), [[तैल चालुक्य|तैलप द्वितीय]] की मृत्यु के बाद उसका उत्तराधिकारी बना। उसे 'सत्तिग' अथवा 'सत्तिम' नाम से भी सम्बोधित किया गया है।
*उसके शासन काल की मुख्य घटना चोल राज्य के अधिपति [[राजराज प्रथम]] की दिग्विजय है।  
*सत्याश्रय का पहला सैनिक अभियान उत्तरी कोंकण प्रदेश के विरुद्ध था, इसमें वह सफल हुआ।
*राष्ट्रकूटों के शासन में [[चोल साम्राज्य|चोल राज्य]] अनेक बार प्रतापी विजेताओं द्वारा आक्रान्त हुआ था।  
*उसके शासन काल की मुख्य घटना [[चोल वंश|चोल]] राज्य के अधिपति [[राजराज प्रथम]] की दिग्विजय है।
*दक्षिणापथ में जब राष्ट्रकूटों की शक्ति क्षीण हुई, तो चोलों को अपने उत्कर्ष का अवसर मिल गया।
*उसने [[गुर्जर]] देश के शासक चामुण्डराज को भी पराजित किया था।
*राजराज प्रथम के रूप में वहाँ एक ऐसे वीर का प्रार्दुभाव हुआ, जिसने चोलशक्ति को बहुत बढ़ाया।
*सत्याश्रय के काल का सबसे भीषण युद्ध चोल शासक अरुमोलिवर्मन अथवा राजा रामप्रथम के साथ हुआ। इस युद्ध में सत्याश्रय पराजित हुआ।
*चालुक्य राज सत्याश्रय चोल विजेता द्वारा बुरी तरह परास्त हुआ।
*उसने 'आकर्लक चरित्र', 'इरिवेंडंग' एवं '[[आहवमल्ल]]' आदि अनेक विरुद्वों को धारण किया था।
*पर राजराज प्रथम ने दक्षिणापथ में स्थिर रूप से शासन करने का प्रयत्न नहीं किया।
*सत्याश्रय व्यक्तिगत रूप से [[जैन धर्म]] का अनुयायी था।
*अवसर पाकर सत्याश्रय फिर से स्वतंत्र हो गया।
*इसका गुरु विमलचन्द्र जैन दर्शन का महान् विद्धान था।
*वह 997 से 1008 तक चालुक्य राज का स्वामी बना रहा।
*सत्याश्रय विद्धानों का संरक्षक भी था। [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] कवि गदायुद्ध को इसका संरक्षण प्राप्त था।
 


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[[Category:दक्षिण भारत के साम्राज्य]]
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11:10, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

सत्याश्रय (977 से 1008 ई.), तैलप द्वितीय की मृत्यु के बाद उसका उत्तराधिकारी बना। उसे 'सत्तिग' अथवा 'सत्तिम' नाम से भी सम्बोधित किया गया है।

  • सत्याश्रय का पहला सैनिक अभियान उत्तरी कोंकण प्रदेश के विरुद्ध था, इसमें वह सफल हुआ।
  • उसके शासन काल की मुख्य घटना चोल राज्य के अधिपति राजराज प्रथम की दिग्विजय है।
  • उसने गुर्जर देश के शासक चामुण्डराज को भी पराजित किया था।
  • सत्याश्रय के काल का सबसे भीषण युद्ध चोल शासक अरुमोलिवर्मन अथवा राजा रामप्रथम के साथ हुआ। इस युद्ध में सत्याश्रय पराजित हुआ।
  • उसने 'आकर्लक चरित्र', 'इरिवेंडंग' एवं 'आहवमल्ल' आदि अनेक विरुद्वों को धारण किया था।
  • सत्याश्रय व्यक्तिगत रूप से जैन धर्म का अनुयायी था।
  • इसका गुरु विमलचन्द्र जैन दर्शन का महान् विद्धान था।
  • सत्याश्रय विद्धानों का संरक्षक भी था। कन्नड़ कवि गदायुद्ध को इसका संरक्षण प्राप्त था।


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