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[[1940]] के अंतिम दौर में मशहूर फ़िल्म निर्माता फजली ब्रदर्स 'दुनिया' नामक फ़िल्म बना रहे थे। फ़िल्म के गीत मशहूर शायर आरजू लखनवी लिख रहे थे, लेकिन दो गीत लिखने के बाद वे पाकिस्तान चले गए। बाद में [[एस. एच. बिहारी]], सरस्वती कुमार दीपक और तालिब इलाहाबादी ने भी उसके गीत लिखे। मगर, फजली बंधु और निदेशक एस. एफ. हसनैन लगातार नए गीतकार की तलाश कर रहे थे। इसी मकसद से उन्होंने [[5 मई]], [[1949]] को भोपाल टॉकिज में मुशायरे का आयोजन किया। असद भोपाली ने भी उसमें भाग लिया और अपने कलाम से महफिल लूट ली साथ ही फजली बंधुओं का दिल भी। फिर क्या था, अगले दिन भोपाल-भारत टॉकिज के मैनेजर सैयद मिस्बाउद्दीन साहब के जरिए असद को पांच सौ रुपए का एडवांस देकर फ़िल्म 'दुनिया' के लिए बतौर गीतकार साइन कर लिया गया। कुछ दिन बाद असद बंबई रवाना हो गए। 'दुनिया' उनकी पहली फ़िल्म थी। संगीतकार थे सी. रामचन्द्र और मुख्य भूमिकाओं में करण दीवान, [[सुरैया]], और याकूब जैसे | [[1940]] के अंतिम दौर में मशहूर फ़िल्म निर्माता फजली ब्रदर्स 'दुनिया' नामक फ़िल्म बना रहे थे। फ़िल्म के गीत मशहूर शायर आरजू लखनवी लिख रहे थे, लेकिन दो गीत लिखने के बाद वे पाकिस्तान चले गए। बाद में [[एस. एच. बिहारी]], सरस्वती कुमार दीपक और तालिब इलाहाबादी ने भी उसके गीत लिखे। मगर, फजली बंधु और निदेशक एस. एफ. हसनैन लगातार नए गीतकार की तलाश कर रहे थे। इसी मकसद से उन्होंने [[5 मई]], [[1949]] को भोपाल टॉकिज में मुशायरे का आयोजन किया। असद भोपाली ने भी उसमें भाग लिया और अपने कलाम से महफिल लूट ली साथ ही फजली बंधुओं का दिल भी। फिर क्या था, अगले दिन भोपाल-भारत टॉकिज के मैनेजर सैयद मिस्बाउद्दीन साहब के जरिए असद को पांच सौ रुपए का एडवांस देकर फ़िल्म 'दुनिया' के लिए बतौर गीतकार साइन कर लिया गया। कुछ दिन बाद असद बंबई रवाना हो गए। 'दुनिया' उनकी पहली फ़िल्म थी। संगीतकार थे सी. रामचन्द्र और मुख्य भूमिकाओं में करण दीवान, [[सुरैया]], और याकूब जैसे महान् कलाकार थे। इस फ़िल्म का गीत “अरमान लुटे दिल टूट गया...” लोकप्रिय भी हुआ था।<ref>{{cite web |url=http://vinitutpal.blogspot.in/2010/09/blog-post_27.html |title=असद भोपाली |accessmonthday=13 जुलाई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=vinitutpal.blogspot.in |language=हिंदी }}</ref> | ||
असद भोपाली की पहली फ़िल्म बहुत बड़े बजट की 'अफसाना' थी, जिसमें [[अशोक कुमार]], [[प्राण]] आदि थे। सालों साल तक वह एन.के. दत्ता, हंसराज बहल, रवि, सोनिक ओमी, ऊषा खन्ना, [[लक्ष्मीकांत प्यारेलाल]] आदि संगीतकारों के साथ करते रहे। इस तरह असद भोपाली के फ़िल्मी सफर की शुरुआत हुई। 'दुनिया' के दो गीत 'अरमान लुटे, दिल टूट गया..' और 'रोना है तो चुपके-चुपके रो..' उन्होंने ही लिखे, लेकिन उन्हें ख्याति न दिला पाये। हालांकि काम मिलता गया लेकिन पहचान न मिली। उन्होंने हुस्नलाल-भगतराम के साथ फ़िल्म 'आधी रात' में दो ही गीत लिखे और दोनों को आवाज [[लता मंगेशकर]] ने दी। वो गीत थे- 'दिल ही तो है तड़प गया..' और 'इधर तो आओ मेरी सरकार..'। | असद भोपाली की पहली फ़िल्म बहुत बड़े बजट की 'अफसाना' थी, जिसमें [[अशोक कुमार]], [[प्राण]] आदि थे। सालों साल तक वह एन.के. दत्ता, हंसराज बहल, रवि, सोनिक ओमी, ऊषा खन्ना, [[लक्ष्मीकांत प्यारेलाल]] आदि संगीतकारों के साथ करते रहे। इस तरह असद भोपाली के फ़िल्मी सफर की शुरुआत हुई। 'दुनिया' के दो गीत 'अरमान लुटे, दिल टूट गया..' और 'रोना है तो चुपके-चुपके रो..' उन्होंने ही लिखे, लेकिन उन्हें ख्याति न दिला पाये। हालांकि काम मिलता गया लेकिन पहचान न मिली। उन्होंने हुस्नलाल-भगतराम के साथ फ़िल्म 'आधी रात' में दो ही गीत लिखे और दोनों को आवाज [[लता मंगेशकर]] ने दी। वो गीत थे- 'दिल ही तो है तड़प गया..' और 'इधर तो आओ मेरी सरकार..'। | ||
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असद भोपाली का कॅरियर
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पूरा नाम | असदुल्लाह ख़ान |
प्रसिद्ध नाम | असद भोपाली |
जन्म | 10 जुलाई, 1921 |
जन्म भूमि | भोपाल, मध्य प्रदेश |
मृत्यु | 9 जून, 1990 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र |
अभिभावक | मुंशी अहमद खाँ |
संतान | गालिब असद |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | गीतकार और शायर |
मुख्य फ़िल्में | 'दुनिया', 'अफसाना', 'बरसात', 'पारसमणि', 'आया तूफान', 'मैंने प्यार किया' आदि |
पुरस्कार-उपाधि | फ़िल्मफेयर पुरस्कार, 1990 |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | असद भोपाली ने 40 साल में करीब 100 फ़िल्मों के लिए 400 गीत लिखे। |
असद भोपाली बॉलीवुड के गीतकार और शायर थे, लेकिन फ़िल्म जगत में अपनी पहचान बनाने के लिए उन्हें पूरे जीवन संघर्ष करना पड़ा।
कॅरियर
1940 के अंतिम दौर में मशहूर फ़िल्म निर्माता फजली ब्रदर्स 'दुनिया' नामक फ़िल्म बना रहे थे। फ़िल्म के गीत मशहूर शायर आरजू लखनवी लिख रहे थे, लेकिन दो गीत लिखने के बाद वे पाकिस्तान चले गए। बाद में एस. एच. बिहारी, सरस्वती कुमार दीपक और तालिब इलाहाबादी ने भी उसके गीत लिखे। मगर, फजली बंधु और निदेशक एस. एफ. हसनैन लगातार नए गीतकार की तलाश कर रहे थे। इसी मकसद से उन्होंने 5 मई, 1949 को भोपाल टॉकिज में मुशायरे का आयोजन किया। असद भोपाली ने भी उसमें भाग लिया और अपने कलाम से महफिल लूट ली साथ ही फजली बंधुओं का दिल भी। फिर क्या था, अगले दिन भोपाल-भारत टॉकिज के मैनेजर सैयद मिस्बाउद्दीन साहब के जरिए असद को पांच सौ रुपए का एडवांस देकर फ़िल्म 'दुनिया' के लिए बतौर गीतकार साइन कर लिया गया। कुछ दिन बाद असद बंबई रवाना हो गए। 'दुनिया' उनकी पहली फ़िल्म थी। संगीतकार थे सी. रामचन्द्र और मुख्य भूमिकाओं में करण दीवान, सुरैया, और याकूब जैसे महान् कलाकार थे। इस फ़िल्म का गीत “अरमान लुटे दिल टूट गया...” लोकप्रिय भी हुआ था।[1]
असद भोपाली की पहली फ़िल्म बहुत बड़े बजट की 'अफसाना' थी, जिसमें अशोक कुमार, प्राण आदि थे। सालों साल तक वह एन.के. दत्ता, हंसराज बहल, रवि, सोनिक ओमी, ऊषा खन्ना, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल आदि संगीतकारों के साथ करते रहे। इस तरह असद भोपाली के फ़िल्मी सफर की शुरुआत हुई। 'दुनिया' के दो गीत 'अरमान लुटे, दिल टूट गया..' और 'रोना है तो चुपके-चुपके रो..' उन्होंने ही लिखे, लेकिन उन्हें ख्याति न दिला पाये। हालांकि काम मिलता गया लेकिन पहचान न मिली। उन्होंने हुस्नलाल-भगतराम के साथ फ़िल्म 'आधी रात' में दो ही गीत लिखे और दोनों को आवाज लता मंगेशकर ने दी। वो गीत थे- 'दिल ही तो है तड़प गया..' और 'इधर तो आओ मेरी सरकार..'।
बी. आर. चोपड़ा की फ़िल्म 'अफसाना' में 'वो आए बहारें लाए, बजी शहनाई..', 'कहां है तू मेरे सपनों के राजा', 'वो पास भी रहकर पास नहीं' आदि लिखा। असद भोपाली उस वक्त बंबई पहुंचे जब फ़िल्म संगीत में नया मोड़ आ रहा था। शंकर-जयकिशन की पहली फ़िल्म 'बरसात' भी इसी साल रिलीज हुई। 1963 में लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल की पहली रिलीज फ़िल्म 'पारसमणि' का सबसे हिट गीत 'हंसता हुआ नूरानी चेहरा..' भी असद भोपाली का ही लिखा हुआ था। इसी फ़िल्म के गीत 'मेरे दिल में हल्की सी जो खलिश है.' और 'वो जब याद आए..' भी इन्होंने ही लिखे थे। 1964 की फ़िल्म 'आया तूफान' के सारे गीत हिट रहे, जो असद भोपाली ने लिखे थे। 1965 की फ़िल्म 'हम सब उस्ताद है', में सफलता की वही कहानी दोहराई गई। संगीतकार रवि के साथ काम करने के दौरान असद भोपाली ने सदाबहार गीत 'ऐ मेरे दिले नादां.', 'मै खुशनसीब हूं..' लिखा। 29 दिसम्बर, 1989 को जब 'मैने प्यार किया' बंबई में रिलीज हुई, तो फ़िल्म के सभी गीतों ने देशभर में धूम मचा दी। उन्हें साल के बेहतरीन गीतकार का फ़िल्मफेयर अवॉर्ड भी दिया गया, लेकिन उसे लेने वह नहीं जा सके। 40 साल के अरसे में करीब 100 फ़िल्मों के लिए असद भोपाली ने 400 गीत लिखे।
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टीका टिप्पणी और संदंर्भ
- ↑ असद भोपाली (हिंदी) vinitutpal.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 13 जुलाई, 2017।
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